बीकानेर, 22 सितम्बर। देश के छह राज्यों के प्रसार कार्यकर्ताओं ने रविवार को केन्द्रीय अश्व एवं केन्द्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्रों का भ्रमण किया। इन्होंने दोनों केन्द्रों पर चल रहे अनुसंधान कार्यों को देखा तथा खासकर ऊंटनी के दूध की उपयोगिता के बारे में जानकारी हासिल की। उल्लेखनीय है कि स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय द्वारा ‘मूंगफली फसल में अग्रिम प्रबंधन क्रियाएं’ विषयक आठ दिवसीय प्रशिक्षण 19 सितम्बर से चल रहा है।इसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, मिजोरम, त्रिपुरा, झारखंड एवं राजस्थान के कृषि विभाग में कार्यरत प्रसार कार्यकत्र्ता भागीदारी निभा रहे हैं। इन प्रतिनिधियों ने रविवार को दोनों केन्द्रों का भ्रमण किया। दल का नेतृत्व डाॅ. शीश पाल सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डाॅ. आर. के. सावल ने ऊंटनी के दूध से मधुमेह एवं क्षय रोग निवारण के बारे में जानकारी दी।साथ ही ऊंटनी के दूध के मूल्य सवंर्धित उत्पादों के बारे में बताया। आठ दिन चलने वाले इस प्रशिक्षण में लगभग 35 व्याख्यान एवं फील्ड विजिट करवाया जा रहा है।