हरीश गुप्ता
जयपुर। सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में जिन काॅम्पलेक्स को सील किया गया था, आज सारी दुकानें शोरूम खुल चुके हैं। एक व्यापारी की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती जो सरकारी सील की अनदेखी कर दे। जरूर कोई ऐसी ताकत है जिसके इशारे पर यह हुआ है। आखिर वह ताकत कौन है?
गौरतलब है ‘दैनिक बढ़ता राजस्थान’किसकी शह पर खुली सील लगी दुकानें
-चाहे गलत जगह सील लग गई हो, लेकिन दुकानें शोरूम खुले कैसे?

जयपुर। सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में जिन काॅम्पलेक्स को सील किया गया था, आज सारी दुकानें शोरूम खुल चुके हैं। एक व्यापारी की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती जो सरकारी सील की अनदेखी कर दे। जरूर कोई ऐसी ताकत है जिसके इशारे पर यह हुआ है। आखिर वह ताकत कौन है?
गौरतलब है ‘ओम एक्सप्रेस’ ने 4 सितंबर के अंक में ‘धृतराष्ट्र बन कर दिए कॉम्पलेक्स सील’ शीर्षक से एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार में बताया गया था कि सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में निगम की ओर से गलत काॅम्पलेक्स सील कर दिए गए थे। खबर प्रकाशित होने के बाद हड़कंप मचा तो इस बात का कि बात लीक कैसे हुई?
जानकारी के मुताबिक अब मुद्दा यह है कि चाहे गलत जगह ही सील लगी हो, सील काॅम्पलेक्स की दुकानें शोरूम खुल कैसे गए? सील लगने का भी प्रोसेस है तो हटने का भी। आज हालात यह है कि सभी शोरूम खुले हैं। उन्हें अब डर भी नहीं कि कोई सील लगी भी थी।
जानकारी के मुताबिक जोन के एक बाबू महेश (नाम बदला हुआ) जो अभी तक व्यापारियों को दिलासा देते फिर रहे थे मीटिंग कर रहे थे। अचानक इस बाजार से नदारद हो गए हैं। पोल खुल जाने के डर से ऑफिस में ही कुर्सी तोड़ रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि सीकर हाउस से ज्यादा बुरे हालात पास में स्थित सिंधी कॉलोनी के हैं। यहां कॉलोनी नाम की कोई चीज नहीं रही, बचे हैं तो बहुमंजिला काॅम्पलेक्स। सवाल उठता है बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन रही होती है तब निगम वालों के रतौंधी क्यों हो जाती है? निगम के उन अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती जिनके कार्यकाल में बहुमंजिला इमारतें खड़ी हुई? सबसे बड़ी बात तो यह है कि किसी भी कॉम्पलेक्स में पार्किंग की सुविधा नहीं है। क्योंकि कोई भी भू-कारोबारी नक्शे पास नहीं करवाता। ने 4 सितंबर के अंक में ‘धृतराष्ट्र बन कर दिए कॉम्पलेक्स सील’ शीर्षक से एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार में बताया गया था कि सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में निगम की ओर से गलत काॅम्पलेक्स सील कर दिए गए थे। खबर प्रकाशित होने के बाद हड़कंप मचा तो इस बात का कि बात लीक कैसे हुई?
जानकारी के मुताबिक अब मुद्दा यह है कि चाहे गलत जगह ही सील लगी हो, सील काॅम्पलेक्स की दुकानें शोरूम खुल कैसे गए? सील लगने का भी प्रोसेस है तो हटने का भी। आज हालात यह है कि सभी शोरूम खुले हैं। उन्हें अब डर भी नहीं कि कोई सील लगी भी थी।
जानकारी के मुताबिक जोन के एक बाबू महेश (नाम बदला हुआ) जो अभी तक व्यापारियों को दिलासा देते फिर रहे थे मीटिंग कर रहे थे। अचानक इस बाजार से नदारद हो गए हैं। पोल खुल जाने के डर से ऑफिस में ही कुर्सी तोड़ रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि सीकर हाउस से ज्यादा बुरे हालात पास में स्थित सिंधी कॉलोनी के हैं। यहां कॉलोनी नाम की कोई चीज नहीं रही, बचे हैं तो बहुमंजिला काॅम्पलेक्स। सवाल उठता है बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन रही होती है तब निगम वालों के रतौंधी क्यों हो जाती है? निगम के उन अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती जिनके कार्यकाल में बहुमंजिला इमारतें खड़ी हुई? सबसे बड़ी बात तो यह है कि किसी भी कॉम्पलेक्स में पार्किंग की सुविधा नहीं है। क्योंकि कोई भी भू-कारोबारी नक्शे पास नहीं करवाता।