– धर्मपाल वर्मा
चण्डीगढ ,।पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मुख्य अभियंता डॉक्टर गुलाब सिंह के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेशों को निरस्त कर दिया है।
डॉ .गुलाब सिंह नरवाल शुरू से ही एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी माने जाते हैं । 23 वर्ष के लम्बे सेवा काल में उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल की है । इस दौरान उन्होंने प्लानिंग डिजाइन सिंचाई हेतु आधारभूत संरचना के निर्माण जल-संसाधन प्रबन्धन तथा जल-विद्युत परियोजनाओं के रख-रखाव के क्षेत्र में कार्य करने के अतिरिक्त डब्लयू.जे.सी.सी दिल्ली पैरेलल ब्रांच सुन्दर सब-ब्रांच कैरियर लाइन्ड चैनल लाहारू कैनाल गुडगांव कैनाल नरवाना ब्रांच हथिनी-कुंड बैराज ताजेवाला कॉम्लैक्स सहित हरियाणा राज्य की लगभग सभी मुख्य नहरों तथा बीबीएमबी की सुन्दरनगर हाइडल चैनल इत्यादि की मुरम्मत व इसके उचित संचालन में मार्गदर्शन देते हुए बतौर पयर्वेक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने विशिष्ट सेवा करियर के दौरान उन्होंने लिफट कैनाल यूनिट यमुना वाटर सर्विसस यूनिट भाखड़ा वाटर सर्विसस यूनिट कन्सट्रक्शन यूनिट तथा सतर्कता यूनिट जैसी परियोजनाओं में कार्य करते हुए नए आयामों का छुआ। इस दौरान गुजरात मध्यप्रदेश महाराष्ट्र और केरल इत्यादि राज्यों का दौरा करके किसानों को उचित प्रशिक्षण दिलाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। डा0 नरवाल की शैक्षिक उपलब्धियों पर एक सरसरी नज़र डालने से यह पता चलता है कि विभिन्न विषयों का ज्ञान अर्जित करने की दिशा में वह एक उत्साही पाठक रहे हैं । मार्च 1969 में एक गरीब परिवार में जन्में डॉ. नरवाल का बचपन काफी संघर्षपूर्ण तथा कठिनाइयों से भरा रहा। शिक्षा ग्रहण करने हेतु स्कूल जाने के लिए उन्हें प्रतिदिन 10 कि.मी. का लम्बा सफर पैदल तय करना पड़ता था। उत्पादन अभियान्त्रिकी में डिप्लोमा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने बी.ई. सिविल बी.ई.मकैनिकल आईआईटी दिल्ली से एमटैक एलएलबी एलएलएम एमबीए ऑपरेशन मैनेजमैंट एम.फिल प्रबन्धन एमएससी पर्यावरण एमएससी कम्पयूटर सांईस एमसीए एमए लोक-प्रशासन एमए इतिहास व पीएचडी वनस्पति विज्ञान की शैक्षिक उपाधियां भी अर्जित की । वर्तमान में वह एम.ई. सिविल कर रहे है। इंजीनियरी विधि पर्यावरण आईटी तथा प्रबन्धन जैसे क्षेत्र में गहन शिक्षा प्राप्त करने से अपने कार्य क्षेत्र में जल-संसाधन प्रबन्धन अंतर्राज्यीय जल-मुददों तथा काट्रैक्ट इत्यादि विषयों में निहित कानूनी पहलुओं को समझने में उन्हें काफी मदद मिली। डा0 नरवाल वर्ष 1998 में संघ लाक सेवा आयोग की अभियान्त्रिकी सेवाआ के समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर हरियाणा सिंचाई विभाग में बतौर अतिरिक्त कार्यकारी अभियन्ता श्रेणी-1 के रूप में नियुक्त हुए। उन्हें वर्ष 1999 में कार्यकारी अभियन्ता 2008 में अधीक्षण अभियन्ता और 2012 मानी गई तिथि में मुख्य अभियन्ता 2019 में सदस्य सिचांई बीबीएमबी के रूप में पदोन्नत किया गया। विभाग में दी गई उत्कृष्ट सेवाओं के परिणाम स्वरूप उन्हें 4 बार प्रश्स्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। 2020 में बीएसएल परियोजना के जलीय क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदशि्र्त विद्युत उपयोगिता तथा रख-रखाव में गत 10 वर्षो से पूर्णतः सम्पूर्ण व क्रियाशील सर्वश्रेष्ठ परियोजना घोषित कर मिले सी.बीआई.पी अवार्ड 2019 भी उन्हीं के निरन्तर प्रयासों का ही परिणाम है। पर्यावरण संरक्षण की विभिन्न गतिविधियों स्वच्छ भारत मिशन तथा बीबीएमबी कार्यालयों में राजभाषा हिन्दी का निरन्तर बढ़ावा देने के उपलक्ष्य में उन्हें न केवल माननीय अध्यक्ष द्धारा कई बार सराहा गया बल्कि 2018 में हिमाचल राज्य के माननीय कृषि मंत्री द्धारा उन्हें एक प्रश्स्ति पत्र देकर भी सम्मानित किया गया।
अपने सेवा काल के दौरान डा0 नरवाल ने 14 विभिन्न राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में तकनीकी पत्र प्रस्तुत किए। समाकलित जल संसाधन प्रबन्धन के विषय पर उन्होनें वर्ष 2007 में सिंगापुर में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वह 12 राष्ट्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों/समितियों के आजीवन सदस्य हैं। उन्हें विश्व बैंक परियोजनाओं का व्यापक अनुभव प्राप्त है और विश्व बैंक की नीतियों निगरानी व पयर्वेक्षण इत्यादि की भी जानकारी है। विश्व बैंक परियोजनाओं का व्यापक अनुभव होने के कारण वह हरियाणा राज्य में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्त्रोत रहे है। बतौर सदस्य सिंचाई डा0 नरवाल का नेतृत्व भाखड़ा ब्यास प्रबन्ध बोर्ड के लिए बड़े सम्मान व अत्यन्त गौरव का विषय है। सितम्बर 2020 में बीबीएमबी से वापस विभाग में आने के बाद कोई मंजूरशुदा पद नही दिया गया जिससे 4 महीने का वेतन व 2 महीने का गुजारा भत्ता माननीय न्यायालय के आदेश के बाद मिला जिसमें राकेश चौहान प्रमुख अभियन्ता ने न्यायालय में लिखित माफी मांगी। एक साजिश के तहत 31 दिसम्बर 2020 की रात 2 बजे निलिम्बत कर दिया गया। एक उच्च योग्य गतिशील व देश के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगा में से एक होते हुए तथा विभाग के सबसे वरिष्ठ व पहले दलित मुख्य अभियन्ता होते हुए इनको सितम्बर 2021 में इंजीनियर-इन-चीफ बनने से रोककर व इनके जूनियर सतबीर सिंह कादियान को प्रमुख अभियन्ता की पदोन्नति दे दी । 12 नवम्बर 2021 को इनको देवेन्द्र सिंह ए.सी.एस. नहर विभाग ने सरकारी नौकरी से अनिवार्य सेवानिवृति कर दिया गया। नरवाल ने सी.डब्लू.पी. न0 23875/2021 द्वारा उच्च न्यायालय में चैलेंज किया और माननीय न्यायालय ने 29-11-2021 को इस अनिवार्य सेवानिवृति के आदेश को खारिज व रद्द कर दिया जिससे विभाग की साजिश सामने आ गई है और दलित समाज में सरकार के प्रति भारी रोष है] देवेन्द्र सिंह ए.सी.एस की उच्च न्यायालय की अवमानना की अगली तारीख अब 22 फरवरी 2022 है ।