-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। कमोडिटी मार्केट में डिब्बा ट्रेडिंग का अवैध कारोबार फिर परवान चढ गया है। बीकानेर में डिब्बा ट्रडि़ंग का यह दो नंबरी कारोबार कालाधन जमाखोरों की कमाई का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है,कमोडिटी मार्केट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नोटबंदी के बाद सालभर के लिये थमे डिब्बा ट्रेडिग़ ने अब दुगुनी रफ्तार पकड़ ली है।

बीकानेर की कृषि उपज मंडी डिब्बा कारोबार के ठिकानों का सबसे बड़ा गढ बनी हुई है,इसके अलावा सार्दुल सर्किल स्थित शांति टॅावर,समता नगर,खंजाची मार्केट,गंगाशहर तेरापंथ भवन के सामने समेत अनेक कॉमर्शियल कॉम्पलेक्सों में कमोडिटी मार्केट से जुड़ी प्रतिष्ठान की आड़ में चल रहे डिब्बा ट्रेडिग़ का कारोबार अब हर दिन करोड़ो रूपये की वेल्यू पार चुका है। शहर में एक बड़े ब्रोकरेज फर्म के कारोबारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बीकानेर में कमोडिटी एक्सचेंजों मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और नेशनल कमोडिटी एवं डेरेवेटिव्स एक्सचेंज से जुड़ी फर्मो के माध्यम से रोजाना दस पन्द्रह करोड़ रूपये का कारोबार होता है जबकि डिब्बा ट्रेडिंग का वॉल्यूम हर रोज बीस करोड़ के पार है। जानकारी के अनुसार काले कारोबार जगत में कर्मिशियल स्मैक बने डिब्बा ट्रेडिंग के लिए न तो औपचारिकताओं की जरूरत है और न ही पैन कार्ड या केवाईसी की. इसके अलावा डिब्बा ऑपरेटर ग्राहकों को कम से कम मार्जिन पर ज्यादा से ज्यादा कारोबार करने की छूट देते हैं। इसलिये बीकानेर में डिब्बा ट्रेडिग़ का यह अवैध कारोबार जबरदस्त चरम पर है,क्योंकि इसमें ना तो टैक्स देने का कोई झंझट है और ना ही काली कमाई उजागर करने का। इसलिये नये पीढी के ज्यादात्तर निवेशक मोटी कमाई के लिये डिब्बा ट्रेडि़ंग कारोबार के नेटवर्क से जुड़े हुए है,जो पूरी तरह गैरकानूनी है। इस कारोबार से सबसे ज्यादा नुकसान आम निवेशक को उठाना पड़ता है,वहीं कमोडिटी मार्केट के कारोबारियों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

*नामी वायदा कारोबारी भी इसमें लिप्त*
आमतौर पर एक पंजीकृत ब्रोकरेज हाउस के यहां ट्रेडिंग खाता खोलकर बाज़ार में ही ट्रेडिंग होती है. यह ब्रोकरेज हाउस निवेशकों और एक्सचेंजों के बीच एजेंट का काम करता है. वहीं, एक डब्बा ऑपरेटर खुद ही पूरा काम काम करता है. पंजीकृत ब्रोकर निवेशकों के सभी सौदे एक्सचेंजों और नियामकों के नियमों व प्रणालियों के अनुरूप निबटाता है. डब्बा ऑपरेटर अपने ग्राहकों के सौदों को केवल अपने रजिस्टर में दर्ज कर लेता है. इन सौदों को बाजार की प्रणाली में शामिल नहीं किया जाता। पुख्ता खबर है कि बीकानेर में ज्यादात्तर हवाला कारोबारी और क्रिकेट सट्टा जगत के बुकी भी डिब्बा ट्रेडि़ंग से जुड़े हुए है,इसके अलावा शहर के कई नामी वायदा कारोबारी भी डिब्बा ट्रेडिंग के गैर कानूनी कारोबार में लिप्त है।

पुलिस की समझ से परे
कमोडिटी मार्केट से जुड़े सूत्रों की मानें तो डिब्ब ट्रेडि़ंग पूरी तरह दो नंबरी कारोबार होने के बावजूद पुलिस की समझ से परे है क्योंकि ऊपरी तौर पर यह पूरी शेयर व वायदा कारोबार ही लगता है। इसलिये बीकानेर में तो छोड़ों राजस्थान में चित्तोडग़ढ के पुलिस के अलावा किसी भी जिले की पुलिस डिब्बा ट्रेडिंग का नेटवर्क नहीं भेद पाई है। कालाधन जगत के कारोबार का यह नेटवर्क कमोडिटी और एक्सचेंज की आड़ में चलता है। बताया जाता है कि चित्तोडग़ढ पुलिस ने पिछले साल शहर में चलने वाले डिब्बा ट्रेडि़ंग के ठिकाने का पर्दाफाश किया था,इस कार्यवाही के लिये चित्तोडग़ढ पुलिस को मध्यप्रदेश की नीमच पुलिस कानूनी जानकारी लेनी पड़ी।

एक्सचेंज तक नहीं पहुंचते सौदे
डिब्बा ट्रेडिंग में भी शेयरों और कमोडिटीज का कारोबार होता है। बस फर्क यह है कि जहां रजिस्टर्ड ब्रोकर अपने इन्वेस्टर्स और और कमोडिटी या स्टॉक एक्सचेंजों के बीच एजेंट का काम करता है, वहीं डब्बा चलाने वाला अपने आप में एक पूरी संस्था होता है। वह ग्राहकों के सौदों को केवल अपने रजिस्टर में लिखता है। ये सौदे एक्सचेंज या बाजार तक नहीं पहुंचते। उसी के स्तर से सौदों का निबटारा हो जाता है। ग्राहक यह सब जानते है पर लालच के चलते इसके प्रति आकर्षित हो जाते हैं। इसकी एक वजह यह है कि इसमें टैक्स नहीं लगता।