– भ्रस्टाचार के प्रति गहलोत सरकार उदासीन

वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी की कलम से

लगता है राज्य सरकार की भ्रस्टाचार और घोटालों को समाप्त करने में कतई रुचि नही है । इसलिए पिछले करीब एक साल से रिक्त पड़े लोकायुक्त पद पर नियुक्ति करने मे सरकार की कोई रुचि नही है । लोकायुक्त के अभाव में लोकायुक्त सचिवालय में सारा कामकाज लगभग ठप्प पड़ा है ।

न्यायाधीश सज्जन सिंह कोठारी द्ववारा यह पद छोड़ने के बाद एक साल से लोकायुक्त का पद रिक्त है । जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार बार भ्रस्टाचार मिटाने और उस पर अंकुश लगाने की पैरवी करते रहते है ।

राज्य सरकार ने पिछले साल लोकायुक्त एक्ट में संशोधन कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 वर्ष से घटाकर पुनः 5 वर्ष कर दिया था । कोठारी को 25 मार्च, 2013 में गहलोत सरकार ने 5 साल के लिए नियुक्त किया था । कोठारी का कार्यकाल पूरा होता उससे दो दिन पूर्व 23 मार्च, 2018 को अध्यादेश के जरिये तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 8 वर्ष कर दिया ।

वसुंधरा सरकार के इस फैसले का अशोक गहलोत ने जमकर विरोध किया । वसुंधरा के अपदस्थ होने पर गहलोत सरकार ने कार्यकाल 8 से 5 तो कर दिया । लेकिन किसी की इस पद पर नियुक्ति नही की । परिणामतः लोकायुक्त सचिवालय इन दिनों निष्क्रिय पड़ा हुआ है तथा सरकार की फिलहाल इस पद पर किसी को नियुक्त करने की मंशा भी नही है ।