चंडीगढ़। कृषि विधेयकों के संबंध में पंजाब सरकार और कांग्रेस पार्टी पर लगाए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आरोपों को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने झूठा करार दिया। उन्होंने हैरानी हैरानी जताते हुए कहा कि एनडीए सरकार की किसानों को बर्बाद करने की साजिश को आगे बढ़ाने में तोमर ने तहजीब और अदब को बिलकुल ही त्याग दिया है। कृषि मंत्री कांग्रेस के खिलाफ खासकर उनके खिलाफ गुमराह करने वाले प्रचार में व्यस्त हैं। कैप्टन ने कहा कि एक इंटरव्यू का हिस्सा रहा कृषि मंत्री का बयान बेतुका है। तोमर द्वारा किए गए इस सवाल कि क्यों कैप्टन ने अपने मैनिफेस्टो में एपीएमसी को बदले जाने की बात कही, का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि केंद्रीय मंत्री ने पंजाब कांग्रेस का 2017 का मैनिफेस्टो पढ़ने का भी प्रयास नहीं किया। मैनिफेस्टो में साफ तौर पर यह वादा किया गया था कि एपीएमसी एक्ट को नया रूप दिया जाएगा। इसमें एमएसपी प्रणाली के साथ छेड़छाड़ किए बिना किसानों की उपज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंडियों तक पहुंचने में मदद करने की बात थी।

– किसानों को मूर्ख बनाने के लिए कोरा झूठ बोल रहे तोमर : कैप्टन
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में भी स्पष्ट तौर पर दर्ज है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को हर कीमत पर सुरक्षित रखा जाएगा और राज्य सरकारों द्वारा हजारों मार्केट/मंडियां स्थापित की जाएंगी। इनसे किसानों को अपना उत्पाद लाभ के साथ बेचने के लिए आसान पहुंच मुहैया करवाई जा सके। मुख्यमंत्री ने तोमर को चुनौती देते हुए कहा कि आप यह बताओ कि आपके तीन कृषि विधेयकों में कहीं भी किसानों के साथ ऐसे वादे का जिक्र क्यों नहीं किया गया? उन्होंने किसानों को मूर्ख बनाने के लिए कोरा झूठ फैलाने पर मंत्री की कड़ी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि तोमर के आरोपों के उलट कांग्रेस का अपने वादों से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता, चाहे यह राष्ट्रीय स्तर पर हों या राज्य स्तर पर।
– किसानों को घसियारा और राज्यों को म्युनिसिपल कमेटियां बनाना चाहती है मोदी सरकार : कैप्टन

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि किसान विरोधी तीनों विधेयक इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि मोदी सरकार किसानों को घसियारा बनाने और राज्यों के सभी अधिकार अपने कब्जे में लेकर राज्यों को केवल म्युनिसिपल कमेटियों की तरह प्रशासनिक इकाइयां बनाकर रखना चाहती है। यह विधेयक मुल्क के संविधान के बीच की फेडरलिज्म की भावना के उलट है। इन किसान विरोधी विधेयकों के लिए शिअद भी बराबर का दोषी है, जो पिछले चार महीने दिन-रात इनको किसानों के लिए लाभप्रद कहता रहा। शिअद पर दोगली राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अकाली दल आज भी भाजपा के नेतृत्व वाले गठजोड़ में हिस्सेदार बना हुआ है जो किसानों को घसियारा बनाने पर तत्पर है। कांग्रेस लोगों की पार्टी है और यह पंजाब और किसानी के लिए घातक सिद्ध होने वाले विधेयकों को रद्द करवाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगी।_
‘इतने संजीदा हो तो विधेयकों में एमएसपी के साथ मंडी व्यवस्था भी जोड़ें’

कैप्टन ने कहा कि यदि मंत्री सचमुच ही किसानों के कल्याण के लिए संजीदा हैं तो वे न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ-साथ मंडी व्यवस्था को बरकरार रखने संबंधी केंद्र द्वारा स्पष्ट तौर पर वचनबद्धता प्रकट करने के लिए विधेयकों में संशोधन क्यों नहीं करते। वास्तव में केंद्र सरकार की मंशा समर्थन मूल्य के साथ-साथ मौजूदा खरीद प्रणाली को चोट लगाना है और समूचे व्यापार को प्राइवेट कारोबारियों के हाथों में सौंपना है। आखिर में केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा को भी वापस ले लेगी, जिस पर मुल्क के लाखों गरीबों का जीवन निर्भर है।

प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का खेती से दूर-दूर तक नाता नहीं : रंधावा
पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंदर सिंह तोमर का कृषि से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं है। रंधावा ने दोनों नेताओं के हलफिया बयानों को सबूत के तौर पर पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री के पास तो कृषि योग्य जमीन का एक भी टुकड़ा नहीं, जिस कारण वह किसानी का दर्द कैसे जान सकते हैं। देश के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा कि कृषि मंत्री के पास कृषि के लिए जमीन न हो। अब तक गुरदयाल सिंह ढिल्लों, बलराम जाखड़, चौधरी देवी लाल, सुरजीत सिंह बरनाला, शरद पवार जैसे नेता देश के कृषि मंत्री रहे हैं जो राजनीतिज्ञ के साथ-साथ किसान भी थे।

– बिहार व यूपी के किसानों जैसी हालत हो जाएगी पंजाब में : रंधावा
सहकारिता मंत्री रंधावा ने नाबार्ड की तरफ से किए ‘वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2016-17’ का हवाला देते हुए कहा कि कृषि परिवार की औसतन मासिक आय के मामले में पंजाब सबसे ऊपर है, जहां यह 23,133 रुपये है और दूसरे नंबर पर हरियाणा में यह 18,496 रुपये है। दोनों राज्यों में ही मंडीकरण सिस्टम चलता है। दूसरी तरफ कई सालों से मंडीकरण सिस्टम के बिना चल रहे राज्यों की खराब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार में यह आय 7175 रुपये और उत्तर प्रदेश में 6668 रुपये है, जोकि देश में सबसे कम है। रंधावा ने चेतावनी दी कि जब यह विधेयक लागू हो गए तो पंजाब के किसानों की हालत बिहार और उत्तर प्रदेश जैसी हो जाएगी।_
– सभी पंजाबवासी किसानों के बंद को कामयाब करें : जाखड़
पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने वीरवार को सभी पंजाबियों से अपील की है कि वे किसानों की तरफ से शुक्रवार को बुलाए पंजाब बंद को हर स्तर पर कामयाब करके केंद्र की मोदी सरकार को बता दें कि पंजाबी इन कृषि विधेयकों को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे और इन्हें रद्द करवा के ही दम लेंगे। जाखड़ ने कहा कि भाजपा के गठजोड़ की केंद्रीय सरकार द्वारा कृषि सुधारों के नाम पर बनाए गए यह तीनों ही नए विधेयक न केवल किसानी बल्कि मजदूर, दुकानदार, व्यापारी, आढ़ती, उद्योगपति समेत पंजाब के हर वर्ग के लिए विनाशकारी साबित होंगे। पंजाब की आर्थिकता का धूरी किसान हैं और अगर किसानी ही तबाह हो गई तो इसका असर राज्य के हर वर्ग पर पड़ेगा। जाखड़ ने कहा कि अगर किसान की जेब खाली होगी तो बाजार भी सूने ही रहेंगे। अगर पंजाब का किसान खुशहाल होगा तो ही राज्य के अन्य वर्ग खुश रहेंगे।