– जी-जान लगाकर बचाया डाॅक्टरों ने

‘जिस दिन मैं और मेरे पिताजी कोरोना पाॅजिटिव आए, उसी दिन मेरे ताऊजी का निधन हो गया। दुर्भाग्यवश ऐसी स्थिति बनी कि मेरे पिता, अपने भाई की अर्थी को कंधा तक नहीं दे पाए। चिंता की यह लकीरें और भी गहरी होती गईं, जब पापा का आॅक्सीजन लेवल गिरने लगा। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां जाते ही इलाज शुरू हो गया और बेहतरीन व्यवस्थाओं ने हमारी मुसीबतों को कुछ कम किया। आज पिताजी स्वस्थ हैं और काम पर भी जाने लगे हैं।’
यह कहना है मुरलीधर व्यास नगर में रहने वाले विशाल पुरोहित का। पुरोहित ने बताया कि कोरोना काल के उन दर्दनाक लम्हों को कभी नहीं भूला जा सकेगा। वह दौर बेहद मुश्किल था। ऐसे में प्रशासन और सरकार ने संबल दिया। पिता के साथ विशाल भी कोविड अस्पताल में भर्ती रहे। उन्होंने बताया कि वहां चिकित्सकों की माॅनिटरिंग, दवाइयों की उपलब्धता, साफ-सफाई, भोजन एवं अल्पाहार सहित किसी प्रकार की व्यवस्था में कोई कमी नहीं थी। पिताजी के अस्पताल पहुंचने के साथ ही आॅक्सीजन चालू कर दी गई।

पिता विष्णुदत्त ने बताया कि कोरोना का काल उनके जीवन में बुरे स्वप्न की तरह आया और गहरे घाव दे गया। वह ऐसा वक्त था, जब कोई अपना भी मरीज के पास नहीं जा सकता था तब प्रशासन के अधिकारियों और डाॅक्टरों ने आगे आकर हमें बचाने के लिए जी-जान लगा दी। उन्होंने बताया कि इन प्रयासों ने जीवन की गाड़ी को एक बार फिर पटरी पर ला दिया है और अब एक बार फिर वह काम पर जाने लगे हैं।