– कोविड महामारी राजनीतिक पार्टियों, सरकारों और नेताओं के बीच वाहवाही लूटने, जनता में अच्छी छवि बनाने और सरकार की व्यवस्थाओं को बेहतरीन बताने की होड़ मची है। चाहे दिल्ली में केजरीवाल की सरकार हो या राजस्थान में गहलोत या केंद्र में मोदी की सरकार कोरोना को लेकर सब जनता बीच अपनी बेहतरी का दावा कर पीठ थपथपाने में लगे हैं। कोविड का सच औऱ व्यवस्था की खामियां किसी से कैसे छुप सकती है ? सरकारोें के बीच अपना काम बेहतर बताने की होड़ में एक दूसरे के खिलाफ आंकड़े छिपाने के आरोप प्रत्यारोप भी लगे हैं। कोरोना मानवीय त्रासदी है। राजनीति यहां भी कम नहीं है जो दुर्भाग्यपूर्ण औऱ मानवता के खिलाफ है।। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोरोना महामारी को लेकर सलाह है- ट्रेसिंग ( रोगी का पता लगाना), टेस्टिंग (जांच ), आइसोलेशन ( अलग रखना ) से महामारी को फैलने से रोका जा सकता है। इसकी पालना का स्तर कितना सन्तोषजनक है कहा नहीं जा सकता।। अभी भारत सरकार के आंकड़े कोरोना के घटते ग्राफ को दर्शा रहे हैं। राजस्थान का आकलन करें तो शिकायतें हैं कि जांच कम कर दी गई है। कम जांचों में पॉजिटिव ज्यादा आ रहे हैं। आंकड़ों का खेल भी चल रहा है। सरकार के स्टेट लेवल पर जारी आंकड़े औऱ जिला स्तर के आंकड़ों में भारी अंतर है। केंद्रों पर टेस्टिंग करने में आना कानी की शिकायत है। शंका उठती है कि सरकार की ओर से कम जांच करने, आंकड़ों में कमी दिखाने के मौखिक आदेश है ? ऐसा करना वाकई घातक नहीं है ? अगर ऐसा नहीं तो जांचे कम क्यों की जा रही है। कायदा तो यही कहता है कि साइंटिफिक तरीके से कोरोना की जांच, रोग के लक्षण पाए जाने पर ईलाज दिया जाए तो रोगी ठीक हो जाता किसी भी स्तर पर देरी से नुकसान होने की संभावनाएं अधिक होती है।। कोरोना जैसे रोग को छिपाना, या लापरवाही बरतना कितना घातक है यह बताने की जरूरत नहीं है। सरकार कोरोना रोगी की पहचान,जांच औऱ आइसोलेशन में मुस्तेदी बरते। नहीं तो हालत क्या होंगे कहा नहीं जा सकता। याद रखना कोविड में राजनीतिक खेल खेला तो जमाना माफ नहीं करेगा।