एटीएम से 2000 रुपये के नोटों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारतीय स्टेट बैंक ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। अगले चरण में अन्य बैंक भी यही व्यवस्था अपनाएंगे। यानी आने वाले समय में एटीएम से दो हजार रुपये के नोट नहीं निकलेंगे। इसी बीच मंगलवार को सरकार ने उन अटकलों को खारिज कर दिया कि 2,000 रुपये के नोट बंद होने जा रहे हैं।
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए कहा, असली भावना अब बाहर आयी है। जो चिन्ता व्यक्त की गयी, मुझे लगता है कि आप ऐसी चिन्ता नहीं करिए।

इससे पहले सपा के विशंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि दो हजार रुपये का नोट चलाए जाने से काला धन बढ़ा है। उन्होंने सवाल किया कि देश के लोगों को भ्रमित किया जा रहा है कि क्या दो हजार रुपये के नोट बन्द होने जा रहे हैं और उसकी जगह एक हजार रुपये के नोट फिर से चालू किए जाएंगे। प्रश्नकाल में ही कई पूरक सवालों के जवाब में ठाकुर ने नोटबंदी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी फैसला करार देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ मुद्रा की मात्रा बढ़ी है बल्कि जाली मुद्रा पर भी रोक लगी है। साथ ही डिजिटल भुगतान में इजाफे से नोटों के परिचालन को कम करने में सफलता मिली है।
वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने नोटबंदी के फैसले के प्रभाव से जुड़े एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 को पांच कारणों से 1000 और 500 रुपये के नोट के वैध मुद्रास्वरूप को समाप्त करने का निर्णय लिया था।

ठाकुर ने जो बताया वह पांच कारण इस प्रकार हैं- कालेधन को खत्म करने, जाली नोट की समस्या से निपटने, आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार करने, गैर औपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में रूपांतरित करने और भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाने। इसके साथ ही डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया था।