– डायवर्सन निर्माण के नाम पर लूट की चल रही बड़ी योजना।

-नदी पर नए सिरे से नही किया जा रहा पुल निर्माण

-मचहा आश्रम जाने वाले भक्तों की लगी रहती भीड़

-ग्रामीणों लिया निर्णय पुल नहीं तो वोट नहीं।

बिहार(सुपौल)-(ब्यूरों)-जिले के त्रिवेणीगंज विधानसभा चुनाव में मचहा (कुशहा)पंचायत के लोगो ने मतदान नहीं करने का निर्णय लेते हुए बहिष्कार करने का अल्टीमेटम दिया है। ग्रामीणों ने निर्णय लिया कि पुल नहीं तो बोट नहीं। दरअसल प्रखंड मुख्यालय के कुशहा (मचहा) पंचायत जाने वाली चिलौनी कतार नदी पर बना डायवर्सन बीते दिन टूट गया। जिससे दैनिक कार्य के लिए त्रिवेणीगंज पहुंचने वाले कुशहा, मचहा, मयूरवा, रामपुर, लाही, गढ़हा, जोगियाचाही सहित मधेपुरा सीमा पर अवस्थित कई गांव के लगभग पांच हजार की आबादी सीधे तौर पर प्रभावित हो गई है। अब लोगों के समक्ष बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। बीते साल बारिश के दिनों में अत्यधिक बारिश में पुल ने जल समाधि ले ली। पुल टूटने का सबसे ज्यादा असर इन इलाकों में रहने वाले किसानों को हुआ। खासकर इन इलाकों में अधिकांश किसान परिवार रहते हैं। जिन्हें पुल से ज्यादा दिक्कतें आ रही है। समस्या से कराहते किसानों की दर्द को लेकर स्थानीय प्रशासन के द्वारा मरहमपट्टी के रूप में डायवर्सन बना कर दर्द को कम करने का भरसक प्रयास विफल साबित होता जा रहा है।इतना ही नहीं प्रत्येक वर्ष बारिश के समय में अधिक बारिश होने के कारण नदी पर बना डायवर्सन तेज बहाव में टूट कर बिखर जाता है।जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और विभागीय उदासीनता के कारण नदी पर नए सिरे से पुल निर्माण नहीं किया गया है। इसके कारण 50 हजार से अधिक आबादी अभिशप्त जीवन जीने को विवश है। ग्रामीणों का आरोप है कि हर साल डायवर्सन बनता है और बरसात के समय टूटता है। मतलब साफ है कि इस नदी के डायवर्सन निर्माण के नाम पर लूट की बड़ी योजना चल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पुल नहीं रहने के कारण पंचायत वासियों को चार चक्का वाहन से अभी भी मधेपुरा जिले के झरकाहा या मुरलीगंज शाखा नहर से लगभग 8 से 10 किमी की दूरी तय कर अनुमंडल मुख्यालय आना पड़ता है। जिससे यहां के ग्रामीणों को प्रशासिनक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के प्रति काफी आक्रोश साफ झलक रहा है।ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय गोलबंद होकर लिया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में बारिश के कारण पुल धराशायी हो गया था। लोगों की उठती आवाज के बाद तत्कालीन एसडीओ विनय कुमार सिंह ने ग्रामीण कार्य विभाग के सहयोग से टूट चुके पुल के निकट ही तीन-तीन बार डायवर्सन बना कर तात्कालिक लोगों की तकलीफ को कम कर दिया। इसे अपर्याप्त मानते लोगों ने पुल की मांग रखी। आश्वासन के बाद पदाधिकारियों ने एक साल में पुल निर्माण की बात कह लोगों के आक्रोश को शांत कराया। लेकिन बर्षों बीतने के बाद भी पुल को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आने से अब लोगों का सब्र जवाब देने लगा है। इन इलाकों ने पहुंचने का नजदीकी मार्ग होने से इलाके के अधिकांश लोग इसी रास्ते सफर करते है। जबकि अन्य रास्तों का उपयोग करने से चार से पांच किलोमीटर का अधिक दूरी लोगों को सफर करना पड़ता है। संतमत सत्संग कुप्पाघाट के वर्तमान आचार्य स्वामी हरिनंदन बाबा की जन्म स्थली होने से मचहा स्थित आश्रम जाने वाले भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। खासकर देश विदेश में बसे अनुयायी भी बड़ी संख्या में इस रास्ते से मचहा स्थित आश्रम पहुंचते हैं। ऐसे में पुल नहीं होने से भी लोगों को भारी दिक्कत होने लगी है। इलाके के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाली पुल पर पचास हजार की आबादी निर्भर है।