— हेम शर्मा –

राजस्थान में मन्त्री मण्डल में फेरबदल , संगठन और सत्ता में नियुक्तियां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही होती जान पड़ती है, क्योंकि राष्ट्रीय कांग्रेस को पंजाब में बदलाव करने के निर्णय से निराशा ही हाथ लगी है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की थू थू हुई हैं। वहीं कांग्रेस कमजोर पड़ गई है। राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के दबाव में बदलाव का यह निर्णय कांग्रेस की साख पर औऱ बट्टा लगाने वाला साबित हुआ है।। कांग्रेस आला कमान राजस्थान को लेकर अगर निर्णय में परिपक्वता नहीं दिखा पाता है तो हश्र औऱ बदतर होने हैं। असन्तुष्ट को संतुष्ट करने की कोशिश में कांग्रेस राजस्थान में भी अपना वर्चस्व खो सकती है। आला कमान गहलोत के नेतृत्व में सत्ता- संगठन में आगामी चुनावों के हिसाब से सियासी समीकरण तय करके राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता को बरकरार रख सकती है। हालांकि कांग्रेस की ओर से यह संकेत दे दिए गए हैं कि राजस्थान में पंजाब से भिन्न स्थिति हैं । पंजाब में विधायक मुख्यमंत्री बदलना चाहते थे, राजस्थान में पार्टी के असंतुष्ट विधायकों को मुहँ की खानी पड़ी है। पंजाब के प्रधान नवजोत सिध्दू के इस्तीफे से राजस्थान की राजनीति में हर स्तर पर मनोवैज्ञानिक असर हुआ है। कांग्रेसी मानने लगे हैं जो भी होगा गहलोत के नेतृत्व में ही होना है। राजस्थान में मंत्री मण्डल में बदलाव के अलावा राजनीतिक नियुक्तियां, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश कार्यकारिणी, जिला व ब्लाक स्तर पर संगठन की नियुक्तियों के बीच सचिन पायलट औऱ समर्थकों को एडजस्ट करना भी एक अहम मुद्दा है। जो बदले हालातों ज्यादा कठिन नहीं लगता। फिर तो राजनीति का ऊँट किस करवट बैठेगा समय ही बताएगा।