हर्षित सैनी
रोहतक, 7 अक्तूबर। हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के निर्देशानुसार 8 अक्तूबर तक जिला एवं सत्र न्यायाधीश एएस नारंग एंव सीजेएम खत्री सौरभ के मार्गदर्शन में पुरानी आईटीआई ग्राऊंड रोहतक के प्रांगण में दस दिनों तक चलने वाले कानूनी जागरुकता व साक्षरता कार्यक्रमों की श्रृंखला में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण रोहतक के पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप द्वारा आज एफआईआर (फस्ट इन्फोर्मेशन रिपोर्ट ) के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।

कश्यप ने बताया कि किसी अपराधिक घटना के संबंध में पुलिस के पास कार्यवाही के लिए दर्ज की गई सूचना को प्राथमिकी या एफआईआर कहा जाता है यह एक लिखित दस्तावेज होता है। जो भारत, पाकिस्तान व जापान आदि देशों की पुलिस द्वारा किसी संज्ञेय अपराध की सूचना प्राप्त होने पर तैयार किया जाता है। यह सूचना प्राय: अपराध से पीडित व्यक्ति द्वारा पुलिस के पास एक शिकायत के रूप में दर्ज की जाती है। कोई भी नागरिक किसी भी अपराध के बारे में पुलिस को मौखिक या लिखित रूप से सूचित कर सकता है।

अपराध किसी भी जिले के किसी भी स्थान पर हुआ हो यदि वह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है तो किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। जीरो एफआईआर हो या एफआईआर, पीड़ित को यह अधिकार है कि वह इसे पढकर या सुन लेने के बाद ही उस पर हस्ताक्षर करें।
उन्होंने बताया कि भारत में हर नागरिक को शिकायत के रूप में एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार है। किंतु कई बार पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती तो इस स्थिति में सीआरपीसी की धारा 156(3)के तहत संबंधित न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है। इसी संबंध में उच्च न्यायालय दिल्ली द्वारा 9 जुलाई, 2010 को शुभंकर लोहारका बनाम स्टेट आफ दिल्ली के मुकदमें में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप, विभिन्न कॉलोनियों से आए हुए काफ़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।