सवांददाता, के,के,कुशवाहा

आगरा। मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर किये जाने पर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी के नाम पर हो यह अखिल भारतीय जाट महासभा को रास नहीं आ रहा है। इसलिए इस समाज ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और एडीएम सिटी को ज्ञापन सौंप मुगल म्यूजियम का नाम महाराजा सूरजमल के नाम रखे जाने की मांग की।

अखिल भारतीय जाट महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का हम सम्मान करते हैं, लेेकिन उन्होंने कभी भी आगरा और ब्रज की जनता के लिए मुगलों से कोई लड़ाई नहीं लड़ी और न उनका यहां शासन रहा। महाराजा सूरजमल का भरतपुर (लोहागढ़) किला अजेय दुर्ग है। इसे मुगल, अंग्रेज और कोई अन्य राजा कभी नहीं जीत सका।

महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने कहा कि महाराजा सूरजमल व उनके परिवार का इतिहास, देश के इतिहास के पन्नो में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। महाराजा सूरजमल व उनके पुत्र महाराजा जवाहर सिंह व महाराजा रतन सिंह ने आगरा किला पर वर्ष 1761 से 1774 तक शासन किया। उनका राज्य आगरा, अलीगढ़, मथुरा, इटावा, हाथरस, कन्नौज, एटा, मैनपुरी, मेरठ, सहारनपुर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, भरतपुर, अलवर, रेवाड़ी, भिवाड़ी, धौलपुर, गुरुग्राम, रोहतक, कुरुक्षेत्र, पलवल, बल्लभगढ़, दिली के फिरोजशाह कोटला तक था। सूरजमल ने अपने जीवन में 80 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की।

अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुं. शैलराज सिंह ने कहा कि आगरा व ब्रज की जनता को मुगलों से मुक्ति दिलाने का काम महाराजा सूरजमल, उनके पूर्वजों व पुत्रों ने किया। हम आगरा व ब्रज क्षेत्र की जनता की ओर से आगरा किला व ताजमहल के समीप महाराजा सूरजमल व वीर गोकुला की प्रतिमाएं लगवाने और उनका इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी मांग करते हैं।

इस मौके पर लखपति सिंह चाहर, चौधरी गोपीचंद, ओपी वर्मा, वीरेंद्र सिंह छौंकर, जयप्रकाश चाहर, डॉ. कुमरेंद्र सिंह, मुकेश पहलवान, जितेंद्र सिंह चाहर, भूपेंद्र सिंह राणा, प्रेमसिंह सोलंकी, गुलवीर सिंह, मेघराज सोलंकी, सुरेंद्र चौधरी, यशपाल राणा, नरेश इंदौलिया आदि मौजूद रहे।