– कृष्ण जन्म होते ही जयकारों से गूंजा कथा पाण्डाल
– कथा के मध्य देवीजी ने किया शहीदों को याद
– जैन परिवार का हुआ आगमन गोहितार्थ दिया 5 लाख का सहयोग
नागौर।ब्रह्मलीन गो सेवी संत दुलाराम कुलरिया सिलवा, नोखा (बीकानेर) वालो की पुण्यतिथि पर महामण्डलेश्वर कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर द्वारा आयोजित गोहितार्थ भागवत कथा के तृतीय दिवस पर कथा वाचिका देवी ममता ने बताया कि देश की सेवा करने से भी प्रभु भक्ति जीतना ही फल प्राप्त होता है आज हम सब अमर शहीदों की वजह से सुरक्षित है, वतन के रखवालों का त्याग और बलिदान को कभी हमें भुलना नही चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।
महाराज भरत के जीवन चरित्र का वृतान्त सुनाते हुए बताया कि महाराज भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम भारतवर्ष से ‘भारत’ पड़ा और भक्त प्रहलाद की प्रभु की भक्ति व हिरण्याकश्यप का भगवान नृसिंह अवतार में वध करने का प्रसंग बताते हुए भगवान के विभिन्न अवतारों की
कथा सुनायी।

इसके साथ ही कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान के विष्णु विभिन्न अवतारो के बारे में वृतांत सुनाते हुए बताया कि जब धरा पर अत्याचार, पाप , अधर्म, बढ़ता है, तब भगवान विभिन्न अवतारों में अवतरित होते है। दैत्यराज महाराज बलि के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए विष्णु ने वामन अवतार धरा, रावण के अत्याचारों के लिए भगवान राम ने अवतार लिया, कंस का संहार करने के लिए भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। साथ ही कथा के तृतीय दिवस पर ‘भरत की काली माँ द्वारा की गई रक्षा’ व हिरण्याकश्यप का वध करते हुए ‘भगवान नृसिंह अवतार’ व चतुर्थ दिवस पर ‘वामन अवतार’ ‘राम दरबार’ ‘भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव’ की सुंदर मनमोहक सजीव झांकियों का प्रस्तुतिकरण किया गया।
कथा के दौरान महामण्डलेश्वर ने स्वतंत्रता दिवस पर बोलते हुए कहा की जो व्यक्ति देश, संतो, अबला नारी, गोमाता और ब्राह्मण की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देते है, उन्हें भगवान के श्री चरणों में स्थान मिलता है, उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है, ऐसे अवसर मिलने पर कभी चुकना नहीं चाहिए। साथ ही चाण्डाल का प्रसंग सुनाते हुए कहा की जो लोग गोचर भूमि पर कब्जा करते है उनको शास्त्रों में चाण्डाल से भी नीच बताया है।

मुकेश डांगी व फुलचंद मुंदड़ा संगीत मंडली ने ‘हो जाओ तैयार साथियो’ व ‘जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा’ जैसे देशभक्ति गीतो की प्रस्तुतियां दी, कथा में आये श्रद्धालुओ ने देशभक्ति व भक्तिमय गीतों पर जमकर नृत्य किया।
कथा में आज के मुख्य यजमान मोहनसिंह राठौड़ व उनकी धर्मपत्नी सन्तोष कंवर बने। कथा के चतुर्थ दिवस पर संत दुलाराम कुलरिया की सुपुत्री राजेश्वरी व उनके परिवार सहित आगमन हुआ। साथ ही पाली से पधारे दिनेश जैन ने गोहितार्थ दवाईया, बांटा, चारा हेतु 5 लाख का सहयोग दिया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।