श्रीगंगानगर(सतीश बेरी)। आज से 10 माह पहले 1 मई 2018 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में सांध्यदीप दैनिक के सम्पादक सतीश बेरी पर असामाजिक तत्वों ने तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के साथ मिलीभगत करते हुए कातिलाना हमला कर दिया था। इस हमले में पत्रकार सतीश बेरी स्थायी रूप से एक पैर से विकलांग हो गये। इस मामले ने श्रीगंगानगर ने तो ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोरीं लेकिन अमृतसर, बठिण्डा, मुम्बई, दिल्ली सहित अनेक महानगरों में पत्रकार संगठनों ने केन्द्र सरकार तक इस मामले को पहुंचाया और राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया, जो पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरे देश में कार्य करती है, उसको न्यायिक आयोग का दर्जा प्राप्त है, ने संज्ञान लिया। इस मामले में पत्रकार सतीश बेरी से भी सम्पर्क किया गया तो उन्होंने श्रीगंगानगर पुलिस और असामाजिक तत्वों के बीच चल रहे व्यापार का पर्दाफाश किया।

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इस मामले में प्रेस कोंसिल ऑफ इंडिया ने पिछले दिनों मुम्बई में बैठक की थी और श्रीगंगानगर के एसपी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिये थे। एसपी ने श्रीगंगानगर पुलिस का पक्ष रखा था। प्रेस कौंसिल के सूत्रों ने बताया कि इस मामले में जो तथ्य श्रीगंगानगर के एसपी ने रखे थे, उससे कमेटी संतुष्ट नहीं हुई है। अब इस मामले में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के सचिव (पुलिस), श्रीगंगानगर कलक्टर तथा एसपी को 29 मार्च को व्यक्तिगत रूप से जारी होने के लिए सम्मन जारी किये गये हैं। इन सभी अधिकारियों को हिदायत दी गयी है कि वे 10.20 बजे तक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं अगर कोई अधिकारी उस वक्त मौजूद नहीं होता है, तो उसके खिलाफ न्यायिक कार्यवाही की जा सकती है। पीसीआई के इस कड़े रुख के बाद सरकार की नींद उड़ी हुई है। ध्यान रहे कि स्थानीय पुलिस सरेआम असामाजिक तत्वों के खिलाफ मिलीभगत कर श्रीगंगानगर में सट्टे का धंधा करती है।

हत्या जैसे मामलों में अपराधियों को बचाने का षडय़ंत्र करती है। श्यामनगर में छोटी-छोटी बालिकाओं से वेश्यावृत्ति करवायी जाती है, उनको पुरानी आबादी पुलिस का संरक्षण प्राप्त होता है। फाइनेंसरों के गुंडे सरेआम लोगों के घरों में घुसकर लोगों को जान से मारने की धमकी देते हैं। पुलिस उनको बचाती है।  इस तरह के खुलासे पत्रकार के रूप में सतीश बेरी पिछले 10 सालों से करते आ रहे हैं। यही कारण था कि पत्रकार पर जानलेवा हमला करने की साजिश रची गयी तो उसमें पुरानी आबादी का तत्कालीन एसएचओ आनंद गिल और उसके गुर्गे भी शामिल थे। एसएचओ को हमले से पूर्व सूचना दी गयी थी।

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तत्कालीन एसपी हरेन्द्र महावर ने इन सभी को बचाने का प्रयास किया। फर्जी रिपोट्र्स तैयार की गयी। 24 अप्रेल 2018 को रात करीबन 8.30 बजे एडीशनल एसपी सुरेन्द्रसिंह राठौड़ को भी सूचना दी गयी थी। 1 मई 2018 को एसपी दोपहर 2 बजे लिखित में सूचना दी गयी।  इसके बावजूद पत्रकार सतीश बेरी पर शाम 5.15 बजे उनके कार्यालय के निकट कार में सवार होकर आये तीन बदमाशों ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में सतीश बेरी स्थायी रूप से विकलांग हो गये। इस मामले से सुलगी चिंगारी धीरे-धीरे आग का रूप धारण करती जा रही थी और यह मामला डोनाल्ड जे ट्रम्प-इंग्लैण्ड की प्रधानमंत्री थेरेसा मे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, कनाडा के प्रधान ट्रूडो के समक्ष तक उठा। इस मामले में इन सभी सरकारों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्रालय को पत्र लिखे। अब स्थानीय अधिकारी  जिस तरह से थानाधिकारियों के तबादलों के जरिये भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं, उनसे उनकी खाल बच पाना संभव नहीं होगा। श्रीगंगानगर में भ्रष्टाचार का खेल खेलने वाले यह अधिकारी चाहे आईजी हो या एसपी, इनके खिलाफ अभियान जारी रहेगा। यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि पत्रकार सतीश बेरी को किस तरह से प्रताडि़त पिछले कुछ समय के दौरान किया गया, उनकी पुत्री को विदेश में मेडिकल शिक्षा के नाम पर ठगी हो गयी।

पत्रकार ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करवाया तो तीन थानाधिकारियों ने पेन लेकर एक शब्द तक नहीं लिखा। इसके बाद जांच पुलिस अधिकारियों ने जवाहरनगर थानाधिकारी प्रशांत कौशिक को सौंप दी तो उन्होंने एफआर लगा दी। प्रशांत कौशिक की इस प्रताडऩा का मामला भी पीसीआई में उठना तय हो गया है और जो अधिकारी यहां लाखों रुपये देकर करोड़ों रुपये कमाने आये थे, उनकी नौकरी अब खतरे में नजर आ रही है।