बीकानेर। कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग के पास टे्रन पटरियों सटी सुखलेचा मार्केट की सालों पुरानी जर्जर बिल्डिंग रेलवे की छाती पर सबसे बड़ा खतरा होने के बावजूद बीकानेर रेलवे प्रशासन इस खतरें की अनदेखी कर रहा है। इस खस्ताहाल बिल्ंिडग को देखते ही अंदेशा हो जाता है कि यह बिल्ंिडग कभी धराशाही होकर बड़े हादसे को अंजाम दे सकती है। बिल्डिंग का रेलवे पटरियों से सटा हिस्सा पूरी तरह जर्जर हो चुका है और इसकी नींव में सीलन का पानी रिसता है।
बिल्डिंग से सटी रेलवे ट्रेक पर सुबह से शाम तक दर्जनभर ट्रेनों का आवागमन होता है। ट्रेनों के गुजरने से भूमि में कंपन होने से सुखलेचा मार्केट की यह बिल्ंिडग भी कंपकपा जाती है,लंबे अर्से से चल रहे कंपन के सिलसिले से बिल्ंिडग की दुकानों और तहखानों में दरारें आ चुकी है। जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं। जानकारी के अनुसार खतरे का सबब बनी सुखलेचा मार्केट की इस बिल्डिंग में करीब दो सौ दुकानें प्रतिष्ठान है,बिल्ंिडग के तहखानें में भी दर्जनों दुकानें चल रही है,जहां सुबह से शाम तक सैकड़ों लोगों की मौजूदगी के साथ हजारों लोगों का आवागमन रहता है। ऐसे में रेलवे ट्रेक से सटी इस जर्जर बिल्डिंग के कारण भारी जनहानी से भी इंकार नहीं किया जा सकता है,मौके से गुजरने वाली ट्रेनों को नुकसान हो सकता है। इस आंशका के बावजूद भी संरक्षा और सुरक्षा का दावा करने वाले रेलवे प्रशासन के अधिकारियों ने खतरे का सबसे बनी सुखलेचा मार्केट की इस जर्जर बिल्ंिडग की ओर ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन भी इसे लेकर गंभीर नहीं है। जब रेलवे के निर्माण अभियंता खुद मानते है कि रेलवे लाइन नजदीक से गुजरती है, तो ट्रेन से कंपन के कारण पास के भवनों में नुकसान की आशंका बढ़ जाती है। इसकी वजह से संरचनाओं में दरारे या क्रेक्स हो जाते हैं। बिल्डिंग पुरानी है तो असुरक्षित हो जाती है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि रेलवे ट्रक से सटी सुखलेचा मार्केट की जर्जर बिल्डिंग
को लेकर रेलवे प्रशासन ने आंंख क्यों मूंद रखी है।