बीकानेर। होलिका दहन के दूसरे दिन से चल रहे बाली गणगौर पूजन महोत्सव के अन्तर्गत सोमवार से दो दिवसीय गणगौर मेला प्रारंभ हुआ। इसके तहत कई स्थानों पर मेला भरा। ढोल ताशों, बैण्ड के साथ बालिकाओ ं ने गवरल कोविदा किया। कई बालिकाएं आज अपनी गवरल को विदा करेगी। चौतीना कुआं, जस्सूसर गेट, नया कुआं, गंगाशहर, भीनासर आदि इलाकों में मेला भरा। मेला स्थलों पर खान-पान, खिलौनो ं की अस्थाई दूकानें व झूले लगे हुए थे। ‘आगे बै ंडबाजा, पीछे मोटरकार है…रो मत गवरल हरियाला बन्ना साथ है..Ó आदि गीतो ं के साथ सोमवार गवर भोळावण की रस्म निभाई गई।

युवतियां और महिलाएं गाजे-बाजे के साथ गीत गाती गवर भोळावण करने नया कुआं, चौतीना कुआं, जस्सूसर गेट, गंगाशहर आदि क्षेत्रों में पहुंची। जूनागढ़ से गणगौर की शाही सवारी निकली रियासतकालीन परम्परानुसार बीकानेर राजपरिवार की ओर से गणगौर की शाही सवारी निकाली गई। परम्परा के अनुसार जूनागढ़ की जनाना डïयोढी से शाही सवारी रवाना हुई। रायसिंह बैंड की राजस्थानी धूनों के साथ चौतीना कुंआ पहुंचने पर पानी पिलाने की रस्म अदा की गई। आज भी जूनागढ में मेला भरेगा। उधर नत्थूसर बास में मेला शुरु हुआ। समिति अध्यक्ष चांदरतन सांखला ने बताया कि महोत्सव के दौरान नृत्य, श्रंृगार प्रतियोगिताएं हुई।

जादूगर याशमीन व बादशाह जहांगीर ने अपने जादू के करतब दिखाए। बारहमासा गवर पूजन उत्सव के पहले दिन घर-घर के समक्ष बारहमासा गणगौर-ईशर को श्रृगांरित कर चौकी व पाटों पर गणगौर को बिठाया गया। महिलाओं व युवतियों ने गणगौरी गीतों के गायन के साथ बारहमासा गणगौर का पूजन कर पानी पिलाने की रस्म निभाई। बालिकाओं ने गणगौर के समक्ष नृत्य प्रस्तुत किया।

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बारहमासा व्रतधारी महिलाओं ने बारहमासा गणगौर का पूजन, पानी पिलाने व खोळ भरने की रस्म के साथ गवरजा को साड़ी ओढ़ाई। बारहमासा व्रतधारी महिलाओं ने इससे पूर्व शहरी में गणगौर की सवारी निकाली। गणगौर को सिर पर रखकर कुएं पर पानी पिलाने पंहुची व घर-परिवार के सदस्यों के साथ सग- संबधियों व परिवार के घरों में पंहुचकर गणगौर का खोला भरवाने की रस्म निभाई।