आरडीए! यहां बोलता है पैसा, रसूख

धीरज श्रीवास्तव
रायबरेली। मैं रायबरेली विकास प्राधिकरण हु, यहां अगर आना है तो आपके पास पैसा और रसूख होना चाहिये, यहां कानून की किताबें वर्जित है, इसलिये कानून मत समझना, हा अगर आपके पास पैसा हो तो उन्ही किताबो से कुछ धाराएं निकालकर नोटिस देकर आपके अवैध काम को वैध बना देंगे ।

जी हां यही सच है रायबरेली विकास प्राधिकरण अपनी स्थापना काल से वर्तमान तक भ्रस्टाचार के बड़े केंद्र के रूप में चर्चित है। यहां घरेलू निर्माण के नाम पर व्यवसायिक निर्माण, बिना पार्किंग व्यवसायिक निर्माण, सरकारी जमीन पर भूमाफियाओं के हर तरह के नक़्शे बनाकर उनके अवैध कब्जे को अदालतों में वैध ठहराने की सहूलियत भी उपलब्ध है, बस आपको उसकी कीमत चुकानी होगी।

विगत दिनों एक हत्याकांड के बाद जिस तरह प्रशासनिक तत्परता के बाद रायबरेली विकास प्राधिकरण आरोपित व उसके परिवार के एक अन्य प्रतिष्ठान पर बुलडोजर चलवाया उसके बाद शहर में अनेक चर्चाओं का बाद अपनी कलंकित छवि के बचाव में उसे उतरना पड़ रहा है। प्राधिकरण सूत्रों से ज्ञात हुआ कि शहर में 33 व्यक्तियों के अवैध निर्माण को चिन्हित कर उनको नोटिस जारी की गई है, जिनपर जवाब मिलने के बाद कार्यवाही की बात कही जा रही है।

यहां प्रश्न यह उठता है कि शहर भर में पिछले एक दशक से अवैध निर्माणों की बाढ़ आई, सरकारी जमीनों पर भी कब्जे कर आलीशान भवन व व्यवसायिक भवनों का निर्माण उसकी सहमति के बिना कैसे हुआ, उनके विरुद्ध अबतक कार्यवाही क्यों नही की गई, कार्यवाही न होने से शहर का मानचित्र या यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गयी। डिग्री कालेज चौराहे पर ऐशबाग अलपिका की सरकारी भूमि तक पर अवैध कब्जेदारों के नक्शे पास करने का साथ ठंडी सड़क से लेकर कचहरी रोड होते हुए घनी आबादी में तालाब पर, विशम्भर मार्केट व मलिकमऊ रोड पर अपार्टमेंट व बिनापार्किंग के होटल, मैरिज हाल का संचालन किस कारण से हो रहा है। जिन 33 लोगो को अवैध निर्माण के लिये नोटिस दी गयी है, क्या नियमानुसार उनका ध्वस्तीकरण होगा या उन्हें कम्पाउंडिंग के नाम पर दाखिल दफ्तर करने की सुस्तरफ्तार से उन्हें पूर्व की भांति राहत मिलती रहेगी, या यह छवि बचाने व ध्यान भटकाने के लिये किया गया प्रयास है। प्राधिकरण यदि नियमानुसार काम करता तो उसकी छवि कलंकित होने से बचती, उसपर लगते रहे आरोप से वह कठघ

रे में न खड़ा होता है।

अलपिका पर निर्माण वैध?
कलेक्ट्रेट व आरडीए से से चंद कदमो की दूरी पर बन्द हो चुकी ऐशबाग अलपिका की सरकारी भूमि पर व्यवसायिक निर्माण सीना तानकर खड़े है, उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही न होना प्रश्न खड़े करता है। यही नही डिग्री कालेज चौराहे से चंद कदम पर ठंडी सड़क पर एक नही अनेक अवैध निर्माण बन गए, नोटिस व सीज करने के बाद भी निर्माण पूरा हुआ और किराये पर देने के साथ उन भवनों की दुकानों व फ्लैट की बिक्री भी हुई पर कार्यवाही शून्य।

ग्रीनबेल्ट पर प्लाटिंग जिम्मेदार कौन?
कानपुर रोड राजघाट व शाहिद स्मारक के आसपास के इलाके को ग्रीनबेल्ट घोषित किया गया। किन्तु वहां नियमो की धज्जिया उड़ाकर प्लाटिंग की गई । कानपुर रोड घनी रिहायसी आबादी में परिवर्तित होता जा रहा आखिर इस खेल के पीछे कौन?

बिनापार्किंग फिर कार्यवाही क्यों नही?
कचहरी रोड, मलिकमऊ रोड, सब्जीमण्डी, लखनऊ प्रयाग राजमार्ग सहित पूरे शहर में अवैध निर्माण की भरमार है, जिसमे अनेक नामचीन लोगो के प्रतिष्ठान है, कचहरी रोड पर चर्चित व्यापारी नेता का फैमली शो रूम, मलिकमऊ रोड पर भाजपा नेता का होटल बिनापार्किंग के है। उनपर आखिर कानून का हथौड़ा कब चलेगा। सब्जीमंडी स्थित विशम्भर मार्केट राजस्व अभिलेखों में तालाब के रूप में दर्ज है, जर्जर हो चुकी मार्केट में शहर के नामचीन व्यापारी नेता से लेकर सपा व कांग्रेस के धुँरधरो के प्रतिष्ठान है ।

सीज होना चाहिये आरडीए
शहर की दौड़ तेज होने के बाद स्थापित आरडीए भ्रस्टाचार के दलदल में आकंठ डूबकर नियमो के विपरीत कार्य करने के कारण वह रायबरेली डील एसोसिएशन में परिवर्तित हो गया। पैसा रसूख के बल पर वह अवैध को वैध बनाता है, जनता का विश्वास उठ चुका है, अब समय आ गया है कि अवैध कामो में लिप्त आरडीए को ही सीज कर दिया जाय यही उचित होगा।