– अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर खाजूवाला में संवाद कार्यक्रम आयोजित

बीकानेर/खाजूवाला। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस. जितना लगाव हमें अपनी मां से होता है उतना ही अपनी भाषा से इसलिए शायद इसे मातृभाषा कहा जाता है. यानी अपनी जबान का सम्मान करने के दिन के रूप में इसे दुनियाभर के लिए मनाते है। यह उद्गार जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में पूर्व विधायक एवं पूर्व संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने कही। डॉ. मेघवाल ने कहा कि युनेस्को ने सन् 1999 में प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। भारत के लिए एक बड़ी ही मशहूर कहावत है,
कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी.
यानी भारत में हर चार कोस पर भाषा बदल जाती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती होंगी। मेघवाल ने कहा कि बच्चे का शैशव जहां बीतता है, उस माहौल में ही जननी भाव है। मेघवाल ने कहा कि हिन्दी का मातृभाषा शब्द दरअसल अंग्रेजी के मदरटंग मुहावरे का शाब्दिक अनुवाद है। डॉ. मेघवाल ने संस्थान के कार्यक्रमों की सराहना करते हुए कहा कि वे सदैव संस्थान के सहयोग के लिए तैयार है।

इसी क्रम में खाजूवाला सरपंच श्रीमती विपुल ज्यानी ने कहा कि जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर महिलाओं एवं पुरुषों को कौशल प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार की ओर प्रेरित करता है।
इस मौके पर संस्थान द्वारा पूर्व में संचालित कटिंग एंड टेलरिंग, मेकअप, कंप्यूटर एपलीकेशन आदि प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र अतिथियों के कर कमलों से वितरित किये गये। कंप्यूटर रिसोर्स पर्सन जगविन्द्र सिंह ने कहा कि जब हमनें हाथ का हुनर प्राप्त किया है तब हमें इसे अपनी आजीविका का मुख्य आधार बनाना चाहिए। आज ई-मार्केंटिंग का युग है। इसलिए आज पूरा विश्व ही हमारा बाजार है। इसलिए अपने हुनर में बाजार की मांग के अनुसार निरंतर कुशलता लाते रहें।
कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने कहा कि हमें अर्जुन की तरह एकाग्र होकर अपना लक्ष्य हासिल करना है। अपने हुनर के आधार पर अपने द्वारा तैयार किए जाने वाले किसी विशेष वस्त्र को ब्रांड के रूप में स्थापित करना चाहिए।
इस अवसर पर संस्थान के कार्यक्रम सहायक तलत रियाज और उमाशंकर आचार्य ने जन शिक्षण संस्थान के कार्यों की जानकारी देते हुए प्रशिक्षुओं को स्वयं सहायता समूह के रूप में कार्य करने की जानकारी दी।

संदर्भ व्यक्ति श्रीमती रेशमा सुथार, जसवीर कौर, जसविन्द्र कौर, राजवीर कौर ने प्रशिक्षण केन्द्र पर सीखे गए कार्यों से आगंतुकों को अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम का संचालन संदर्भ व्यक्ति जगविन्द्र सिंह ने किया।
आयोजन में क्रय विक्रय सहकारी समिति के चेयरमैन भागीरथ ज्यानी, गोपाल गौ शाला अध्यक्ष शंकरलाल पारीक, समाजसेवी राधेश्याम पारीक, मक्ख्न सिंह राठौड़ आदि की सक्रिय सहभागिता रही।