लेकिन कलेक्टर मीडिया को संतोष जनक जवाब नही दे पाये। तब इस घटना की सम्पूर्ण जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी गई। जहा तुंरत कार्यवाही के करने की जानकारी मिली। उसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर ने आनन फानन में अमृता सोसायटी द्वारा जो चंदा लिया गया उसे राजकोष में जमा करने के आदेश कलेक्टर ने फरमा दिया। मीडिया की सजक्ता के चलते अब बची हुई औऱ भी ऐसी संस्थानों पर गाज गिरेगी जो कोरोना जैसी माहमारी की आड़ में चंदा वसुली के लिए अपनी अपनी दुकानें सजा रखी है। इस खबर के बाद जनपद में खुशी की लहर दौड़ गई है। गौरतलब है कि झुंझुनूं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के कार्यालक द्वारा अमृता सोसायटी में दान देने वालो के नाम प्रकाशित किये जा रहे थे। जो कि पूरी तरह से नियमो के विरुद्ध थे। प्राइवेट संस्थानों के समाचार इस कार्यालय द्वारा जारी हो रहे है। गौरतलब है कि इस अमृता सोसायटी में चंदा देने की अपील भी सूचनाकेन्द्र द्वारा एक विज्ञापन के द्वारा की जा रही थी।
जिसमे प्रशासन के बड़े अधिकारियों के नाम व मोबाईल नम्बर भी उस विज्ञापन में ऐड किये गये थे। जिसके चलते जनपद के भामाशाह दानदाता भृमित हो गये। जिसके चलते सोसायटी संचालक ने भरपूर बड़ी मात्रा में चंदे की रशीद काट डाली। झुंझुनूं की मिडिया आमजन से जनहित को देखते हुए। फिर से एक बार पुनः अपील कर रही है कि कोरोना के नाम पर दानदाता,भामाशाह जो भी सहयोग करना चाहते है वो लोग खुलकर सामने आये तथा राज्य के मुख्यमंत्री सहायता कोष में अपना सहयोग जमा करवाये। या फिर प्रधानमंत्री कोष या कलेक्टर कोष कार्यालय में अपना दान जमा करवाये। किसी भी प्राइवेट एनजीओ को कोरोना के नाम पर चंदा नही देवे।