– शिक्षामंत्री के घर के बाहर देंगे धरना

गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को धंधा शब्द कहने को लेकर शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को 10 करोड़ रुपये का मानहानि का भेजा नोटिस

बीकानेर। फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के बैनर तले गैर सरकारी स्कूलों के संचालकों और शिक्षकों का आमरण अनशन बुधवार को नवें दिन भी लगातार जारी रहा। इस से पूर्व मंगलवार को फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के आह्वान पर राज्य के समस्त 33 जिलों के गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के आमंत्रित लगभग 300 संचालकगण जयपुर में धरना स्थल शहीद स्मारक पहुंचे। प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि जयपुर में शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए 33 जिलों से आए हुए 300 से अधिक पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है कि यदि 22 नवंबर तक सरकार द्वारा समस्या का कोई समाधान नहीं किया जाता है और वार्ता के लिए नहीं बुलाया जाता है तो शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में प्राईवेट स्कूल संचालकों व शिक्षकों द्वारा बड़ी तादाद में महापड़ाव किया जाएगा। शिक्षा मंत्री के सीकर लक्ष्मणगढ़ स्थित आवास के बाहर महापड़ाव के साथ ही धरना दिया जाएगा। इसके साथ ही राजधानी जयपुर में आमरण अनशन भी लगातार जारी रहेगा और प्रतिदिन प्रत्येक जिले से पदाधिकारी आकर जयपुर में क्रमिक अनशन भी करेंगे। खैरीवाल ने बताया कि इस अवसर पर कोचिंग संस्थानों के राज्यव्यापी संगठन ने भी संघर्ष में शामिल होने की घोषणा की तथा कोचिंग इंस्टिट्यूट संगठन के अनिल नडार भी आज से आमरण अनशन पर बैठे हैं।
फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान के आह्वान पर 5 नवंबर से अनिश्चित काल के लिए बंद किए गए प्रदेश के 50 हजार गैर सरकारी विद्यालयों के संचालक, शिक्षक व कर्मचारी सरकार की बेरुखी के चलते काफी आहत हैं। सरकार की तरफ से प्रकरण को लेकर बरती जा रही ढिलाई के चलते गैर सरकारी विद्यालयों की दो महिला संचालक हेमलता शर्मा और सीमा शर्मा गत 10 नवंबर से लगातार शहीद स्मारक पर आमरण अनशन पर बैठी हैं। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब 50 हजार गैर सरकारी विद्यालयों के 11 लाख शिक्षकों व कर्मचारियों को काली दिवाली मनाने पर मजबूर होना पड़ा। गैैर सरकारी विद्यालयों के विषय में सरकार के निराशाजनक रवैये को लेकर राज्य के 33 जिलों के गैैरसरकारी विद्यालयों के विभिन्न संगठनों में भारी रोष व्याप्त है।

गौरतलब है कि राज्य के अधिकांश निजी विद्यालयों में 5 नवंबर से ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन पूरी तरह से बंद है। जिसे दीपावली के बाद भी चालू नहीं किया गया है और ऐसे में राजस्थान में अध्ययनरत विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर राज्य के 50000 गैर सरकारी विद्यालयों में कार्यरत 11 लाख शिक्षकों व कर्मचारियों के रोजगार पर भी गहरा संकट आ खड़ा हुआ है। सहोदया सीबीएसई, बीकानेर के सचिव विपिन पोपली ने कहा कि आज संचालकों को गैर सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला मजबूरी वश लेना पड़ा है, जिसका कारण सरकार की गलत नीतियां हैं। सरकार 4 महीनों से अपने निर्देशानुसार स्कूलों को खोलनेे के बारे में सोच रही है और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों ने सरकार के निर्देशानुसार पूरी तैयारी भी कर ली है, पर सरकार के द्वारा स्कूलों को खोलने की अनुमति अभी तक नहीं दिए जाने के कारण फीस ना मिलने से स्टाफ को वेतन देने में आज स्कूल संचालक असमर्थ है। शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश सदस्य हरविंद्रसिंह कपूर ने कहा कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी एनटीए (NTA)के द्वारा सभी परीक्षाएं आयोजित की गई है और अधिकांश राज्यों की सरकार द्वारा फीस और स्कूल के मुद्दों पर निर्णय लिया जा चुका है परंतु राजस्थान सरकार ने राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए फीस को सिलेबस की कटौती से जोड़ दिया और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों व शिक्षकों की प्राथमिक आवश्यकताओं को अनदेखा कर दिया है। पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने कहा कि अब यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी बनता जा रहा है दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ अन्य राज्य भी इस मुहिम में साथ आ गए हैं। और राजस्थान के 33 जिले आज हमारे साथ खड़े ही हैैं। सरकार अगर अब भी नहीं चेती तो लाखों की संख्या में शिक्षक व संचालक सड़कों पर उतरेंगे जिसकी सारी जवाबदारी सरकार की होगी। बीकानेर से गए पांच सदस्यीय दल में गिरिराज खैरीवाल, तरविंद्रसिंह कपूर, विपिन पोपली, हरविंद्र सिंह कपूर, मुकेश शर्मा एवंं नोखा के महावीर गहलोत, मदनलाल सियाग, ललित पालीवाल एवं देवाराम बाना सम्मिलित थेे।

– राजस्थान शिक्षामंत्री पर निसा ने ठोका 10 करोड़ का मानहानि का दावा

– भेजा कानूनी नोटिस

–शिक्षा जगत को धंधा कहने पर पूरे देश में है आक्रोश

राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा द्वारा कुछ रोज पहले मीडिया को संबोधित करते हुए संपूर्ण शिक्षा जगत को धंधा कहने पर पूरा देश आक्रोशित है। नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस – निसा के प्रांतीय प्रभारी डॉ दिलीप मोदी ने जानकारी देते हुए बताया कि एक कानूनी नोटिस प्रेषित कर निसा द्वारा राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा पर निसा ने 10 करोड़ का मानहानि का दावा किया है। डॉ मोदी ने बताया कि शिक्षा जैसे पावन कार्य को मीडिया के सामने धंधा कहना संपूर्ण शिक्षा जगत का अपमान है, इससे ना केवल स्कूल संचालकों एवं शिक्षकों की भावनाएं आहत हुई हैं बल्कि समाज में भी स्कूलों की छवि खराब हुई है। नोटिस में माननीय शिक्षा मंत्री जी को लिखा गया है कि निसा संगठन की संपूर्ण देश में शाखाएं है तथा राजस्थान के सैंकड़ों निजी स्कूल इस संगठन के सदस्य है इसलिए निसा संगठन इस मुद्दे को संपूर्ण शिक्षा जगत से संबन्धित मानते हुए आप पर मानहानि का दावा करता है। नोटिस में आगे उल्लेख किया गया है कि शिक्षा को सदैव एक पावन एवं पुनीत कार्य माना गया है और शिक्षामंत्री द्वारा शिक्षा को इस प्रकार धंधा कहना नि:संदेह गैर सरकारी स्कूल संचालकों, अध्यापकों एवं बच्चों का अपमान है साथ ही मंत्री का यह कृत्य एवं व्यवहार न्याय एवं कानून सम्मत नहीं है जिसका उल्लेख माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने कुछ निर्णयों में किया गया है। डॉ मोदी ने कहा कि शिक्षा तकनीकी एवं कानूनी दृष्टि से चैरिटी अर्थात् नोट फॉर प्रोफिट (नॉन -कॉमर्शियल एक्टीविटी)की श्रेणी में आती है जिसे धंधा कहना सर्वथा गैर-कानूनी है।
निसा संगठन ने शिक्षामंत्री से मांग की है कि या तो वे 15 दिनों के अन्दर-अन्दर मीडिया के समक्ष सार्वजनिक रूप से संपूर्ण शिक्षा जगत से माफी मांगे अन्यथा रूपए 10 करोड़ के मानहानि के दावे में निसा संगठन द्वारा आगे की कार्यवाही की जाएगी। संगठन ने मंत्री को लिखा है कि शिक्षा मंत्री जैसे गरिमामयी पद पर रहते हुए उन्हें यह कतई शोभा नहीं देता कि वे इस प्रकार के अभद्र, अमर्यादित एवं अशोभनीय शब्द शिक्षा जैसे पवित्र कार्य के लिए बोलें। इसके लिए उन्हें अपने ये शब्द वापस लेते हुए माफी मांगनी ही चाहिए तथा शिक्षा जैसे पवित्र कार्य का सम्मान करें। निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि राजस्थान के शिक्षा मंत्री जी के बयान विवादास्पद होने के साथ पूर्ण रूप से अव्यवहारिक एवं तुगलकी बयान है। उन्होंनें कहा कि पूरे हिन्दुस्तान के स्कूल संचालक एवं शिक्षकगण राजस्थान के शिक्षकों के साथ हैं। शर्मा ने कहा कि यदि शिक्षा मंत्री माफी नहीं मांगते हैं तो यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पैपा ने भी इस संंबंध में शिक्षामंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताई थी और उनसे इस बयान के संबंध में माफी मांगने के लिए कहा था। पैैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने शिक्षामंत्री के इस बयान को उन सभी गुरूजन, मां समान बहन-बेटियों शिक्षिकाओं का भी घोर अपमान बताया था जो शिक्षा जैसा पवित्र कार्य करते हुए समाज के कर्णधारों का निमार्ण कर रही हैं।