इस बार बैठक का सुखद नतीजा , ‘कॉम्प्रिहेन्सिव ग्लोबल स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप’ पर बनी सहमति है । यह नीति दोनों देशों के मौजूदा रिश्ते को नई ऊंचाई दे सकती है। इस नई साझेदारी का मतलब है कि द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा वैश्विक मसलों पर भी दोनों देशों में सामरिक साझीदारी होगी और यह साझेदारी रक्षा-सुरक्षा जैसे एक-दो क्षेत्रों तक नहीं, बल्कि द्विपक्षीय रिश्तों के तमाम पहलुओं को समग्रता में समेटेगी। खा जा सकता है, ट्रंप का यह दौरा सफल रहा है। वैसे इस तरह की यात्राओं में कोशिश भी यही होती है कि शासनाध्यक्षों के बीच एक सहमति बन जाए,जिससे बाकी की चीजें आसान हो जाएं।
व्यापारिक समझौते में कुछ गतिरोध हैं, जो फिलहाल कठिन जान पड़ रहे हैं। अमेरिका की अपेक्षाओं को पूरा करना भारत के लिए आसान नहीं है, तो भारत की उम्मीदों पर आगे बढ़ना अमेरिका के लिए कठिन है। रास्ते जल्द ही निकल जाएंगे। माना यह जा रहा है कि राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की फिर से ताजपोशी के बाद भारत और अमेरिका इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। हमें कदापि यह नहीं भूलना चाहिए कि चुनावी नतीजों की सटीक भविष्यवाणी मुमकिन नहीं होती । कई बार जनादेश उम्मीदों के खिलाफ भी आते हैं। फिर भी यह जरूर कहा जा सकता है कि दोनों देश इस समझौते पर आगे बढ़े हैं।
एक और खास बात, रक्षा सौदे पर बनी सहमति है। लगभग तीन अरब डॉलर के रक्षा समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
अमेरिका ने भारत को आधुनिकतम सैन्य हेलीकॉप्टर और अन्य साजो-सामान देने की बात कही है। ट्रंप के शब्दों में कहें, तो इन सौदों से दोनों देशों के आपसी रक्षा संबंध कहीं ज्यादा मजबूत होंगे। आर्म्ड और प्रीडेटर ड्रोन जैसे उपकरणों की आपूर्ति पर भी सहमति बनी है। दोनों देशों के बीच ‘डिफेंस टेक्नोलॉजी ऐंड ट्रेड इनीशिएटिव’ के तहत सैन्य उत्पादों की खरीद-फरोख्त होती रही है। दोनों नेता इसे और गति देने पर राजी हुए हैं। अच्छी बात यह भी है कि तकनीक के हस्तांतरण पर अमेरिका सहमत हुआ, खासतौर से आतंकवाद के खिलाफ जंग में। इसका लाभ हमारे हित में होगा, क्योंकि अमेरिका के पास निगरानी करने वाली कई अत्याधुनिक तकनीकें हैं।
इस यात्रा में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ जंग की प्रतिबद्धता फिर दोहराई गई। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामी आतंकवाद की चर्चा की थी और इससे निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने का भरोसा जताया था। राष्ट्रपति ट्रंप ने बेशक कहा कि पाकिस्तान की धरती से चल रही आतंकी गतिविधियों को बंद करने के लिए अमेरिका कदम उठा रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और अमेरिका मिलकर आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने पर सहमत हुए हैं। यह परोक्ष रूप से पाकिस्तान के लिए चेतावनी है।