जयपुर – ओम दैया ।राजस्थान की राजनीति में शरद पवार की पार्टी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत के नेतृत्व में दो पालिकाओं एंट्री हो गई है। नगरपालिका चुनाव परिणाम यह साबित कर रहे हैं कि एनसीपी ने नोखा और निवाई नगरपालिका अध्यक्षों की सीट सीधे—सीधे कब्जा ली है। हाल ही में संपन्न हुए 90 निकाय चुनाव में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पार्टी ने 123 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। आश्चर्यजनक रूप से एनसीपी के करीब चालीस प्रतिशत प्रत्याशियों ने जीत हासिल करके यह साबित कर दिया है कि अब प्रदेश में एक और राष्ट्रीय पार्टी प्रभावी विकल्प के तौर पर तैयार है। प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत की टीम ने बाली में बैठकर बीकानेर के नोखा और टोंक की निवाई सीट पर अपने अध्यक्ष काबिज कराने जितने प्रत्याशी जिता लिए हैं। यह एनसीपी की एक बड़ी सफलता है। अब अगला लक्ष्य 4 विधानसभा सीटों के उप चुनाव हैं। देखने वाली बात यह है कि एनसीपी यहां के लिए क्या रणनीति बनाती हैं।
पार्टी की जीत पर एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत का कहना है कि “राजस्थान में हम एक विकल्प के रूप में उभरेंगे। यह सभी बड़े दल स्वीकार चुके हैं कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार की जनहितैषी राजनीति के चलते ही महाराष्ट्र समेत पूरे देश में एनीसीपी की अनूठी पैठ है। एनसीपी के प्रति टोंक जिले की निवाई और बीकानेर की नोखा सीट पर चौथी बार जनता ने जो प्रेम और विश्वास जताया है। उसके लिए हम जनता का आभार जताते हैं और आने वाले पांच साल तक उनकी सेवा करेंगे।”आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बसपा का मात्र एक और आरएलपी के 12 ही उम्मीदवार जीत पाए हैं, जबकि राष्ट्रीय पार्टी सीपीआई एम के मात्र तीन उम्मीदवार जीते हैं। जितने उम्मीदवार उतारे गए, उनकी जीत प्रतिशत के हिसाब से सबसे अधिक प्रत्याशी एनसीपी से ही जीते हैं। ऐसा बहुत कम जगह हुआ है कि एनसीपी का उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा हो। इस सफलता ने एनसीपी के पदाधिकारियों और टीम के मन में निश्चित तौर पर जोश भर दिया है और अब यह पार्टी नए सिरे से अपनी रणनीति विधानसभा उप चुनाव के लिए बनाने में जुटेगी। अब सीधे तौर पर साफ नजर आ रहा है कि घड़ी के चुनाव निशान वाली पार्टी एनसीपी हाथ के निशान वाली कांग्रेस की भविष्य की लकीरों को निश्चित तौर पर धुंधला करेगी। यदि कांग्रेस अभी भी समय रहते नहीं चेतती तो राजस्थान की राजनीति में एक नई करवट आनी निश्चित तौर पर तय है।

-नोखा में विकास मंच ने एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर किया कमाल
नोखा में एनसीपी के चुनाव चिह्न नोखा विकास मंच ने 45 में से 28 सीटें जीती हैं। तथा 17 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही है। कुल मिलाकर यहां का चुनाव सीधे तौर पर एनसीपी के ही नाम रहा है। अध्यक्ष चम्पावत बताते हैं कि सुशासन देना और जनता की तकलीफों को कम करना हमारी प्राथमिकता रहेगी। हम इसी वादे के साथ चुनाव मैदान में गए और अपने वादे को निश्चित तौर पर पूरा करेंगे। यहां बीजेपी के 15 विधायक जीते हैं। दो निर्दलीय भी जीतकर आए हैं। कांग्रेस ने यहां चुनाव ही नहीं लड़ा था। एनसीपी ने देशनोक में भी एक सीट कब्जा की है।

– निवाई में यह रही स्थिति
एनसीपी ने निवाई में 35 में से 27 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 17 प्रत्याशी विजयी हुए हैं। बीजेपी के नौ प्रत्याशी जीते हैं। वहीं कांग्रेस के हिस्से 8 सीट आई हैं। एक निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीता है। यहां भी एनसीपी का बोर्ड बनना तय है। नेवाई में कांग्रेस 34 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन सीट जीतीं मात्र आठ। ऐसे में यह साबित हुआ है कांग्रेस की बजाय लोगों ने एनसीपी को अब यहां विकल्प के तौर पर चुनना शुरू किया है। अब यह साफ है कि एनसीपी अपना जनाधार बढ़ा रही है और कांग्रेस को साफ तौर पर नुकसान होना तय नजर आ रहा है।किस पार्टी के कितने उम्मीदवार
कुल 3035 सीटों पर चुनाव हुए हैं। भाजपा ने 1598 पुरुषों और 939 महिलाओं समेत 2537 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। कांग्रेस ने 1651 पुरुष और 1024 महिला प्रत्याशियों समेत 2675 उम्मीदवार मैदान में उतारे। राजस्थान में अपने आपको तीसरे मोर्चे का विकल्प बता रही आरएलपी ने 89 पुरुष उम्मीदवार व 44 महिला प्रत्याशी समेत 133 सीटों पर चुनाव लड़ा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा है, जिनमें 27 पुरुष और 16 महिला उम्मीदवार उतारे। राष्ट्रीय पार्टियों में राजस्थान में हर बार विधानसभा चुनाव में तीसरे नम्बर का प्रदर्शन करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने भी 31 पुरुष व 12 महिला प्रत्याशी समेत 43 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे। इन सब में प्रभावी प्रदर्शन करते हुए एनसीपी ने अपने 123 उम्मीदवारों में से 44 महिला प्रत्याशी और 89 पुरुष उम्मीदवार उतारे थे। प्रदेश में 2861 पुरुष व 1484 महिला समेत 4345 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे। देश में एनसीपी समेत कुल आठ राष्ट्रीय पार्टियां हैं। जिनमें तृणमूल, एनपीपी ने यहां चुनाव नहीं लड़ा।