बीकानेर।अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के रसायन शास्त्र व सिविल इंजीनियरिंग विभाग व राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “एनवायरमेंटल क्राइसिस एंड सस्टेनेबल मैनेजमेंट” पर एक सप्ताह के शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन हुआ ।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के डॉ. के. फणीन्द्र ने बताया कि आधुनिक विज्ञान द्वारा कृषि, बागवानी ,पशुपालन के क्षेत्र में विकसित नवीन तकनीकों से उत्पादकता में प्रचुर वृद्धि हुई है लेकिन कई नवीन तकनीकों व पद्धतियों से आज पर्यावरण पारिस्थितिकी व जन स्वास्थ्य के लिए कई गंभीर संकट उत्पन्न हो रहे हैं इसीलिए इन तकनीकों के व्यावहारिक उपयोग के पूर्व जन स्वास्थ्य व पारिस्थितिकी पर होने वाले उनके दुष्प्रभावों की समीक्षा भी आवश्यक हो जाती है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ग्रीन केमेस्ट्री रिसर्च सेंटर के डॉ. नरेंद्र भोजक ने बताया कि मनुष्य द्वारा प्रयुक्त अधिकतर रसायन अविघटनिय है और इनसे वातावरण प्रदूषित होता रहता है। ग्रीन केमेस्ट्री के सिद्धांतों को अपनाकर इन पर काफी हद तक नियंत्रण करा जा सकता है।

एक क्विक कोऑर्डिनेटर डॉ ओपी जाखड़ ने बताया कि बढ़ता प्रदूषण रासायनिक कृषि से बंजर होती भूमि एवं त्वरित निर्जलीकरण आदि संपूर्ण जीव सृष्टि के अस्तित्व के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं।

इस अवसर पर इंजीनियर कॉलेज बीकानेर के प्राचार्य डॉ जयप्रकाश भामु ने बताया कि मनुष्य द्वारा संसाधनों के अनियंत्रित उपभोग एवं उत्पादन केंद्रीय आर्थिक वृद्धि की होड़ में बढ़ रहे ऊर्जा व अन्य संसाधनों के उपभोग से आज जल थल एवं वायु सभी गंभीर रूप से प्रदुषित हो रहे हैं एवं धरती पर विध्यमान अधिकतर प्राकृतिक संसाधन आगामी 100 वर्षों में समाप्त हो जाएंगे । कार्यक्रम कोऑर्डिनेटर डॉ प्रवीण पुरोहित ने बताया कि इस कार्यक्रम में वेबस के माध्यम से कराई जा रही ऑनलाइन ट्रेनिंग में देश विदेश से करीब 500 प्रतिभागियों को आईआईटी चेन्नई, खड़कपुर, हैदराबाद दिल्ली, कुरुक्षेत्र ,आईआईएससी बैंगलोर, बीकानेर के विषय विशेषज्ञों द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के डॉ. साथंस ने प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रशांत भाकर वह डॉ. रवि कुमार ने किया।