गंगाशहर। समाज सुधार के सम्बन्ध में जैन महासभा का 21 व्यंजन सीमा अभियान एक पहचान बन गया है। ये उद्गार डॉ. धर्मचन्द जैन ने जैन महासभा द्वारा वर्ष 2020 के पंचांग के लोकार्पण एवं 21 व्यंजन सीमा अभियान में सहयोगी आयोजकों के सम्मान समारोह में कही। यह समारोह जैन पब्लिक स्कूल हॉल में आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ. धर्मचन्द जैन ने कहा कि जैन महासभा संगठन, समाज सुधार व विकास के महत्वपूर्ण कार्य कर रही है, इससे समाज को और बड़ी उम्मीदें हो गई है। उन्होंने कहा कि वैवाहिक आयोजन सादगीपूर्ण होने चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिक व्यंजन करने वाले व्यक्ति खिलाने के लिए नहीं चिड़ाने के लिए अधिक संख्या में करते हैं। उन्होंने दैनिक जीवन में द्रव्य सीमा रखने की बात पर बल देते हुए कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी आवश्यक है। डॉ. धर्मचन्द ने कहा कि यह अभियान अभी तक आदत नहीं बना है। उन्होंने महासभा द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जैन समाज के विद्यार्थी अपना भविष्य तय कर सके।

जैन महासभा के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि सामाजिक सुधार के लिए अपनाये जाने वाले इन तरीकों से विचार भिन्न हो सकते है परन्तु प्रदर्शन, फैशन, दहेज, बड़े भोज की सीमा कहीं न कहीं तो बांधनी होगी। छाजेड़ ने कहा कि संकल्प में शक्ति होती है। सामाजिक सुधार तभी प्रभावी होते हैं, जब नेतृत्व करने वाले व्यक्ति स्वयं उन्हे व्यवहार में लेते हैं। छाजेड़ ने इस सम्बन्ध मे जैन महासभा के अध्यक्ष व पदाधिकारियों का साधुवाद व्यक्त किया कि वे स्वयं इस अभियान में शरीक है और तभी यह अभियान आज गर्व का विषय है। छाजेड़ ने कहा कि सुधार भी दान की भांति घर से शुरू होता है, यह स्वीकृत सत्य है और जैन महासभा के पदाधिकारियों ने अपने घरों से इसकी शुरूआत की है। छाजेड़ ने कहा कि जैन महासभा, ंबीकानेर के अभियान के तहत मुम्बई, सूरत आदि अनेक क्षेत्रों व जैन समाज के अलावा अन्य जाति वर्ग के लोगों ने भी 21 व्यंजन सीमा अभियान के अनुरूप अपने आयोजन किये है, जिससे इस अभियान की सार्थकता सिद्ध होती है। छाजेड़ ने जैन महासभा का अभिनन्दन करते हुए कहा कि महिला विंग 21 व्यंजन सीमा अभियान के लिए एक लक्ष्य लेकर संकल्पित करावें, इससे समाज में परिवर्तन आयेगा।

इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष जयचन्दलाल डागा ने कहा कि शादी, विवाह, अन्य सामाजिक, पारिवारिक आयोजन मेल मिलाप समाज में प्रेम और सांमजस्य बढ़ाने के अवसर होते हैं। इन अवसरों का आयोजन बहुत ही शालीनता और मर्यादा से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल देखा-देखी में अपव्यय की मानसिकता बढ़ रही है जिसको रोकना समाज की जिम्मेदारी है ताकि समाज अपनी पहचान बनाये रखे।
जैन पंचांग का लोकार्पण जैन महासभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़, पूर्व अध्यक्ष जयचन्द लाल डागा, इन्द्रमल सुराणा, चम्पकमल सुराणा, विजय कोचर व महामंत्री सुरेन्द्र बद्धानी, डॉ. धर्मचन्द जैन ने किया। पंचांग के बारे में जानकारी देते हुए कोषाध्यक्ष मेघराज बोथरा ने कहा कि पंचांग में तिथि, दिनांक, आयोजन, त्यौंहार, सूर्योदय, सूर्यास्त, नवकारसी, पोरसी, दुघडि़या, चौघडि़या, पक्खी, संवत्सरी इत्यादि के साथ ही जैन धर्म के साथ ही अन्य सभी पर्वों व तीर्थकरों के पंचकल्याणक आदि की जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि 21 व्यंजन सीमा अभियान की घर-घर जानकारी रहे, इसमें इस पंचांग की विशेष भूमिका है। बोथरा ने़ कहा कि यह पंचाग सभी जैन परिवारों में निःशुल्क वितरित किया जायेगा।