नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। कोरोना संक्रमण काल में भारत ने डिजिटल पेमेंट के मामले में जबरदस्त छलांग लगाई है। दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक भारत ने रियल टाइम पेमेंट करने के मामले में सर्वोच्च स्थान हासिल कर लिया है। रियल टाइम पेमेंट करने के मामले में चीन दूसरे स्थान पर है, जबकि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका इस मामले में नौवें स्थान पर है।

अमेरिका की एसीआई वर्ल्डवाइड की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में भारत में 2547 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन किए गए, जबकि इसी एक साल की अवधि में चीन में 1574 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन किए गए। रियल टाइम ट्रांजैक्शन के मामले में दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर रहा जहां 1 साल की अवधि में कुल 601 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन किए गए। इसी तरह 524 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन के साथ थाईलैंड चौथे नंबर पर और 282 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन के साथ यूके पांचवें नंबर पर काबिज होने में सफल रहा। नाइजीरिया रियल टाइम ट्रांजैक्शन के मामले में 191 करोड़ ट्रांजैक्शन के साथ छठे पायदान पर और 167 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन के साथ जापान सातवें स्थान पर रहा। इस सूची में ब्राजील आठवें नंबर पर रहा, जहां साल 2020 में कुल 133 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन किए गए। अमेरिका 121 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन के साथ नौवें नंबर पर स्थान पर रहा, जबकि 94 करोड़ रियल टाइम ट्रांजैक्शन के साथ मैक्सिको दसवें पायदान पर रहा है।

उल्लेखनीय है कि डिजिटल पेमेंट, नेट बैंकिंग या फिर मोबाइल बैंकिंग के जरिए किया गया ट्रांजैक्शन रियल टाइम ट्रांजैक्शन की श्रेणी में आता है। भारत में साल 2020 के दौरान इस तरह के 2547 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए। जो आनुपातिक तौर पर भारत की कुल जनसंख्या के बीस फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। रिपोर्ट में इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है कि डिजिटल ट्रांजैक्शन करने वाले लोगों में सिर्फ नौकरीशुदा या टैक्सपेयर्स ही नहीं, बल्कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली आबादी का भी एक बड़ा हिस्सा है।‌ एसीआई वर्ल्डवाइड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हाल के दिनों में डिजिटल पेमेंट या रियल टाइम ट्रांजैक्शन के प्रति लोगों का रुझान काफी बढ़ा है। यहां होने वाले कुल ट्रांजैक्शन में डिजिटल पेमेंट की मौजूदा हिस्सेदारी को देखकर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक भारत में 71 फीसदी से ज्यादा ट्रांजैक्शन डिजिटल पेमेंट के जरिए ही किया जाएगा। वहीं कुल लेन देन में कैश या चेक ट्रांजैक्शन की हिस्सेदारी घटकर 28 फीसदी के आसपास रह जाएगी।