सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि साध्वीश्री संयमपूर्णाश्रीजी का बीकानेर में लगातार दूसरा चातुर्मास था। वे गुरुवार को दोपहर उपासरे में ही अरिहंत शरण हो गई। उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे रांगडी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे से रवाना होकर ओसवाल समाज के मोक्षधाम पहुंचेगी। गुरुवार को उनके अरिहंत शरण होने के बाद बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रावक-श्राविकाओं ने नवंकार महामंत्र का जाप कर उनकी आत्म कल्याण की प्रार्थना की।
साध्वीश्री ने हिन्दुस्तान में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, आंधप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़िसा व बंगाल सहित अनेक प्रदेशों व प्रमुख शहरों में विचरण, चातुर्मास कर भगवान महावीर के सिद्धान्तों को स्थापित किया तथा हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा की।
साध्वीश्री ने अपने संयम काल में मासक्षमण, वर्षीतप, चतारी अट््ठदस दोय तप, अट््ठाई, बीस स्थानकजी की ओली, नवपद ओली, वर्धमान तप ओली, कल्याणक तप, पंचमी, ग्यारस, पूर्णिमा आदि तपस्याएं की। सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के ट्रस्टी, श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ ट्रस्ट, विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल, खरतरगच्छ युवा परिषद, खरतरगच्छ महिला परिषद, वद्ध्र्रमान नवयुवक मंडल के पदाधिकारियों, सदस्यों, विभिन्न जैन संगठनों के सदस्यों ने सुगनजी महाराज के उपासरे में पहुंचकर गुरुवार को श्रद्धांजलि दी तथा नवंकार महामंत्र के जाप में भागीदारी निभाई। उनकी अंतिम यात्रा में हिस्सा लेने के लिए गुवहाटी, कोलकाता, मुंबई, जयपुर, पीपाड़ आदि स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं बीकानेर पहुंच रहे है। पीपाड़ सहित अनेक स्थानों से विशेष बसों में श्रावक-श्राविकाएं आएंगे।