शेर की मांद में हाथ डालना इनका शगल है
रिपोर्ट – हरप्रकाश मुंजाल , अलवर ।

हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में महेश झालानी का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है । पिछले 40 वर्षों से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय महेश झालानी उत्कृष्ट और खोजी पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित माणक अवार्ड से सम्मानित हो चुके है । इसके अतिरिक्त उन्हें श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिए राज्य सरकार एवँ अलवर जिला पत्रकार संघ की ओर से 1988 में अलवर के तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री सुनील अरोड़ा भी सम्मानित कर चुके है ।

अलवर जिला के खैरथल कस्बे में 15 जून, 1955 को महाजन परिवार में जन्मे महेश झालानी की प्रारंभिक शिक्षा खैरथल कस्बे में ही हुई । तत्पश्चात उच्च शिक्षा के लिये अलवर आगये । इन्होंने स्नातक व पत्रकारिता में राजस्थान विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की । इन्हें कभी कॉलेज जाने का मौका हासिल नही हुआ । कक्षा 9 के बाद की सारी शिक्षा इन्होंने प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर हासिल की ।

करीब 7 साल तक सरकारी नौकरी करने के बाद ये नवभारत टाइम्स में रिपोर्टर पद पर नियुक्त हुए। झालानी खैरथल कस्बे के पहले पत्रकार है जहाँ इससे पहले कोई पत्रकार नही था । बचपन से ही इन्हें लिखने का शौक था । इनकी कई कविता और कहानी पराग, नंदन के अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित बच्चो की पत्रिका शायद बालक में प्रकाशित हुई ।

लेखन के अलावा इन्हें पत्रकारिता का भी शौक था जो आज भी है । जब ये सरकारी नौकरी में थे, तब दिनमान में एक कवर स्टोरी “अलवर के प्राचीन महलों का अवैध व्यापार” प्रकाशित हुई थी । इस कवर स्टोरी के कारण इन्हें तत्कालीन कलेक्टर श्री अभिमन्यू सिंह ने निलम्बित कर दिया । करीब दो साल जांच के बाद नए कलेक्टर ने श्री पीसी जैन ने न केवल इन्हें बहाल किया बल्कि सभी आरोप से मुक्त भी कर दिया । बाद में इन्होंने अपना तबादला जयपुर स्थित अल्प बचत विभाग में करवा लिया ।

मूल रूप से खैरथल निवासी झालानी को प्रायः अलवर आना-जाना लगा रहता था । जब ये केवल 19 वर्ष के थे तभी यानी 1975 में राजस्थान पत्रिका के खैरथल से संवाददाता नियुक्त हुए । लेकिन उस पत्रिका की प्रसार संख्या दैनिक नवज्योति के मुकाबले बहुत कम थी । पत्रिका छोड़कर कुछ महीनों बाद ये दैनिक नवज्योति के संवाददाता बन गए ।

इसके बाद इन्होंने खैरथल से एक साप्ताहिक पत्र भी प्रकाशित किया । तत्पश्चात ये समाचार एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार को अपनी सेवाएं देने लगे । कुछ ही दिनों में ये हिन्दुस्थान समाचार के ख्यातिप्राप्त पत्रकार बन गए । इनके समाचार देश के लगभग सभी अखबार जिनमें नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, जनयुग, वीर अर्जुन, अमर उजाला, पत्रिका, दैनिक नवज्योति, न्याय, जलतेदीप, नई दुनिया, जागरण आदि में प्रकाशित होते थे । इसके अलावा झालानी ने अरुणप्रभा में भी कार्य किया । उस वक्त यह दैनिक अखबार प्रारम्भ ही हुआ था । ईशमधु तलवार इसके संपादक थे । इस अखबार की एक विश्वसनीयता थी जो आज भी बरकरार है ।झालानी की पत्रकारिता को परिष्कृत करने में ईशमधु तलवार, राजेश बदल ,मनोज भटनागर, सीताराम झालानी, त्रिलोक दीप के अलावा स्व. श्रीप्रकाश, राजू जी (राजहंस शर्मा) तथा बृहस्पति शर्मा का बहुत बड़ा योगदान रहा है । इनके अलावा नवभारतटाइम्स के सम्पादक रहे स्वर्गीय श्री श्याम अचार्य व दीनानाथ मिश्र के अलावा श्री महेश जोशी समाचार सम्पादक के प्रति कृतज्ञ हैं । जोशी जी के बारे में बताते हैं वो इन्हें बहुत डांटते थे लेकिन सबसे ज्यादा पुरस्कार भी इन्होंने ही दिए । जोशी जी इन दिनों अपने परिवार के साथ इंदौर रह रहे हैं । और सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं ।

झालानी का विवादों से चोली दामन का साथ रहा है । जब यूएनआई ने अपनी हिंदी समाचार एजेंसी “यूनीवार्ता” प्रारम्भ की तो वे राजस्थान में अलवर से पहले संवाददाता नियुक्त हुए । इन्हें यूनीवार्ता के महाप्रबंधक श्री जीजी मीरचंदानी ने नियुक्ति पत्र दिया । इस पर अलवर से प्रकाशित अखबार अरानाद ने झालानी को फर्जी संवाददता बताया । लेकिन एक अन्य दैनिक ने मीरचंदानी के पत्र को प्रकाशित कर अरानाद की बोलती बंद करदी । इसी समाचार पत्र ने झालानी के निलंबन की खबर हैडलाइन के तौर पर प्रकाशित की ।

जब अलवर से जगदीश शर्मा जी जयपुर चले गए तो राजस्थान पत्रिका ने झालानी को संपूर्ण अलवर जिले का संवाददाता नियुक्त कर दिया । उस समय स्व अशोक शास्त्री दैनिक नवज्योति , रसिक बिहारी जी नवभारत टाइम्स, कृष्ण अवतार गौड़ राष्ट्रदूत, रामकिशोर कौशिक जनयुग तथा हरीश जैन वीर अर्जुन और पंजाब केसरी के संवाददाता थे । झालानी के जोधपुर जाने के बाद स्व अशोक शास्त्री राजस्थान पत्रिका के संवाददाता नियुक्त हो गये ।

यह शायद 1978 की बात है । जब झालानी पुनर्वास विभाग, जोधपुर में कार्यरत थे, तब ये शाम को दैनिक जलतेदीप में भी जाया करते थे । इस दौरान इन्होंने जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट्स आदि पर खूब लेख लिखे जो मुक्ता, भू भारती तथा हिंदुस्तान आदि में प्रमुखता से प्रकाशित हुए । इस दौरान तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री श्री विज्ञान मोदी, खाद्य मंत्री बिरद मल सिंघवी तथा वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अक्सर मुलाकात हुआ करती थी । गहलोत उस वक्त स्टूडेंट पॉलिटिक्स करते थे ।

वैसे तो झालानी ने हर जगह चौके-छक्के खूब लगाए । इनकी आक्रामक बॉलिंग से इनके साथी बहुत घबराते थे । जब तक अन्य कोई पत्रकार समाचार बनाने का विचार करता, तब तक झालानी बगल में थैला लटकाकर जयपुर पहुँच जाया करते थे । खबरों के प्रति जनून नही, गजब का पागलपन था । जयपुर में इन्हें दैनिक न्याय के माध्यम से एक नई पहचान मिली ।

नवभारत टाइम्स ने झालानी को एक नई पहचान दी जिसे लोग आज तक नही भूले है । नभाटा में रहते हुए इन्हें 1987 में उत्कृष्ट एवं खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए राजस्थान का सर्वाधिक प्रतिष्ठित “माणक अवार्ड” हासिल किया। नभाटा में पांच साल के दौरान झालानी के 410 समाचार बाइलाइन के साथ प्रकाशित हुए । यह अपने आप मे एक कीर्तिमान है । नभाटा में सुरेश गुप्ता मर्डर केस, लॉटरी घोटाला, पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक, राजीव गांधी, तत्कालीन वित्त मंत्री स्व वीपी सिंह का इंटरव्यू, जमीन घोटाले तथा कई आईएएस अफसरों के काले कारनामो को उजागर करने पर झालानी को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई ।

जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक जयपुर आये तो झालानी ने इनका इंटरव्यू लेकर पूरे देश मे सनसनी पैदा कर दी । जिया का इंटरव्यू लेने वाले झालानी समूचे देश मे एकमात्र पत्रकार रहे है । झालानी बताते हैं यह इंटरव्यू नभाटा के अलावा टाइम्स ऑफ इंडिया सहित पाकिस्तान के जंग, डॉन, अमेरिका के न्यूयार्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट सहित देश विदेश की कई एजेंसियों ने लिफ्ट किया । इनका दावा है की करीब 12 साल तक इस्लामाबाद में टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददता सीएल शर्मा तथा बीबीसी के मार्क टुली भी जिया का इंटरव्यू लेने में कामयाब नही हो पाए । इस इंटरव्यू के स समय गवाह थे केंद्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा और टाइम्स ग्रुप के फोटोग्राफर स्व अमोलक पाटनी ।

झालानी एक और रोचक क़िस्सा सुनते हैं उन के पास एक दिन दोपहर को करीब 3 बजे देश की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के एक अधिकारी का फोन आया कि वीपी सिंह के जयपुर में होने की खबर है । खबर कितनी पुख्ता है, कह नही सकता । उस समय रॉ का ऑफिस बरकत नगर स्थित किसान मार्ग पर था । इतने बड़े शहर में वीपी सिंह को ढूंढना भूसे में से सूई तलाशना जैसा दुष्कर कार्य था । दो तीन घंटे की भागदौड़ के बाद झालानी ने वीपी सिंह को ढूंढ निकाला । लक्ष्मी कुमारी चूंडावत का बड़ा पुत्र एसएमएस के कॉटेज नम्बर एक मे भर्ती था । वहाँ वी पी सिंह उनसे मिलने आये थे ये भी कॉटेज पहुच गए लेकिन असली परेशानी थी कॉटेज के अंदर जाने की । खैर ! जैसे तैसे झालानी अंदर गए । एक-दो घंटे उनसे खूब बात हुई ।

उस वक्त बोफोर्स के कारण वीपी सिंह और राजीव गांधी के बीच अनबन के चलते सिंह ने वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था । इस मायने इनका इंटरव्यू बहुत मायने रखता था । झालानी से वीपी सिंह इसलिए प्रभावित हुए कि उनकी लोकेशन का झालानी को पता कैसे लगा । एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के अलावा उन्होंने झालानी को अपनी हस्तलिखित कविता भी दी । यह समाचार भी जिया उल हक की तरह दुनिया भर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में लीड स्टोरी के रूप में प्रकाशित हुआ ।

इस समाचार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बोफोर्स के चेयरमैन माइकल हर्शमैन ने बयान दिया कि यदि भारत सरकार ने वीपी सिंह को परेशान करने का प्रयास किया तो उन्हें तुरुप का इक्का खोलने के लिए बाध्य होना पड़ जायेगा । अगले दिन वीपी सिंह को दिल्ली जाना था । फ्लाइट लेट थी । वीपी ने नभाटा के ऑफिस फोन कर झालानी को एयरपोर्ट भेजने का आग्रह किया । झालानी तुरन्त एयरपोर्ट पहुंचे जहां वीपी ने बयान दिया कि यह भारत का आंतरिक मामला है । माइकल हर्शमैन को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नही है ।

झालानी द्वारा लॉटरी विभाग के भंडाफोड़ से तो अधिकांश लोग परिचित होंगे । राजस्थान सरकार ने एक नई लॉटरी “अल्लादीन” लांच करने के लिए एक भव्य समारोह आयोजित किया । इस अवसर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया गया । भारी संख्या में मीडिया वाले उपस्थित थे । मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी और लॉटरी मिनिस्टर शीशराम ओला को भी इस समारोह में शिरकत करनी थी । झालानी ने सभी प्रेस वालो को एक बन्द लिफाफा थमा दिया । लॉटरी का रिजल्ट घोषित किया गया । प्रथम पुरस्कार का नम्बर वही था जो झालानी ने प्रेस वालो को लिफाफे में बंद करके दिया था ।

इसके बाद जो हुआ, अकल्पनीय था । विशिष्ट सचिव (वित्त) गोपेश भट्ट, डिप्टी सेक्रेटरी राजीव महर्षि आदि अफसरों का घेराव कर लिया । आरएसी और पुलिस तैनात करदी गई । टेंट जला दिए गए और जबरदस्त आगजनी हुई । पूरे इलाके को छावनी बना दिया गया । पुलिस पहरे में अफसरों को सुरक्षित स्थान पहुंचाया । बाद में सीबीआई ने इन्क्वारी की । झालानी के बयान हुए और सीबीआई अधिकारियों के समक्ष घोटाले का प्रदर्शन हुआ । तत्पश्चात केंद्रीय वित्त मंत्री मधु दंडवते तथा प्रधानमंत्री वीपी सिंह के समक्ष भी झालानी ने फर्जीवाड़े का फंडाफोड़ किया । झालानी की रिट याचिका पर केंद्र सरकार ने कानून बनाकर पूरे देश मे लॉटरी पर प्रतिबंध लगा दिया ।

राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री नही रहे तो उन्होंने पूरे देश मे भ्रमण का कार्यक्रम बनाया । इसकी शुरुआत इन्होंने भरतपुर से की । भरतपुर में जनसभा को संबोधित करने के बाद लोकल ट्रेन से जयपुर के लिए रवाना हुए । भरतपुर रेलवे स्टेशन पर अभूतपूर्व भीड़ थी । तत्कालीन डीआईजी पी एन रछोया के सहयोग से झालानी उसी डब्बे में घुस गए जिसमे राजीव गांधी थे । राजीव गांधी के अलावा डिब्बे में स्व राजेश पायलट, एचकेएल भगत, हीरालाल देवपुरा तथा अशोक गहलोत आदि भी मौजूद थे । झालानी के लिए लम्बा इंटरव्यू लेने का इससे अच्छा कोई अवसर नही हो सकता था ।

झालानी की दिक्कत यह थी कि उस वक्त अंग्रेजी में उनका हाथ बहुत तंग था । राजीव के बारे में पता नही था कि वे अंग्रेजी में बात करते है या हिंदी में । झालानी ने गहलोत से आग्रह किया कि उनका राजीव गांधी से परिचय कराए । लेकिन गहलोत ने कोई रुचि नही दिखाई । बाद में राजेश पायलट ने झालानी का परिचय राजीव गांधी से करवाया । ट्रेन के डिब्बे में झालानी के अलावा कोई अन्य पत्रकार था नही । इसलिए खुलकर बातचीत हुई ।

ट्रेंन जब बांदीकुई पहुंची तो मूसलाधार बारिश प्रारम्भ होगई । यातायात अस्त-व्यस्त । झालानी बांदीकुई उत्तर तो गए, लेकिन दिक्कत यह थी कि अब जयपुर कैसे पहुंचा जाए । ट्रेन के पहुंचने का कोई ठिकाना नही था । जगह जगह चेन पुलिंग हो रही थी । लोग राजीव की एक झलक पाने के लिए बेताब हो रहे थे । राजीव से हुई बातचीत उसी दिन के अंक में प्रकाशित होना जरूरी था । जयपुर के लिए कोई साधन नही था । आखिरकार एक परिचित से मोटरसाइकिल लेकर झालानी रात को करीब नो बजे जयपुर पहुंच गए । जाहिर है कि आठ कॉलम में यह लीड स्टोरी लगी “सरकार खुद अपने कुकर्मो से गिर जाएग्गी” । सम्भवतया वीपी सिंह उस वक्त प्रधानमंत्री थे ।

हालांकि झालानी शुरू से ही बड़े विवादास्पद रहे है । लेकिन नभाटा के प्रधान संपादक स्व राजेन्द्र माथुर और कार्यकारी संपादक स्व एसपी सिंह झालानी से बेहद लगाव रखते थे । कई मामलों में विवाद होने के बाद भी दोनों झालानी की पत्रकारिता से काफी प्रभावित थे । स्वर्गीय माथुर जी इनके विवाह समारोह में शरीक होंने के लिए विशेष रूप से जयपुर आये । आना तो एसपी सिंह को भी था, लेकिन उनके किसी रिश्तेदार के निधन के कारण वे नही आ सके ।

एसपी सिंह जब आज तक के संपादक बन गए तो उन्होंने झालानी को दिल्ली आने के लिए कहा । झालानी की पत्नी जयपुर में कार्यरत होने के कारण उन्होंने बड़ी विनम्रता से एसपी के ऑफर को अस्वीकार कर दिया । झालानी राजस्थान से संडेमेल के विशेष संवाददाता भी रह चुके है । इसके अलावा इन्होंने सांध्यकालीन दैनिक नया राजस्थान का भी प्रकाशन किया । यह अखबार काफी सफल रहा । आर्थिक संकट के चलते हुए इसे बंद करना पड़ा । राजस्थान पत्रिका ने भी झालानी को अपने यहां नियुक्त किया । पत्रिका के इतिहास में पहला लिखित नियुक्ति पत्र झालानी को दिया गया । अपरिहार्य कारणों से ये पत्रिका जॉइन नही कर पाए ।

झालानी के अनेक लेख देश विदेश की विभिन्न महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिका जैसे धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान, हिंदुस्तान, राजस्थान पत्रिका, सन्डेमेल, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रदूत, दैनिक नवज्योति, डॉन, लांस एंजिल टाइम्स में प्रकाशित हो चुके है ।इसके अलावा इन्होंने कई पीआईएल दाखिल की जिनमे निर्णय इनके पक्ष में ही आया । फिलहाल ये स्वतन्त्र लेखन के अलावा कुछ न्यूज पत्रो और चैनलो को समाचार प्रेषित कर रहे है ।

( यह आलेख महेश झालानी जी से बातचीत पर आधारित है ।)