नई दिल्ली |नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हुए हिंसा में मरने वालों की संख्या में लगाता इजाफा हो रहा है। रविवार, सोमवार और मंगलवार को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 32 लोगों की मौत हुई है, जिसमें पुलिस के जवान रतनलाल और आईबी अफसर अंकित शर्मा भी शामिल हैं। बुधवार को भी जाफराबाद,बाबरपुर,मौजपुर,सीलमपुर,भजनपुरा समेत नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के कुछ इलाकों में छिटपुट आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें आईं,मगर पुलिस बल की भारी तैनाती से हिंसा के मामलों में कमी देखने को मिली। गुरुवार यानी आजा हिंसा के ताजा मामले सामने नहीं आए हैं,मगर जीटीपी अस्पताल से मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ने के आंकड़े आ रहे हैं। तो चलिए जानते हैं दिल्ली हिंसा से जुड़े सारे अपडेट्स।नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के चांदबाग इलाके से नाले से दो और शव बरामद हुए हैं। शव पर चाकू के निशान मिले हैं। कल आईबी कांस्टेबल का भी शव नाले से ही मिला था।दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर ओपी मिश्रा ने चांद बाग इलाके में फ्लैग मार्च के दौरान ऐलान किया, ‘राशन की दुकान, मेडिकल शॉप और अन्य दुकानें खोली जा सकती हैं।

डरने की कोई जरूरत नहीं। पुलिस यहां आपके सुरक्षा के लिए है। समूह में एकत्रित न हों, विशेषकर युवा।कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर के तबादले पर कहा कि भाजपा सरकार द्वारा ‘हिट एंड रन का कमाल का उदाहरण है।कांग्रेस ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने इसे शर्मनाक बताया है कि रातों-रात तबादले से हम हैरान हैं। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा नेताओं को बचाने के लिए उनका तबादला किया गया है, इससे पूरा देश हैरान है। आखिरकार सरकार कितने जजों का तबादला करेगी।कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भय और नफरत का माहौल पैदा करने वाले किसी को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए, चाहिए वो किसी भी पार्टी से है। जो भी इससे पीड़ित है, जिसे चोट लगी है और जिसने अपनी आजीविका खोई है, हमारा दायित्व है कि न्याय जीते,दोषियों को सजा मिले। सरकार अगर राजधर्म भूलकर राजनीति धर्म पर चल रही है तो इस देश के न्यायपालिका का कर्तव्य है कि उसे राजधर्म पर लाए।दिल्ली हिंसा को लेकर जीटीपी अस्पताल में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं एलएनजेपी अस्पताल में दो लोगों की मौत हुई है। फिलहाल, दिल्ली में गुरुवार को हिंसा के नए मामले सामने नहीं आए हैं। बुधवार को भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी हिंसा वाले इलाके का दौरा कर हालात का जायजा लिया था। भारी संख्या में पुलिस और अर्द्धसैनिक बल की तैनाती के कारण बुधवार को उपद्रवी गायब नजर आए। हिंसा से जहां मरने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है,वहीं 250 घायलों को उपचार के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां 30 से अधिक की हालत नाजुक बताई जा रही है।

कैसे शुरू हुई थी हिंसा:

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने रविवार को सड़क अवरुद्ध कर दी थी जिसके बाद जाफराबाद में सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प शुरू हो गई थी। दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी ऐसे ही धरने शुरू हो गए। मौजपुर में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक सभा बुलाई थी जिसमें मांग की गई थी कि पुलिस तीन दिन के भीतर सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाए। इसके तुरंत बाद दो समूहों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर पथराव किया, जिसके चलते पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।