रोहतक /बीजेपी के कद्दावर नेता कैप्टन अभिमन्यु इन विधानसभा चुनाव में अपने गृहक्षेत्र नारनौंद में बुरी तरह मात खा गए। इस करारी हार के पीछे कैप्टन अभिमन्यु का आमजन से दूरी बनाए रखना मुख्य कारण माना जा रहा है। उनके अडिय़ल रवैये की चर्चा पर आज वर्षों पुरानी एक घटना ताजा हो आई। सोचा, क्यूं न आपसे शेयर कर लूं…

करीब 19 साल पहले की बात है। मैं उन दिनों कैप्टन अभिमन्यु के रोहतक से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘हरिभूमि’ में संपादकीय विभाग में कार्यरत था। तब दिवाली से एक दिन पहले विभाग के कुछ कंप्यूटर ऑपरेटरों के साथ उनकी खींचतान हो गई। दरअसल, कैप्टन चाहते थे कि सभी दिवाली के दिन भी आकर आफिस में काम करें, जबकि स्टाफ के लोग दिवाली के त्योहार पर छुट्टी मनाने पर अड़े हुए थे। मामला काफी गर्मा गया। आखिर, दिवाली के दिन कुछ कर्मचारी नहीं आए तो कैप्टन भी अपने चिर-परिचित अडिय़ल रवैये पर उतारु हो आए। उन्होंने चंद कंप्यूटर आपरेटरों का गुस्सा पूरे स्टाफ पर निकालते हुए किसी को भी दिवाली का गिफ्ट नहीं देने का ऐलान कर दिया। बाद में, काफी थू-थू होने पर आफिस में आए कर्मचारियों को मात्र 2-2 लड्डू बांटने का निर्णय लिया गया। हालांकि, हमारे कई साथियों ने इस खैरात को लेने से इनकार कर दिया था। आगे चलकर हम ज्यादातर साथी एक-एक कर अन्य अखबारों में चले गए।
दिवाली का ऐसा मनहूस दिन और कैप्टन अभिमन्यु जैसा अडिय़ल मैंने अपने 22 वर्षों के पत्रकारिता करियर में नहीं देखा।
सुशील सैनी, वरिष्ठ पत्रकार की वाल से