सर्व दलीय बैठक के बाद माननीय प्रधानमंत्री जी ने बड़े दिल का नाटक करते हुए कहा कि किसानों और उनकी सरकार के बीच एक फोन कॉल की दूरी है।इस स्टेटमेंट में बड़ी कुटिलता छिपी है,समस्या के समाधान की इच्छा का कोई भाव नहीं है।इसका एक मात्र अभिप्राय यह है कि सरकार ने जो 18 महीने तक तीनों काले कानूनों के स्थगन का प्रस्ताव दिया है,यदि वह किसानों को मान्य हो तो ही एक कॉल की दूरी है यदि किसान सरकार के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं तो दूरी ही दूरी है और सरकार अपने अड़ियल रुख पर कायम रहने वाली है।किसान कह रहे हैं कि किस नम्बर पर बात करनी है? इस पर सरकार चुप है।यदि वार्ता के लिए सरकार बुलाती है तो फोन भी सरकार को ही करना चाहिए। यदि सरकार किसानों द्वारा बताए स्थान या धरना स्थल पर आने को तैयार है तो बताएं ताकि दिनांक,समय व स्थान निश्चित करके किसान सरकार को निमन्त्रण देने हेतु फोन कर सकें। ये किसान इसी देश के सम्मानित नागरिक है,अपने नागरिकों की समस्याओं का समाधान करना प्रजातांत्रिक देश मे सरकार का प्रथम दायित्व होता है। अतः सरकार को खुले मन से अपने ही देश के सम्माननीय किसानों के साथ बात करके समस्या का निराकरण करना चाहिए। यदि इसके लिए अपने कदम वापस खींचने पड़े तो भी गुरेज नहीं करना चाहिए।अपने ही करोड़ों नागरिकों की इच्छा का सम्मान करना सरकार का कर्तव्य है, ऐसा करने के लिए सरकार एवं इसके शीर्ष नेतृत्व को नाक का सवाल नहीं बनाना चाहिए।कहा जाता जाता है कि सरकार माई-बाप होती है और प्रजा सन्तान के समान होती है।संतान के आगे माता-पिता हमेशा ही अपनी प्रतिष्ठा को त्याग देते हैं,यही भाव दर्शाते हुए सरकार को तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए व MSP का कानून बनाकर किसानों को राहत प्रदान करनी चाहिए।ऐसा करने से सरकार की कीर्ति में अभिवृद्धि ही होगी।सरकार को सद्बुद्धि आये यही सभी की कामना है।

मदन गोपाल मेघवाल (से.नि. IPS)
लोकसभा कांग्रेस प्रत्याशी,बीकानेर।