सुधांशु कुमार सतीश

आबू रोड (राजस्थान) ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जगदम्बा सरस्वती का 55वीं पुण्य तिथि श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में उनकी याद में ध्यान और योग के लिए विशेष प्रेरित किया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि जगदम्बा सरस्वती का जीवन बहुत ही सरल और महान था। वे नारी शक्ति की मिसाल थी।
उनके शक्ति स्वरूप जीवन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वे सर्वगुण सम्पन्न थी। नारी के रूप में देवी की अवतार थी। यदि उनसे कोई एक बार गलती हो जाती थी तो दुबारा वह कभी नहीं करती थी। मूल्यों और व्यवहार उनके प्रत्येक कर्म से दिखता था। उनके आदर्शों पर ही चलकर आज 46 हजार युवा बहनों ने अपने जीवन को इस ईश्वरीय सेवा कार्य में लगाया है।

श्रद्धांजलि के दौरान ब्रह्माकुमारीज संस्थान के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि जब मैं मात्र 25 वर्ष का था तब इस संस्थान में आया था। जब उनके साथ कार्य व्यवहार में आना हुआ तो उनके जीवन ने हमारे जीवन की दिशा ही बदल दी। उनके सान्निध्य में ही हमने इस संस्थान में आजीवन समर्पित होने का संकल्प लिया और आज तक सेवा कर रहा हूॅं।
इस मौके पर संस्थान की कार्यक्रम प्रबन्धिका बीके मुन्नी ने उनके द्वारा नारी शक्ति को दिखाये गये श्रेष्ठ मार्ग के लिए खुद को भाग्यशाली माना तथा कहा कि प्रत्येक नारी यदि इनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश करे तो समस्त नारी जाति का उद्धार हो जायेगा। यूरोपियन सेवाकेन्द्रों की प्रमुख बीके जयन्ति ने योग की पराकाष्ठा के लिए उनका अनुसरण करने की बात कही। इसके बाद सभी ने श्रद्धांजलि कर पुष्प अर्पित की।

आवासीय साधकों और योगाभ्यासी लोगों ने इस दौरान सोशल डिस्टेसिंग का विशेष ध्यान रखा तथा ध्यान साधना कर वर्तमान समय कोरोना महामारी से मुक्त होने के लिए विशेष प्रार्थना की। इस अवसर पर संयुक्त मुख्य प्रशासिका इशू दादी, संस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय, बीके सुधीर, बीके भरत समेत कई लोग उपस्थित थे।
जगदम्बार सरस्वती बाल्यकाल में ही संस्थान में आ गयी तथा ध्यान साधना करते हुए ईश्वरीय विद्या में पारंगत हो गयी तथा 24 जून , 1964 को अपने नश्वर शरीर का त्याग किया।