2014 में भी विधानसभा में शक्ति परीक्षण के समय शरद पवार की एनसीपी के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया और महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनी थी

शिवसेना ने माना यज्ञ में विघ्न डाला जा रहा है।

20 नवम्बर को एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के किसानों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन दिया गया है। इस ज्ञापन में किसानों की स्थिति का जिक्र करते हुए राहत पैकेज की मांग की गई है। जब महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है तब शरद पवार किसानों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात कर रहे हैं। शरद पवार यह दिखाना चाहते हैं कि उनके लिए सरकार बनाने से पहले किसानों को राहत दिलवाना है। अब यदि शरद पवार के ज्ञापन पर केन्द्र सरकार महाराष्ट्र के किसानों के लिए कोई राहत पैकेज जारी करती है तो इसका श्रेय शरद पवार को ही जाएगा। 18 नवम्बर को शरद पवार ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। तब भी यह माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर सोनिया गांधी के साथ बात करेंगे। लेकिन सोनिया गांधी से मिलने के बाद शरद पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर सोनिया गांधी से कोई बात नहीं हुई है।

सोनिया गांधी और नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर चर्चा नहीं करने की बात कह कर शरद पवार ने यह भी दर्शा दिया है कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की सरकार बनाने को लेकर उन्हें कोई जल्दबाजी नहीं है। सब जानते हैं कि शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर उतावली है। लेकिन शिवसेना के ऐसे उतावलेपन पर शरद पवार ने पानी फेर दिया है। यही वजह है रही कि 20 नवम्बर को शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने माना कि सरकार गठन के यज्ञ में विघ्न डाला जा रहा है। राउत ने कहा कि अब दिसम्बर में सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। यानि शरद पवार के रुख के बाद शिवसेना ने भी अपने तेवर ढीले कर दिए हैं।

सवाल उठता है कि आखिर शिवसेना के यज्ञ में विघ्न कौन डाल रहा है? जानकारों की माने तो किसानों की मदद के मुददे पर शरद पवार महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने का रास्ता निकाल सकते हैं। वर्ष 2014 में भी शरद पवार ने ही महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनवाई थी। तब भाजपा और शिवसेना ने अलग अलग चुनाव लड़ा था और भाजपा को 122 सीटें प्राप्त हुई थी, लेकिन विधानसभा में शक्ति परीक्षण के समय शरद पवार की एनसीपी के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया ऐसे में भाजपा ने मौजूद विधायकों की संख्या के आधार पर विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया। बहुमत साबित करने के बाद ही शिवसेना ने महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार को समर्थन देने की घोषणा की। हालांकि अब शिवसेना और भाजपा में फिर से गठबंधन होने की संभावना बहुत कम है। ऐसे में शरद पवार ही महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनवा सकते हैं।