नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। तीन कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद किसान संगठनों के अड़ियल रुख के मद्देनजर सरकार एमएसपीकानून को लेकर बातचीत के लिए तैयार हो गई है। सूत्रों के अनुसारकेंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को इस मुद्दे पर बातचीत का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए किसान मोर्चे को अपने 5 नेताओं के नाम देने के लिए कहा गया है, जो बैठक में मौजूद रहेंगे। मोर्चा के सूत्रों का कहना है कि अब 4 दिसंबर को आंदोलन वापसी की घोषणा हो सकती है। हालांकि अभी सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के 32 किसान संगठनों की मीटिंग हुई है। ज्यादातर किसान संगठन अब आंदोलन को खत्म करने के पक्ष में हैं, हालांकि भाकियू (टिकैत) के राकेश टिकैत और गुरनाम चढ़ूनी आंदोलन को जारी रखने पर अड़े हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसारमंत्रालय ने सभी राज्यों को किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने का निर्देश दिया है। हरियाणा के किसान नेताओं ने मुकदमों की वापसी के लिए बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के साथ बैठक करने की घोषणा भी कर दी है। पिछले एक साल से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सभी सीमाएं घेरकर बैठे किसान संगठन केवल कृषि कानून वापसी से सहमत नहीं हैं। किसानों का कहना है कि यदि सरकार उनकी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहती है तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से कम दाम पर फसल नहीं बिकने के लिए भी कानून लागू करे।किसान संगठन एमएसपीकानून बनने तक धरना जारी रखने की घोषणा कर चुके हैं। सरकार इसमें बीच का रास्ता तलाशना चाहती है और इसी कारण उसने बातचीत का प्रस्ताव दिया है।