चौहटन। हर कोई अस्पताल में इस उम्मीद से आता है कि वह अपनी बीमारी ठीक करवाएगा और स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटेगा। लेकिन यदि आप चौहटन के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अस्पताल में आ रहे हैं या फिर आसपास रह रहे हैं तो आप किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। जी हां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के पीछे की तरफ आम रास्ते पर ही बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है।

खुले में पड़े बायो मेडिकल वेस्ट में आवारा पशु मुंह मारते रहते हैं और मार्ग से निकलने वाले राहगीरों के पैरों में कई बार संक्रमित सुईयें चुभ जाती है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य के प्रति कितना सतर्क है। दी बाड़मेर सेन्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के सामने की गली के किनारे पड़ा बायो मेडिकल वेस्ट लोगों के लिए खतरे की घंटी बन गया है। जहां पर बायो मेडिकल वेस्ट फेंका जा रहा है, उसके कुछ दूरी पर ही रहवासी बस्ती है तथा पुरे दिन इस मार्ग पर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इस कारण यहां पर सैकड़ों वो लोग भी आते हैं, जो बीमार नहीं हैं और अनजाने में भयानक बीमारियों के संक्रमण से घिर रहे हैं ।

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हर रोज अस्पताल से प्लास्टिक की बोतलें, इस्तेमाल की गई सींरेज, जच्चा वार्ड से निकला हुआ कचरा फेंका जाता। इससे इंफेक्शन व गंभीर बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। अस्पताल प्रशासन द्वारा फेंक गया कचरा उठाने वाले नप कर्मचारियों का कहना है कि इसमें जच्चा वार्ड का कचरा अधिक होता है। जिसको उठाने में उन्हें भी इंफेक्शन का डर हमेशा रहता है।

उपखंड स्तर बने हास्पिटल में दूर-दराज के गांवों से लोग इलाज कराने आते हैं. लेकिन इस हास्पिटल में आपको बीमार करने का भी पूरा इंतजाम है. जी हां, हास्पिटल में मरीजों को इंजेक्शन देने के बाद सीरिंज खुले में खुलेआम फेंक जा रहा है. इससे कई लोग घायल भी हो चुके हैं. हास्पिटल प्रबंधन की इस लापरवाही से लोगों को इंफेक्शन का डर सता रहा है. हास्पिटल में बायो मेडिकल वेस्ट का भी डिस्पोजल प्रॉपर तरीके से नहीं किया जा रहा है. इसके बावजूद बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल को लेकर हॉस्पिटल मैनेजमेंट गंभीर नहीं है.

खुले में बायोमेडिकल वेस्ट फेंकने से इंफेक्शस डिजीज फैलने का खतरा बढ़ गया है. चूंकि हास्पिटल में आने वाले हर बीमारी के मरीजों को इंजेक्शन लगाया जाता है. ऐसे में अगर किसी मरीज को इंजेक्शन लगाने के बाद सीरिंज को फेंक दिया जाता है, तो सीरिंज की चपेट में आने से उसे भी इंफेक्शन होने की आशंका है. नियम के अनुसार, हास्पिटल मैनेजमेंट को बायोमेडिकल वेस्ट का अलग-अलग कलेक्शन करने के बाद उसका डिस्पोजल करना है. इसके लिए एजेंसी को भी हायर किया गया है. लेकिन एजेंसी के स्टाफ्स डिस्पोजल करने की बजाय कचरा जहां-तहां फेंक रहे हैं।
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यह है नियम

बायो मेडिकल वेस्ट नियमानुसार अलग-अलग रंग के डिब्बों में डाला जाता है। उसी के हिसाब से इलेक्ट्रानिक भट्टी से बायो मेडिकल वेस्ट जलाना होता है। भट्टी की चिमनी कम से कम 200 फुट ऊंची होनी चाहिए,ताकि पर्यावरण प्रदूषण न हो पाए। शहर के अधिकांश प्राइवेट अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट को शहर से बाहर भेजते हैं और इसके लिए बाकायदा एक कंपनी की गाड़ी आती है।
बायो मेडिकल वेस्ट खुले में डालने से कुत्ते व सुअर इंसानी मांस व रक्त से लथपथ रुई को खाकर ंिहसक हो रहे हैं। इस कचरे में पड़ी सुइयां उनके जीवन के लिए भी खतरा बनी हुई हैं।

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