बीकानेर, 10 मई।( शिव कुमार सोनी )कोटा के मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशिलिटी सेंटर में करोना रोगियांं की अपने निजी गम व दर्द को भूलकर निष्काम सेवा करने वाली नर्स सरोज सोनी के सेवा के जज्बे को बीकानेर, कोटा, जोधपुर व अजमेर सहित राजस्थान के विभिन्न जिलों के साथ राष्ट्रीय स्तर के स्वर्णकार समाज के स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधियों व पदाधिकारियों ने सलाम करते हुए सराहना की है। उनको दूरभाष पर उनके पिता निधन पर संवेदना व्यक्त की वहीं उसकी करोना योद्धा के रूप में सेवा भावना की सराहना करते हुए आशीर्वाद दिया है।

पिछले 11 साल से नर्स के रूप् में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं देने वाली सरोज पत्नी प्रदीप स्वर्णकार (कैरियर पोईंट यूनिवर्सिटी के कैरियर पोईंट में सहायक प्रोफेसर फार्मेसी) के अंतर मन से रोना नहीं जा रहा । गर्व के साथ अनेक करोना पोजिटिव रोगियों की चिकित्सकीय सेवा के साथ अपनी प्रार्थना का सम्बल प्रदान करने वाली सरोज ने अपने सामने कोटा के तीन मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के सेवाभावी महानुभावों को दम तोड़ते हुए देखा। मन विचलित हुआ पर उसको मजबूत कर सेवा कार्यों में जुटी रहीं। अपने पिता जोधपुर के कमला नेहरु नगर निवासी सेवानिवृत रेलवे कर्मचारी शिव कुमार मौसूण पुत्र स्वर्गीय राजूलाल मौसूण के 21 अप्रेल को ब्रेन हेमरेज व उसके बाद उनके 25 अप्रेल को आमायिक स्वर्गवास ने सरोज साहस को रोकने कि चेष्टा की लेकिन अपने पिता के आशीर्वाद व सेवा करने के संदेश को शिरोधार्य कर निरन्तर कोराना रोगियों की सेवा की। मृत्यु से पूर्व सरोज के पिता शिवकुमार सोनी नियमित उससे बात करते थे। उसका हौसला बढ़ाते थे, वे कहते थे कि पीड़ित मानव की सेवा ही सच्चा धर्म व परमात्मा प्रार्थना है। रोगियों को रोगी नहीं समझकर परमात्म स्वरूप् जानकर सेवा करें ।
सरोज ने बिना किसी जाति वर्ग के भेद को भूलकर सभी रोगियों की प्रभु की पूजा के रूप् सेवा की । घर में दो बेटियों 11 साल की ऐंजल व 3 साल की नव्या की देखभाल का जिम्मा अपने पति को संभालकर 14 दिनों तक उनसे दूर रही। अस्पताल प्रशासन की ओर से निर्धारित स्थान पर रहकर सरकार के आदेश की कर्तव्य, निष्ठा व ईमानदारी से पालना करते हुए प्रण प्राण से चिकित्सकीय सेवाओं में लगी रही।
अपने प्रिय पिता के स्वर्गवास से दिल से टूटी सरोज ने आसुंओं को नयनों में छुपाकर सेवा में लगी रही। वर्तमान में 14 दिन का होम क्वॉरेन्टाईन में रह रही सरोज बार-बार यही कहती है कि परमात्मा ने मेरी कठोर परीक्षा ली वहीं ईश्वर के आशीर्वाद व पिता के निष्काम भाव से सेवा के संदेश ने आत्मबल के साथ सेवा के जज्बे को कायम रखा। उनको मलाल है कि असीम लाड प्यार से लालन पालन कर शिक्षित कर मानव सेवा के काबिल बनाने वाले पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी। होम क्वॉरेन्टाईन के कारण अपने माइके जाकर इस असीम दुख के समय दो आंसु भी बहा नहीं सकी। बाबूल के घर बैठी मां, भाई संदीप, बहनें पूर्णिमा व सुश्री डिम्पल सहित चाचा-चाची व अन्य परिजनों और बच्चों को इस दुःखद घड़ी में ढाढस भी नहीं बंधा सकी।

सरोज के सर से पिता और कोटा में लॉक डाउन के दौरान जरूरतमंदों को राशन सामग्री सुलभ करवाने वाले पिता तुल्य मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के करोना सेवा योद्धाओं का साया उठने का गम है वहीं गर्व भी है कि उनकी सेवा से अनेक करोना पीड़ित रोगी ठीक होकर अपने घर चले गए। उन्होंने बताया कि परमात्मा की असीम कृपा, पिता व पति की प्रेरणा से ही सेवा कार्य कर सकी।