जयपुर।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक कुशलता के आगे दम तोड़ती भाजपा में आपसी कलह तेज होता जा रहा है। खंड-खंड में बांटती जा रही भाजपा जहां कमल खिलाने की बात करती थी, गहलोत के सामने मुरझा गई है। देश के कई प्रांतों में जहाँ भाजपा संगठन के मजबूत होने के समाचार पढ़ने में आते हैं, राजस्थान में भाजपा की कमजोर होती छवि अशोक गहलोत की क्षमताओं को दिखाती है। असल में भाजपा के पास गहलोत के लेवल का नेता नहीं है। चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे से गहलोत का मुकाबला करना यही दिखाता है कि बाकी नेता दूसरी कतार हैं, फिर चाहे सतीश पूनिया हों या राजेंद्र राठौड़ या गुलाबचंद कटारिया। दिन में खूब बयानबाजी करने वाले इन नेताओं को गहलोत किस प्रकार से विधानसभा में निरुत्तर करते हैं यह मीडिया में सभी जानते हैं। अखबार में खबरों में अपनी जगह बनाने के प्रयास में यह नेता किसी प्रकार से गहलोत के लिए चेलेंज नहीं हैं।इधर वसुंधरा राजे की भाजपा कार्यक्रमों से दूरी बनी हुई है। आज राजे विधायक दल की बैठक में नहीं आईं। वैसे उनके न आने की पूर्व सूचना थी और उन्होंने व्यक्तिगत पारिवारिक कारणों के चलते बैठक में न आने की सूचना दे दी थी लेकिन वे पिछले दिनों हुई कोर कमेटी की बैठक में भी नहीं आईं थीं। कुल मिलाकर यह स्पष्ट है कि भाजपा अभी तक गहलोत के आगे फेल साबित हुई है। अब मोदीजी के नाम पर ही लोकल और प्रदेश की राजनीतिक लड़ाई गुटों में बंटी भाजपा लड़ेगी क्योंकि उसके पास गहलोत का सामना करने के लिए उपयुक्त खिलाड़ी ही मैदान में नहीं है।