रीता सिंह की कलम से…✍🏻

जनाब,शहर की सड़कों की हालत वैसी नहीं हैं। जैसा कि सरकार बोलती है या कागजो में उच्च गुणवत्ता का विवरण है।

हकीकत कारण गड्ढे में सड़क है, या फिर सड़क में गड्ढे यह पता भी नहीं चलेगा। इनमें कुछ तो डेंजर जोन के रूप में मुंह बाए खड़ी है। शहर की हालत ऐसी है कि सड़कों पर कभी सीवरेज का पानी जमा रहता है,तो कभी बारिश का। ऐसे में इन गड्ढों वाली सड़कों की हालत ऐसी बन चुकी है कि:-
सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।
हास्यास्पद तो यह है कि यह गड्ढे युक्त सड़के जिलों के प्रशासन को दिखाई दे रहा है और नगर निगम को भी। लाखों खर्च कर बनाई इन सड़कों की दशा और दुर्दशा को देखने वाला कोई नहीं है। दिन के समय में तो फिर भी गनीमत है, पर रात का सफर तो बिल्कुल ही नहीं।
जो हादसों को निमंत्रण दे रही हैं।

हमारे जीवन मे सड़को का महत्व:-

हमारे जीवन में सड़कों का कितना महत्त्व है ये हम सभी जानते हैं |

पर हमारे भारत देश में सड़कों के रख रखाव की तरफ प्रसाशन का ध्यान क्यूँ नहीं जाता?

सड़कों पर इतने गड्डे होते हैं कि आये दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं। ऐसा नहीं है कि सड़के ठीक नहीं होती | ज़ब भी नई सड़क बनती है या पुरानी टूटी सड़कों की मरम्मत होती है तो लोगो के मन मे एक ही खुशी होती है कि चलो टूटी सड़को की मरम्मत से गड्डे बंद हो गये। दुर्घटना नही होंगी सुरक्षित चल सकेंगे।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है?

कि आखिर उच्च गुणबत्ता की सड़क पहले से ही क्यों नही बनती सड़क बनने के कुछ महीने बाद ही टूटने लगती है या उसको दुबारा से खोद दिया जाता है |

कारण :-

कभी पाइप डालने के लिये या फिर विधुत लाइट की केवल को डालने या कभी किसी अन्य कारण के लिये |
और फिर अच्छी खासी सड़क फिर से उबड़ खाबड़ हो जाती है | फिर कुछ महीनों बाद उसी सड़क में फिर से जगह जगह गड्डे हो जाते हैं | देश में कुछ शहरों के हालात बहुत ही खराब है।
बारिश में सड़कों पर पानी भरने के बाद पता ही नहीं चलता कि कहाँ गड्डे हैं | नतीजा ये होता है कि दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं |

“अब सवाल ये है कि आम लोगो की टेक्स में भागीदरी” क्यो?

!! इतना टैक्स भरने के बाद भी यदि घर से बाहर जाते समय हम सुरक्षित नहीं हैं तो क्या फायदा टैक्स भरने का !!

सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए!

सड़क बनने के बाद जिस विभाग के लोग चाहे जल विभाग या विधुत विभाग पाइप डालने के लिये सड़क खोदते हैं जो इसकी जिम्मेदारी उनकी बनती है
सड़क निर्माण विभाग को उनसे नोटिस द्वारा हर्जा खर्चा लिया जाए ।या जो भी सड़क को तोडे उसे परमिशन लेकर कार्य करना चाहिए। ताकि सड़क तोड़ने के बाद उसको फिर से सही किया जाये | जिससे आमजन को परेशानी न हो सड़क पर जहाँ भी गड्ढा दिखे तुरंत उसको भरवाना चाहिए |
इसकी जिम्मेदारी ट्रैफ़िक विभाग की भी नियमों के विरुद्ध शहर के घने आवादी क्षेत्र में भारी वाहनों का प्रबेश बन्द करने पर ध्यान देना चाहिए।

जगह जगह सड़क के गड्डे चेक करने के लिये विभाग में एक अलग से टीम नियुक्त करे
जिससे समय समय पर सड़को को चेक करे व उस ऑफिस लोग अपने आसपास होने वाले सड़कों के गड्डो की शिकायत दर्ज करा सकें और शिकायत पर तुरंत टीम को भेज उसकी मरम्मत करे। सड़कों के गड्डो की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी वहां के शासन प्रसाशन की होनी चाहिए और उन पर जुर्माना भी लगना चाहिए | दुर्घटनाओं पर होने वाला खर्चा भी उसी सम्बन्धित विभाग की तरफ से होना चाहिए। तभी सड़के सही हाल में हो सकेंगी और दुर्घटनाओं पर काबू पाया जा सकेगा |

ट्रैफ़िक नियमों का उलंघन करने वालों से शुल्क वसूला जाता है
पर सड़कों की खस्ता हालत का जिम्मेदार कौन?

लोगों की सुरक्षा के लिये हेलमेट सीट बेल्ट जैसे नियम बनाये जाते हैं तो खस्ताहाल सड़कों पर लोगों की सुरक्षा की चिंता क्यूँ नहीं होती ? क्यूँ सरकार का ध्यान सड़कों पर नहीं जाता ?

नोट-लेखक के अपने विचार है।

“रीता सिंह”
स्वतंत्र लेखिका….✍🏻
बैंगलोर