हर्षित सैनी
रोहतक, 21 अप्रैल। जनसंपर्क को जनहित से जोड़कर सामाजिक-सामुदायिक विकास तथा राष्ट्र निर्माण का कार्य प्रशस्त किया जा सकता है। जनसंपर्क महज जीवन यापन का साधन नहीं, न केवल करियर उपयोगी प्रोफेशन है बल्कि जनसंपर्क, जन कल्याण कार्यों को करने का सशक्त माध्यम है। राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के उपलक्ष्य में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के निदेशक सुनित मुखर्जी ने यह संदेश विद्यार्थियों को दिया।

निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने बताया कि सन् 1986 से राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस 21 अप्रैल को मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल 1968 को नई दिल्ली, भारत में पहला अखिल भारतीय जनसंपर्क कांफ्रेंस आयोजित किया गया था। ‘प्रोफेशनल अप्रोच’ विषय पर इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था इसी कांफ्रेंस में कोड ऑफ ऐथिक्स फॉर पी.आर. प्रोफेशन भी अपनाया गया था। इसलिए 21 अप्रैल का दिन राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस के लिए चुना गया।
सुनित मुखर्जी ने कहा कि आईसीटी के युग में डिजिटल जनसंपर्क ने करियर तथा जनसंपर्क कार्य की नई संभावनाएं खोल दी हैं। उन्होंने सभी जनसंपर्क कर्मियों को इस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं व्यक्त की। उन्होंने इस दिवस पर विशेष रूप से मीडिया कर्मियों का आभार जताया जिनकी वजह से जनसंपर्क का संदेश जन-जन तक पहुंचता है। जनसंपर्क के जरिए समाज में व्याप्त अंधियारे को दूर करने तथा ज्ञान व जागरूकता का दीप प्रज्ज्वलित करने का आह्वान सुनित मुखर्जी ने किया।
पीआर में करियर बनाने के इच्छुक विद्यार्थियों को संदेश
पूरे विश्व में जनसंपर्क एक सम्मानजनक प्रोफेशन है। भारत में जनसंपर्क कार्य प्राचीन समय से प्रचलन में है। आज के युग में जनसंपर्क केवल मीडिया कवरेज करने, प्रेस विज्ञप्ति जारी करने भर का कार्य नहीं बल्कि प्रबंधन स्ट्रैटीेजिक मैनेजमेंट, कारपोरेट कम्युनिकेशन, कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, मीडिया रिलेशन्ज, इमेज मैनेजमेंट, इवेंट मैनेजमेंट, ब्रांडिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग आदि स्पेशलाइजेशन का समागम है।

विद्यार्थियों को कम्युनिकेशन स्किल्ज, सॉफ्ट स्किल्ज तथा आईसीटी स्किल्ज पर फोकस करना होगा। पॉजिटिव एटीट्यूड, पैशन फॉर वर्क, परसुएसिव कम्युनिकेशन तथा परसीवरेंस इन एफेर्ट्स फोर ‘पी’ फॉर पीआर का मंत्र महत्वपूर्ण है।