जयपुर /कुदरत का करिश्मा और हकीकत वाकई ईश्वर परीक्षा के सामान तरुण की जिंदगी बहुत ही एक अजीबोगरीब है इसके बारे में *राहुल मेघवंशी* ने संवाददाता को बताया की जयपुर जिले के बरकत नगर क्षेत्र निवासी तरुण स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी से ग्रसित है। उसकी लेवल की इंजुरी के अंतर्गत वह क्वॉड्रिप्लेजिक अवस्था में है, जिसमें शरीर का आधा हिस्सा पैरालिसिस है, साथ ही दोनों हाथो की उंगलियां काम नहीं करती है। इन सब के बावजूद वह अपने जीवन में अपनी परेशानियों से लड़ कर निरंतर आगे बढ़ रहे है।

दिनांक 5 जनवरी 2020 को चेन्नई में आयोजित इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी मैराथन में भाग लेते हुए जयपुर जिला क्षेत्र के दिव्यांग तरुण कुमार ने 10 किलोमीटर की दूरी को 1 घंटे 59 मिनट्स में व्हीलचेयर द्वारा पूरी कर मेडल प्राप्त किया। वह एक पेरा अथेलेट प्लयेर भी है। उन्होंने पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित हुई 9वी राज्य स्तरीय प्रतिोगिता में जो गत वर्ष मार्च में सवाई मानसिंह स्टेडियम में आयोजित हुई, क्लब थ्रो एथलेटिक पेरा गेम में गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा उन्होंने जयपुर मैराथन में भी हिस्सा लिया और मेडल प्राप्त किया। 16 वर्ष की उम्र में एक एक्सिडेंट के बाद जीवन में हुए बदलाव के बावजूद अपने जीवन को रुकने नहीं दिया। कई उतार चड़ाव के बावजूद व्हीलचेयर पे होते हुए अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण की, उसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से प्राइवेट में कॉमर्स से अपना ग्रेजुएशन किया। उसके बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे। साथ ही ऑनलाइन कार्य भी कर रहे, जिससे अपने को आत्मनिर्भर बना सके। आगे चल उनका लक्ष्य राष्ट्रीय और फिर अन्तर्राष्ट्रीय पेरा गेम में भाग लेते हुए देश के लिए मेडल प्राप्त करना। और आगे दिव्यांग जनो के लिए कार्य करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए मार्गदर्शन का संदेश देते हैं।