राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल पर विशेष समाचार
जनता के हितों को साधने में विभाग ने किए सजगता से प्रयासः जलदाय मंत्री
जयपुर, 16 दिसम्बर। राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में जलदाय विभाग ने प्रदेश की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति के साथ ही ऊर्जा एवं राजस्व की बचत तथा तकनीक के माध्यम से प्रोजेक्ट्स और कार्यों की मॉनिटरिंग करने की दिशा में भी सजगता के साथ प्रयास किए हैं।

राज्य सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान विभाग की ऐसी ही प्रमुख उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने बताया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के शुरूआती दौर में प्रदेश के कई जिलों में पेयजल उपलब्धता की चुनौतियों का मुकाबला करते हुए हमने पानी को परिवहन करते हुए लोगों तक पहुंचाने का काम किया। पाली में रेल के माध्यम से पानी की आपूर्ति की गई, अन्य स्थानों पर भी टैंकर्स और परिवहन के अन्य साधनों के माध्यम से विभाग ने पेयजल मुहैया कराने की अपनी जिम्मेदारी को निभाया। उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रकृति की मेहरबानी से गत मानसून में प्रदेशभर में हुई अच्छी वर्षा से हमारे बांध और जल स्रोत पूरी तरह भर गए। आने वाले समय में भी प्रदेष में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के समुचित प्रबंधन, जल की बचत और संरक्षण के साथ ही उपलब्ध पानी का मितव्ययता के साथ सदुपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक करने की मुहिम विभाग द्वारा सतत रूप से संचालित की जाएगी।

गांव-ढाणी और शहरों तक पहुंची राहत
जलदाय मंत्री ने बताया कि सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में वृहद पेयजल परियोजनाओं से 12 शहरों के अलावा करीब 1350 गांव और 1560 ढाणियों को लाभान्वित किया गया है। इस दौरान 2 हजार 695 नये नलकूप और 5 हजार 830 नये हैण्डपम्प लगाकर चालू किए गए, वहीं 2 लाख 33 हजार खराब पाए गए हैण्ड पम्पों को सुधार कर प्रभावित क्षेत्रों में जनता को राहत दी गई। प्रदेश की भौगोलिक विषमताओं के बीच छितराई हुई आबादी को पेयजल सुलभ कराने की मुहिम के तहत अब तक 3337 हेबीटेशंस को लाभान्वित किया गया है, वहीं 1232 गुणवत्ता प्रभावित आबादियों और बस्तियों की समस्या पर फोकस करते हुए 436 आरओ प्लांट चालू किए गए है और 488 सौर ऊर्जा आधारित डीएफयू (डी-फ्लोरिडेशन यूनिट) भी स्थापित किए गए है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा राज्य के शहरी क्षेत्रों में स्रोत संवर्धन, पुरानी सड़ी-गली पाईप लाईनों को बदलने, वितरण तंत्र में सुधार, पुरानी पम्पिंग मशीनरी को बदलने के 968 कार्यों के लिए भी 1310.55 करोड़ रुपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है। एक वर्ष के दौरान राज्य के शहरी क्षेत्रों में चल रहे पर 444.31 करोड़ रुपये की राशि के 480 कार्यों को पूर्ण कर जनता को लाभान्वित किया गया है।

निःशुल्क पेयजल की सौगात
डॉ. कल्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अषोक गहलोत की पहल पर जलदाय विभाग ने मार्च 2019 में एक अधिसूचना जारी कर प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ताओं (15 एमएम कनैक्षन) के लिए एक अप्रेल 2019 से बिलों पर देय पेयजल शुल्क एवं सीवरेज शुल्क में संशोधन करते हुए प्रति माह 15000 लीटर तक उपभोग पर शत प्रतिशत छूट प्रदान करने की घोषणा की गई। इससे प्रदेश की जनता को बड़ी राहत मिली है। इसके साथ ही शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के फ्लैट रेट घरेलू जल सम्बन्धों पर पेयजल शुल्क में शत प्रतिशत छूट प्रदान की गई है। विशिष्ट पेयजल परियोजनाओं के द्वारा एकल बिंदु के माध्यम से जिन ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है, वहां प्रति माह 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पेयजल उपभोग पर भी जल शुल्क में छूट प्रदान की जा रही है। वहीं मरूस्थलीय क्षेत्रों (ब्लॉक्स) मे 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के पेयजल उपभोग पर जल शुल्क में छूट प्रदान की जा रही है।

नीतिगत फैसलों से बदलती तस्वीर
जलदाय मंत्री ने बताया कि सरकार के एक साल के कार्यकाल में जनहित में लिए गए नीतिगत निर्णय और उनकी क्रियान्विति के बारें में बताया कि मुख्यमंत्री श्री गहलोत द्वारा बजट 2019 में की गई घोषणा की अनुपालना में 4000 से अधिक आबादी वाले 25 गांवों के लिये पाईप्ड जल प्रदाय योजनाओं के लिए 106.45 करोड़ रुपये की स्वीकृति जारी की गई। इसके तहत 1.64 लाख आबादी को घर-घर पेयजल कनेक्शन से लाभान्वित किया जाएगा। इसी प्रकार प्रदेष में फ्लोराईड प्रभावित गांव एवं ढाणियों में 1240 सौर ऊर्जा चलित डीएफयू (डी-फ्लोरीडेषन यूनिट) लगाने के लिए भी 202.21 करोड़ रुपये राशि स्वीकृत की गई है, इससे फ्लोराईड प्रभावित क्षेत्रों में इसी वित्तीय वर्ष में 300 यूनिट लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि बजट घोषणा के तहत राज्य में 2000 सौर ऊर्जा चलित नलकूप मय टंकियों का निर्माण किया जा रहा है। इस सम्बंध में प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करने के लिए विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियन्ताओं को अधिकृत किया गया है।

भविष्य की जरूरतों पर फोकस
डॉ. कल्ला ने बताया कि जयपुर शहर एवं जयपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बीसलपुर बांध से अतिरिक्त जल उपलब्ध कराने के लिए बीसलपुर जयपुर जल प्रदाय परियोजना स्टेज-प्रथम चरण-द्वितीय की स्वीकृति देते हुए 288.90 करोड़ की राशि जारी की गई। है, इस योजना के क्रियान्वयन के लिए निविदा आमंत्रित की गई है, यह कार्य जनवरी 2020 में प्रारम्भ कर इसे जुलाई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसी प्रकार राजधानी में शहर के बाहरी क्षेत्रों में विकसित पृथ्वीराज नगर योजना में पेयजल उपलब्ध कराने की योजना के लिए 563.93 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई है। इस कार्य की निविदा आमंत्रित की गई है, इसे जनवरी 2020 में शुरू करते हुए जुलाई 2022 तक पूर्ण करना का टारगेट तय किया गया है।
पानी का परीक्षण अब केवल 18 घंटे में
जलदाय मंत्री ने बताया कि पीने के पानी में जीवाणु परीक्षण अब मात्र 18 घंटे में करने क्षमता विभाग ने हासिल कर ली है। पहले यह परीक्षण के परिणाम 48 घन्टे के बाद उपलब्ध हो पाते थे। अब जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन (डब्ल्यूएसएसओ) ने जयपुर में एमएनआईटी के साथ रिसर्च करते हुए पानी में जीवाणु परीक्षण के लिये एम. कोलीपेट किट विकसित किया है, जिससे पीने के पानी में जीवाणु परीक्षण का परिणाम मात्र 18 घन्टे में प्राप्त करना सम्भव हो गया है।

जल जागरूकता के प्रयास
डॉ. कल्ला ने बताया कि जनता में जल की बचत और संरक्षण के प्रति पूरे प्रदेष में 9 हजाार 894 ग्राम पंचायतों में जल प्रबन्धन में समुदाय के सहयोग एवं जन जागृति के लिए जागरूकता अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत सभी गांवों में जल चेतना रथ, ग्रामीण सहभागिता ऑंकलन व ग्राम जल मेलों के आयोजन के द्वारा आम जनता को मितव्ययता के साथ पानी का सदुपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके अलावा एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान पीएचईडी एवं राजस्थान सैन्टर ऑफ एक्सीलेन्स इन वॉटर रिसोर्स मैनेजमेन्ट ‘रेसवार्म को साउथ आस्ट्रेलिया सरकार द्वारा नई दिल्ली में आयोजित त्रिवेणी जल सम्मेलन में गत सितम्बर माह में जल प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए एप्रिसिएशन अवार्ड भी प्राप्त हुआ है।
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