मुख्य अतिथि आईपीएस अधिकारी श्री देवेन्द्र विश्नोई ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम शैक्षिक उत्कृष्टता के लिये अति आवश्यक है। उन्होनें पुलिस सेवा में इसी प्रकार की होने वाली विभिन्न प्रकार की कार्यशाला की जानकारी दी। श्री विश्नोई ने कहा कि एक अच्छे शिक्षक को एक अच्व्छा विद्यार्थी होना आवश्यक है। उन्होनें सोशल मीडिया पर बढ़ते मिथ्या ज्ञान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। उन्होनें कहा कि शिक्षक ही समाज का निर्माण करता है और समाज को एक नई दिशा प्रदान करता है।
प्राचार्य डाॅ. सतीश कौशिक ने अपने उद्बोधन में नवनियुक्त सह आचार्यों को सफलता के गुर सिखाये। डाॅ. कौशिक ले राजकीय प्रक्रियाओं को समझने की महत्ती आवश्यकता पर बल दिया। उन्होनें कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन से शिक्षकों के ज्ञान में वृद्धि होगी। साथ ही डाॅ. कौशिक ने अनुशासन में रहते हुए कार्य करने की सीख दी।
विशिष्ट अतिथि डाॅ. विनोद भारद्वाज ने कहा कि सरकार की योजनाओं को विकेन्द्रीकरण करना ही इस प्रकार की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है। डाॅ. भारद्वाज ने कहा वर्ष 2016 में डूंगर काॅलेज ने ही इस प्रकार की कार्यशाला आयोजित करने की महत्ती आवश्यकता बताई थी। उन्होनें सहायक आचार्यों से बिना मुख्यालय छोड़े अवकाश नहीं लेने, नोट शीट्स तैयार करने, सरकारी खरीद की प्रक्रिया, क्रय समिति के अधिकार क्षेत्र सहित आयुक्तालय के विभिन्न घटकों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। उन्होनें कहा कि एक सफल शिक्षक एवं शोधार्थी को टाइपिंग का ज्ञान होना बेहद आवश्यक है। डाॅ. भारद्वाज ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार लागू करने में राजस्थान को एक अग्रणी राज्य बताया। इसी के आधार पर सिक्किम सहित अन्य राज्य भी नवाचार लागू कर रहे हैं।
वरिष्ठ संकाय सदस्य डाॅ. शिशिर शर्मा ने अपने विचार प्रकट करते हुए अतिथियों का आभार प्रकट किया।
प्राचार्य