हाईकोर्ट ने पूछा- ” एक ही देश में कोरोना वैक्सीन के अनेक रेट क्यों ” –?,अगली सुनवाई 12 मई को

जयपुर, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। कोरोना वैक्सीन की कीमतों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार समेत संबंधित निर्माता कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं.

याचिका में कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार बजट में वैक्सीनेशन को लेकर 35 हजार करोड़ का प्रावधान किया है. वहीं पीएम केयर्स फंड में भी करीब 900 से 1 हजार करोड़ रुपए का फंड होने का अनुमान है।

देशभर में 1 मई को 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वेक्सीनेशन ड्राइव शुरू हो रही है। इससे पहले गुरुवार को राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और अन्य को नोटिस जारी करके पूछा है कि पूरे देश में एक ही कोरोना वैक्सीन के अलग-अलग दाम क्यों (Why different rates ) तय किए गए हैं? जस्टिस सबीना की खंडपीठ ने यह नोटिस वरिष्ठ पत्रकार मुकेश शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है. मामले में अदालत 12 मई को अगली सुनवाई करेगी.

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि देश में एक ही वैक्सीन की तीन दरें तय की गई हैं. केंद्र सरकार को कोविशील्ड और को-वैक्सीन 150 रुपए में मिलेगी. वहीं, यही वैक्सीन राज्य सरकार को 400 रुपए में उपलब्ध होगी. निजी अस्पताल को इसके लिए 600 और 1200 रुपए प्रति डोज चुकाने होंगे. ऐसे में केंद्र सरकार और निजी कंपनियां संविधान के आर्टिकल 14 और 21 का उल्लंघन कर रही हैं.

*बजट में 35 हजार करोड़ का प्रावधान, फिर भी फ्री वैक्सीनेशन नहीं*

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में वैक्सीनेशन को लेकर 35 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. पीएम केयर्स फंड में भी करीब 900 से 1 हजार करोड़ रुपए का फंड होने का अनुमान है। ऐसे में केंद्र सरकार को पूरे देश में फ्री वैक्सीनेशन ड्राइव चलानी चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके लिए गत 1 वर्ष से भी पहले से तैयारी कर रखी थी।

*रेट को लेकर विवाद*

उल्लेखनीय है कि वैक्सीन की दरों को लेकर पहले ही देशभर में हल्ला मचा हुआ है. कई राज्य पहले भी वैक्सीन की दरों में भारी अंतर को लेकर आपत्तियां उठा चुके हैं. वहीं, इस मसले पर सोशल मीडिया में भी बहस छिड़ी हुई है. लोगों का तर्क है कि एक ही देश में एक ही तरह की दवाई और वैक्सीन की अलग-अलग कीमत कैसे हो सकती है. राजस्थान सहित कई राज्य फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा कर चुके हैं।

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सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में उल्फा (आई) का शीर्ष उग्रवादी को मारा गया ,एक सहयोगी गिरफ्तार

नई दिल्ली,( दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। असम के बोंगईगांव जिला में बृहस्पतिवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान उल्फा (आई) का शीर्ष उग्रवादी मारा गया और उसके एक सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया गया है। राज्य के डीजीपी भास्कर ज्योति महंता ने इस बारे में बताया।

डीजीपी महंता ने ट्वीट कर बताया कि प्रतिबंधित संगठन ‘‘कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों के अपहरण’’ की साजिश रच रहा था लेकिन उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। उल्फा (आई) पश्चिमी कमान में हाल में नियुक्त द्विपेन साउद को मनकीपुर पुलिस थाना क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी के दौरान मार गिराया गया।

महंता ने ट्वीट किया, ‘‘कुछ दिन पहले ही बोंगईगांव जिला में बेसीमारी (माणिकपुर पुलिस थाना) में पुलिस और उल्फा के बीच मुठभेड़ हुई थी। उल्फा (आई) पश्चिमी कमान के कमांडर ने हाल में दृष्टि राजखोवा की जगह कर्नल द्विपेन साउद को नियुक्त किया था जिसकी गोली लगने से मौत हो गयी।’’ मुठभेड़ के बाद साउद को अस्पताल ले जाया गया।

उन्होंने बताया कि स्वयंभू उल्फा (आई) कमांडर के गनमैन पदुम राय को गिरफ्तार किया गया है और उसके पास से हथियार जब्त किये गये हैं। डीजीपी के अनुसार ‘‘बेहद सटीक’’ पुलिस खुफिया जानकारी से ऑपरेशन सफल हुआ।

उन्होंने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा, ‘‘हमें खुफिया सूचना मिली थी कि वेस्टर्न कमान अन्य भारत विरोधी ताकतों के साथ मिलकर कुछ हाई-प्रोफाइल लोगों के अपहरण की साजिश रच रही थी जो अब नाकाम होता प्रतीत हो रहा है।’’

इस कदम के महज आठ दिन पहले प्रतिबंधित संगठन के कुछ उग्रवादियों ने असम-नगालैंड सीमा पर शिवसागर जिला में ओएनजीसी के लकवा तेल कुआं क्षेत्र से उसके तीन कर्मचारियों को अगवा कर लिया था।

ओएनजीसी के दो कर्मचारियों को भारत-म्यांमा सीमा के पास नगालैंड के मोन जिले में मुठभेड़ के बाद 24 अप्रैल को मुक्त करा लिया गया जबकि तीसरे कर्मचारी की तलाश जारी है। इस पहले क्विप्पो ऑयल एंड गैस इंफ्रास्ट्रक्चर के दो कर्मचारियों को उल्फा (आई) ने दिसंबर में अगवा किया था जिन्हें मुक्त करा लिया गया। दोनों को अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिला में कुमचाईखा हाईड्रोकार्बन ड्रिलिंग साइट से अगवा किया गया था।

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कोरोना को लेकर विदेशी मीडिया के निशाने पर मोदी सरकार …

नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी)। देश में कोरोना ने जो विकराल रूप लिया है, उससे सरकार और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी की सच्चाई तो सबके सामने आई ही है लेकिन अगर किसी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, तो वो है आम जनता। जब देश में कोरोना का ग्राफ चढ़ रहा था, उस समय प्रधानमंत्री मोदी समेत कई राजनेता विधानसभा चुनाव में अपनी जीत दर्ज करने के लिए रैलियां कर रहे थे। केंद्र या राज्य सरकारों के लिए उस समय बढ़ते कोरोना या ऑक्सीजन की सप्लाई को सुनिश्चित करना अहम नहीं था, बल्कि विरोधी पार्टियों के नेताओं पर आरोप लगाना और बड़े-बड़े मैदानों में भीड़ जुटाना, यही प्राथमिकता थी। यही वजह रही कि देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा। इस बीच विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार की महामारी से निपटने की योजनाओं की जमकर आलोचना की।

प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी को कोरोना की लड़ाई में नाकाम बताया। इस लेख में प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरे मंत्रिमंडल पर सवाल उठाए गए और यह भी कहा गया कि भारत में टीकाकरण की रफ्तार धीमी हो गई। एक दूसरे लेख में बताया गया कि भारत में कोरोना अब नियंत्रण के बाहर है। लेख में दिल्ली के स्थानीय लोगों के हवाले से छापा गया है कि इससे पहले इतने शवों को एक साथ जलते नहीं देखा है।

अमेरिका का अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने लेख में लिखा कि भारत में कोरोना वायरस के मामले बेकाबू हो गए हैं। सरकार के गलत फैसलों की वजह से भारत की यह स्थिति हुई है, जबकि पहले साल में लॉकडाउन लगाकर भारत ने काफी हद तक काबू पा लिया था।

ब्रिटेन का अखबार ‘द गार्जियन’ ने भारत में फैले कोरोना संक्रमण पर पीएम मोदी को घेरा। अखबार में अपने लेख में लिखा कि पीएम मोदी की अति आत्मविश्वास की वजह से ही भारत में जानलेवा कोविड-19 की दूसरी लहर रिकॉर्ड स्तर पर है।

ऑस्ट्रेलिया का अखबार ‘ऑस्टेलियन फाइनेंशियल रिव्यू’ के मशहूर कार्टूनिस्ट डेविड रोव का एक कार्टून सोशल मीडिया पर तेजी से फैला। इस कार्टून में एक पस्त हाथी जमीन पर पड़ा है, जिसकी पीठ पर सिंहासन लगाकर पीएम मोदी बैठे हैं।

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रिलायंस जियो दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली कंपनियों में शामिल

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। मुकेश अंबानी की कंपनी जियो प्लेटफ़ॉर्म्स ने ‘टाइम’ मैगजीन की 100 सबसे प्रभावशाली कंपनियों की सूची में जगह बनाई है।

सूची में जियो प्लेटफॉर्म्स का नाम भारत में डिजिटल बदलाव लाने के लिए शामिल किया गया है। टाइम मैगजीन ने कहा,“ पिछले कुछ वर्षों में जियो ने भारत का सबसे बड़ा 4जी नेटवर्क तैयार किया है। जियो सबसे कम दरों पर 4जी सर्विस दे रही है। एक जीबी डेटा रिलायंस जियो 5 रुपये की किफायती कीमत पर बेच रही है।”

मैगजीन ने कहा, “दुनिया भर के निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल कंपनी जियो प्लेफॉर्म्स में निवेश करने के लिए तैयार खड़े हैं। वे रिलायंस जियो के 41 करोड़ उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले साल जियो में 20 अरब डॉलर का निवेश आया है, यह जियो के तेजी से बढ़ते आधार के मूल्य और क्षमता को रेखांकित करता है। जियो प्लेटफॉर्म्स फेसबुक के साथ मिलकर व्हाट्सएप-आधारित एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है। किफायती 5जी स्मार्टफोन बनाने के लिए रिलायंस जियो गूगल के साथ काम कर रहा है।”

जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड को भारत में डिजिटल बदलाव के लिए इनोवेटर्स श्रेणी में रखा गया है। जियो प्लेटफ़ॉर्म भारत की एकमात्र कंपनी है जिसने इनोवेटर्स श्रेणी में जगह बनाई है, इस कैटेगरी में नेटफ्लिक्स, निंटेंडो, मॉडर्ना, द लेगो ग्रुप, स्पोटीफाई जैसी अन्य वैश्विक कंपनियां हैं।

सूची में रिलायंस जियो के अलावा भारत से शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी बायजू भी शामिल है। सूची में स्वास्थ्य देखभाल, मनोरंजन, परिवहन और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां शामिल हैं। मैगजीन के अनुसार, प्रासंगिकता, प्रभाव, नवाचार, नेतृत्व, महत्वाकांक्षा और सफलता सहित प्रमुख कारकों के मूल्यांकन के बाद सूची तैयार की गई है।

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चीन ने स्थायी अंतरिक्ष केंद्र के लिए मुख्य मॉड्यूल को लांच किया

नई दिल्ली,( दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। चीन ने अपने पहले स्थायी अंतरिक्ष केंद्र के लिए बृहस्पतिवार को मुख्य मॉड्यूल को लांच किया। इस अंतरिक्ष केंद्र में लंबे समय तक अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे।

‘तियांहे’ (हेवेनली हार्मनी) नामक इस मॉड्यूल को मार्च 5बी रॉकेट के माध्यम ये दक्षिणी द्विपीय प्रांत हैनान के वेनचांग प्रक्षेपण केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। इसे देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

इसके साथ ही 11 मिशन में अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने की योजना पर अमल शुरू हो गया और अगले साल के अंत तक अंतरिक्ष केंद्र में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना है और वे एक बार में छह महीने तक वहां रह सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत 40 साल के बाद पहली बार चांद से नमूना धरती पर लाने में सफल हुआ था और उसका रोवर अगले महीने मंगल की सतह पर उतरेगा।

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चीन ने लॉन्च किया खुद का स्पेस स्टेशन, अंतरिक्ष में अमेरिका को देगा टक्कर*

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। चीन ने अंतरिक्ष में अमेरिका को टक्कर देने के लिए आज खुद का स्पेस स्टेशन के पहले कोर कैप्सूल मॉड्यूल को लॉन्च किया है. आने वाले दिनों में ऐसी ही कई लॉन्चिंग के जरिए स्पेस स्टेशन के बाकी हिस्सों को भी अंतरिक्ष में पहुंचा दिया जाएगा. चीन की योजना इस साल के अंत से अपने पहले स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन को शुरू करने की है. अभी तक केवल रूस और अमेरिका ने ही ऐसा कारनामा किया है. हालांकि, इस समय केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ही सक्रिय है.

चीन ने वेन्चांग स्पेस लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च-5 बी रॉकेट के जरिए स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल को अंतरिक्ष में लॉन्च किया. यह लॉन्ग मार्च-5बी की दूसरी उड़ान थी. चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी में अंतरिक्ष के उप मुख्य डिजाइनर बाई लिन्होउ ने कहा कि तियांहे मॉड्यूल अंतरिक्ष केंद्र तियानगोंग के प्रबंधन एवं नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेगा और इसमें एक साथ 3 अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था है.

चीन ने अपने स्पेस स्टेशन को टियोंगॉन्ग नाम दिया है. चीनी भाषा में इसका मतलब जन्नत का महल होता है. यह मल्टीमॉडल स्पेस स्टेशन मुख्य रूप से 3 पार्ट से मिलकर बना होगा, जिसमें एक अंतरिक्ष कैप्सूल और 2 लैब होंगी. इन सभी का कुल भार 90 मीट्रिक टन के आसपास होगा. स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल का नाम तियान्हे रखा गया है, जिसका मतलब स्वर्ग का सद्भाव होता है.

चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इस साल के अंत से काम करना शुरू कर देगा. इसकी जीवन अवधि 15 साल आंकी गई है. चीनी कोर कैप्सूल की लंबाई 4.2 मीटर और डायामीटर 16.6 मीटर है. इसी जगह से पूरे अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन किया जाएगा. अंतरिक्ष यात्री इसी जगह पर रहते हुए पूरे स्पेस स्टेशन को कंट्रोल कर सकेंगे. इस मॉड्यूल में साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट करने की भी जगह होगी. इस कैप्सूल में कनेक्टिंग सेक्शन के 3 हिस्से होंगे, जिसमें एक एक लाइफ-सपोर्ट, दूसरा कंट्रोल सेक्शन और तीसरा रिसोर्स सेक्शन होगा.

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कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सेना प्रमुख से मुलाकात, राहत कार्य पर हुई चर्चा

नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कोविड-19 प्रबंधन को लेकर सेना की ओर से उठाए गए कदमों और अन्य तैयारियों की समीक्षा की। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर सेना द्वारा कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक नरवणे ने प्रधानमंत्री को बताया कि विभिन्न राज्य सरकारों को सेना के चिकित्साकर्मी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में सेना की ओर से अस्थायी अस्पतालों का भी निर्माण किया जा रहा है।

नरवणे ने प्रधानमंत्री को बताया कि जहां संभव हो रहा है वहां सेना के अस्पतालों में आम जनता की सेवा में इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके लिए आम नागरिक चाहें तो पास के सेना के अस्पताल से संपर्क साध सकते हैं। सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि आयात किए गए ऑक्सीजन टैंकरों और गाड़ियों के प्रबंधन में जहां विशेषज्ञ कौशल की जरूरत पड़ रही है वहां सेना के श्रमबल की ओर से मदद पहुंचाई जा रही है।

देश में तेजी से बढ़ते कोविड-19 के मामलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और वायुसेना अध्यक्ष आर के एस भदौरिया से मुलाकात कर सेना के विभिन्न अंगों द्वारा इस महामारी से लड़ने के मद्देनजर उठाए गए कदमों की तैयारियों का जायजा लिया था।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने गौतम गंभीर को कोविद-19 ड्रग “फैबिफ्लु” के वितरण पर सवाल उठाए

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौतम गंभीर से कविड-19 ओवर ड्रग्स के प्राधिकरण पर सवाल उठाए

नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के दिल्ली उच्च न्यायालय खंड पीठ ने क्रिकेटर से पूछा कि वह कोविद -19 दवाओं की भारी मात्रा में खरीद कैसे कर सकता है और क्या उसके पास प्राधिकरण का लाइसेंस है—???

दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल मेहरा ने कोर्ट में कहा कि यह गौतम गंभीर की ओर से ‘”बहुत गैर जिम्मेदाराना” था। और उन्होंने अपने कार्यालय से संपर्क करने की भी कोशिश की, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

गौतम गंभीर के ट्विटर पर यह घोषणा करने के बाद कि वह कोविद-19 दवा, फैबिफ्लू मुफ्त में भेजेंगे, यह सब तब हुआ, जिसके बाद, अदालत ने आम लोगों के लिए दवाओं की कमी के बीच उनके अधिकार और खरीद पर सवाल उठाया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई के काले विपणन पर चिंता भी व्यक्त की

दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर अपनी नाराजगी उस समय व्यक्त की जब मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। यह तब आया जब उन्होंने अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन संकट और दिल्ली में कोविद-19 रोगियों के इलाज के बारे में एक याचिका पर सुनवाई की।

अदालत ने कहा कि कमी और तत्काल आवश्यकता के कारण, लोगों को चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए लाखों में भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया था, जो आमतौर पर केवल कुछ सैकड़ों खर्च में आसानी से उपलब्ध हो रही थी। इसके अलावा जो लोग मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के काले विपणन में लिप्त हैं, उन्हें पुलिस को सौंप दिया जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान, दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि सरकार मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति का प्रबंधन करने में असमर्थ है, तो वे नौकरी करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अदालत केंद्र सरकार को पदभार संभालने के लिए कहेगी।

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विदेशी मीडिया में मोदी की आलोचना से सरकार मुश्किल में, खबरों को सेंसर करने की कोशिश

नई दिल्ली,( दिनेश शर्मा “अधिकारी”) । पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से गुजर रहा है और विशेषज्ञ बताते हैं कि संकट अभूतपूर्व है। अस्पतालों के बाहर दवाओं, बिस्तर और ऑक्सीजन की कमी के कारण दर्जनों मौतें हो रही हैं। श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए लाइनें लगी हुई हैं। ऐसे में मेडिकल सप्लाई न करवा पाने को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना भी हो रही है। आलोचक अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया वेबसाइटों का सहारा ले रहे हैं, जिन पर सरकार की निगाह रहती है। इसीलिए अब सरकार की कोशिश है कि किसी भी तरह सोशल मीडिया वेबसाइटों पर चल रही खबरों को सेंसर किया जाए। लेकिन विदेशी मीडिया लगातार केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बना रहा है। विदेशी मीडिया में सरकार के खिलाफ छपने वाली खबरों और उन्हें लेकर सरकार के नज़रिये पर डी डब्लू वर्ल्ड ने एक विस्तृत रिपोर्ट पोस्ट की है। डी डब्लू वर्ल्ड लिखता है कि इसी हफ्ते ऑस्ट्रेलिया में एक अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ ने जब ‘” मोदी के नेतृत्व में भारत में वायरल कयामत’ ” (Modi leads India into viral apocalypse) के शीर्षक से खबर छापी तो वहां के उच्चायुक्त ने पत्र लिखकर अखबार की आलोचना की। जाहिर है कि सरकार बाहर से हो रही आलोचना को लेकर ज्यादा चिंतित है, क्योंकि उस पर नियंत्रण नहीं है।

हाल ही भारत सरकार ने दर्जनों सोशल मीडिया पोस्ट हटवा दी हैं। इनमें से अधिकतर पोस्ट ऐसी हैं जिनमें सरकार की आलोचना की गई थी। विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत सरकार छवि की चिंता में सूचना को काबू कर रही है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर ने कहा है कि भारत सरकार के कहने पर उसने कुछ पोस्ट भारत में देखे जाने के लिए ब्लॉक कर दी हैं। हालांकि ट्विटर ने यह नहीं बताया है कि किन ट्वीट्स को ब्लॉक किया गया है लेकिन मीडिया में छपी खबरें बताती हैं कि अधिकतर पोस्ट कोविड-19 संकट के दौरान सरकार के रवैये को लेकर आलोचनापूर्ण थीं। फेसबुक और इंस्टाग्राम से भी ऐसी कुछ पोस्ट हटाए जाने की रिपोर्ट हैं।

सरकार का कहना है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट हटाई गई हैं जो भ्रामक खबरें फैला रही थीं और संकट के दौरान डर का माहौल बना रही थीं। सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “महामारी के खिलाफ लड़ाई में बाधाएं हटाने के लिए यह फैसला लिया गया है। ये पोस्ट आम-व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती थीं।”

फरवरी में भी ट्विटर ने 500 ऐसे अकाउंट बंद कर दिए थे जो भारत में किसान आंदोलन के बारे में लिख रहे थे। ऐसा भारत सरकार द्वारा कंपनी को कानूनी नोटिस जारी करने के बाद किया गया था। मीडिया की आजादी पर निगाह रखने वालीं संस्थाओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती और लोगों की अवधारणा पर नियंत्रण चाहती है।‘द वायर’ वेबसाइट की ऑम्बड्समन और मीडिया पर लिखने वालीं पैमेला फिलिपोस कहती हैं, “सरकार की पहली कोशिश होती है कि सूचना पर नियंत्रण किया जाए। बेशक महामारी के दौरान गलत जानकारियां भी फैलती हैं लेकिन ऐसे सेंसर कर देना भी तो मदद नहीं करता क्योंकि यह सूचनाओं पर प्रतिबंध है।” एक अन्य मीडिया विशेषज्ञ और ‘द हूट’ की संस्थापक संपादक सेवंती नैनन ने कहा कि पहले तो सरकार संदेशवाहकों को निशाना बनाती थी, अब प्लैटफॉर्म को भी निशाना बना रही है।

बीते कुछ सालों में भारतीय मीडिया में ध्रुवीकरण बढ़ा है और अक्सर भारत सरकार की आलोचना करती खबरों को भारत की छवि पर हमला बताया जाता है। ऐसे में बहुत से ऐसे टेलीविजन और वेब चैनल्स हैं जिन्हें सरकार विरोधी या भारत विरोधी कहा जाने लगा है जबकि कुछ अन्य चैनलों को सरकार का संरक्षण और समर्थन मिलता है। मसलन जब दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे थे तो कुछ चैनलों ने खबर दी कि दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की नाकेबंदी के कारण ऑक्सीजन शहर में नहीं आ पा रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार के मीडिया सलाहकार टेलीविजन एंकरों को बहस के विषय भेजते हैं। यह अधिकारी बताते हैं, “कई चैनलों ने ऐसे विषयों पर बहसें की हैं कि क्या भारत विरोधी लॉबी देश की छवि खराब करने का षड्यंत्र कर रही है।”

बात सिर्फ सोशल मीडिया पोस्ट हटाने तक ही नहीं रुकती है। आलोचना करने वालों को अन्य कई खतरे भी हैं। जैसे कि उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्य नाथ ने आदेश जारी किया है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है जैसी ‘अफवाहें’ फैलाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जाए। विदेशी मीडिया के लिए काम करने वाले पत्रकारों को भी दवाब झेलना पड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया समूह के लिए काम करने वाले एक पत्रकार ने बताया, “जब हमने खबर छापी कि महामारी में मौत के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं तो हमें कई बड़े लोगों से फोन आए।”

पिछले हफ्ते रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने भारत को ‘खराब’ पत्रकारिता वाले देशों की सूची में शामिल किया है और पत्रकारों के लिए इसे दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में गिना है। 2021 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 180 देशों की सूची में भारत का 142वां स्थान है।

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*टेंडर घोटाले मामले में IPS अरविंद सेन के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल*

नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। पशुपालन विभाग में टेंडर घोटाले के नाम पर करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़ा में आईपीएस अरविंद सेन के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. एसीपी गोमतीनगर श्वेता श्रीवास्तव इस मामले की विवेचना कर रही हैं. मामले की अगली सुनवाई 5 मई को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में होगी. अरविंद सेन पर पशुपालन विभाग में फर्जी टेंडर दिलाने के मामले में नौ करोड़ से अधिक ठगी का आरोप है.

पशुधन राज्यमंत्री जय प्रताप निषाद के दफ्तर में हुए फर्जीवाड़े की जांच एसटीएफ ने पिछले साल की थी. इसके बाद ही पिछले साल 13 जून को पीड़ित व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया ने हजरतगंज कोतवाली में मुख्य आरोपी आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, पशुधन मंत्री के निजी सचिव रजनीश और धीरज देव, अरविन्द सेन, दिलबहार सिंह यादव समेत 13 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी.

इस मामले में सचिवालय कर्मचारियों समेत 17 लोगों के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. विवेचना में अरविंद सेन के खिलाफ आरोप सही पाये गये थे. इसी बीच शासन ने अरविंद सेन को निलम्बित कर दिया था. इसके बाद एसीपी ने उनकी सम्पत्ति कुर्क की, गैर जमानती वारन्ट लिया. इसके बाद ही उन्हें जेल जाना पड़ा. अब एसीपी ने कई साक्ष्यों के साथ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी.

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पीड़ितों से एंबुलेंस चालकों द्वारा मनमानी वसूली पर नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने कंट्रोल रूम स्थापित किया

एंबुलेंस चालकों ने भी आपदा का फायदा उठाते हुए पीड़ितों से 3 किलोमीटर के 10हजार और 25 किलोमीटर के 44 हजार वसूले

कंट्रोल रूम में शिकायत आने पर पीड़ितों को वापस दिलाए पैसे

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। देश में कोरोना ने स्थिती को बेहद खराब कर रखा है, ऐसे में कोरोना संक्रमितों की मजबुरी का फायदा उठाकर एम्बुलेंस चालक मनमाने तरीके से पैसे की वसूली कर रहे हैं। महज 3 किमी की दूरी के 10 हजार रुपये तो कहीं 25 किमी जाने के लिए 44 हजार रुपये वसूले गए। लेकिन नोएडा पुलिस ने लोगों को इस समस्या से निजात दिलाने का हल निकाल लिया है

उल्लेखनीय है कि नोएडा में कोरोना पीड़ित परिवार से एम्बुलेंस चालक ने 42 हजार रुपए वसूले। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर एम्बुलेंस चालक को पकड़ा और पूछताछ की, पहले वह नकार गया लेकिन बाद में उसने पैसे वापस लौटाने की बात कही।नोएडा ट्रैफिक पुलिस को एक खास डयूटी सौंपी है. इसके तहत कुछ ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की डयूटी कोविड अस्पतालों के पास लगाई गई है. एक हेल्पलाइन नंबर 9971-009001 भी जारी किया गया है। ट्रैफिक पुलिस के इस कंट्रोल रूम से कोरोना महामारी से पीड़ित परिजनों को बेहद राहत महसूस हुई है और शिकायत आने पर ट्रैफिक पुलिस इस पर त्वरित कार्यवाही भी कर रही है संवाददाता दिनेश कुमार शर्मा” अधिकारी” की ट्रैफिक पुलिस से हुई वार्ता अनुसार ट्रैफिक पुलिस कंट्रोल रूम ने स्वीकार किया की गत 5-6 दिनों में इस तरीके के मामले आए हैं और उनको त्वरित गति से निपटाया भी गया है

क्या है पूरा मामला—–

जानकारी के मुताबिक नोएडा सेक्टर-50 निवासी असित कोरोना से पीड़ित थे। उनकी देखभाल के लिए दिल्ली से छोटा भाई आया हुआ था। लेकिन अचानक स्थिती ज्यादा बिगड़ने से ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा। छोटे भाई ने प्राइवेट एम्बुलेंस चालकों को फोन किया। जैसे तैसे एक एम्बुलेंस चालक वहां पहुंचा, लेकिन वहां उसने 44 हजार रुपये की मांग की। असित की तबियत बिगड़ती जा रही थी पैसे कम कराने की बजाय उसे तुरंत अस्पताल पहुचाना जरूरी था। इसलिए छोटे भाई ने ग्रेटर नोएडा के शारदा और प्रकाश अस्पताल में चक्कर लगाए, लेकिन बेड नहीं मिला। जिसके बाद यथार्थ अस्पताल में बेड मिला तो वहां भर्ती करा दिया। असित के भाई ने एम्बुलेंस चालक को पैसे देने लगा तो उसने एक बार कहा कि आप सिर्फ 25 किमी के 44 हजार रुपये ले रहे हो। इस पर चालक ने कहा की 2 हजार रुपये कम कर देता हूं, लेकिन 42 हजार रुपये से एक पैसा कम नहीं लूंगा। छोटे भाई ने एम्बुलेंस चालक को 42 हजार रुपये का पेमेंट कर दिया गया। इसके बाद असित के भाई ने नोएडा पुलिस से इस मामले की शिकायत कर दी।

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काल पर भारी Corona: अब रात में भी जल रही चिताएं, इस शहर में बदल गईं परंपराएं और वक्त

नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। कोरोना अब काल पर भी भारी पड़ गया है. इस महामारी से पूरे प्रदेश में तो हाहाकार मचा ही है, लेकिन ग्वालियर में इसने परंपरा और काल के समय चक्र को भी मात दे दी है. ग्वालियर में अब चिताओं को रात में भी जलाया जा रहा है. जगह नहीं होने पर उन्हें श्मशान घाट के रास्ते में ही जला दिया जा रहा है.जानकारी के मुताबिक, लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम अब कोविड से मरने वाले लोगों के शवों का बोझ नहीं उठा पा रहा. यहां एक ही दिन में 20 से ज्यादा चिताएं जलाई जा रही हैं. गुरुवार को यहां 22 चिताओं को अग्नि दी गई. शाम 4:30 बजे यहां 8 चिताएं जमीन पर जल रहीं थीं और 12 शव का अंतिम संस्कार गैस शवदाह गृह में किया गया. यहां अब रात में भी शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

” पीपीई किट में विश्राम घाट जा रहे परिजन ”

सूत्रों के अनुसार प्रोटोकॉल से होने वाले शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए 3 से 4 परिजन ही पहुंच रहे हैं. परिजन भी डर के मारे पीपीई किट में जा रहे हैं. गुरुवार को जब विश्राम घाट में जगह कम पड़ी तो 8 शवों के अंतिम संस्कार विश्राम घाट के रास्ते पर चिता बनाकर किए गए.

” एक्टिव मरीजों की संख्या में वृद्धि ”

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के एक्टिव मरीजों की संख्या 84957 हो गई है. 9620 मरीज़ अस्पताल से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं. इंदौर मे 2107, भोपाल में 1008, जबलपुर में 462, ग्वालियर में 714 मरीज़ स्वस्थ होकर घर लौट चुक हैं. प्रदेश भर में 24 घंटों में कोरोना संक्रमित मरीजों के 12384 नए मामले सामने आए. इंदौर में 1781, भोपाल में 1739, जबलपुर में 803, ग्वालियर में 1190 कोरोना पॉज़िटिव मिले. 75 लोगो की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई.

भेल (BHEL) को बंद करने की मांग

भोपाल में भेल में 200 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी संक्रमित हैं. विधायक कृष्णा गौर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कारखाना बंद करने की मांग की है. संक्रमित में अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है. कृष्णा गौर ने भेल टाउनशिप में कारखाने से खतरा बताया है