– ओम दैया
बीकानेर। पुष्करणा दिवस के उपलक्ष पर रमक झमक संस्था द्वारा वयोवृद्ध 83 वर्षीय शिक्षिका पूर्व प्रधानाचार्य श्रीमती कांता व्यास का आज अभिनन्दन किया गया। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने बताया कि श्रीमती कांता व्यास ने बालिका शिक्षा पर हमेशा जोर दिया और संघर्ष से सफलता और सफलता पर पुनः समाज सेवा का सूत्र दिया है। कोरोना के चलते श्रीमती व्यास को रमक झमक की ओर से डॉ कृष्णा आचार्य ने उनके निवास स्थान पर जाकर शॉल,श्रीफल,ओपरणा और पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। श्रीमती व्यास ने रमक झमक का आभार जताया।

पुष्करणा दिवस के उपलक्ष में ही रमक झमक की ओर से साहित्यकार शिवराज छंगाणी के निर्देशन में समाज की परम्पराओं के मूल स्वरूप के महत्व को समझने ,समझाने और उसका प्रचार करने के उद्देश्य से ‘हमारी परम्परा हमारी विरासत’ विषयक विचार आमंत्रित किये गए जिसमें पुष्करणा विवाह गीत माला की लेखक फलोदी की आशा पुरोहित ने कहा कि हमारे गीतों में गुढ़ अर्थ है। युवा पीढ़ी को गीतों को सुनना,लिखना और गाना चाहिये ताकि ये सुरक्षित रह सके। कॉलेज व्याख्याता संतोष व्यास ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक परम्पराएं विश्व पटल पर देखी व समझी जाती है,युवा पीढ़ी को इसके मूल भाव को नहीं खोना है।
कोलकत्ता के राजस्थान ब्राह्मण समाज के सचिव राजकुमार व्यास ने कहा कि हमारी सामुहिक विवाह की परम्परा का महत्व अब अधिक बढ़ गया है।कोलकत्ता रामदेव मंडल के जेठमल रंगा ने कहा कि हमारी मौलिक व मूल परम्पराएं हमारे गौरव को बढ़ाती है।

फलोदी के सेवा निवृत्त बैंक अधिकारी महेश आचार्य ने कहा कि हमारी परम्पराएं विज्ञान सम्मत है,आज कोरोना में जो साफ सफाई कोरन्टीन की बात कही जा रही है वो हमारे पूर्वजों ने अलग अलग अवसर पर सब नियम पहले ही बना दिये थे,हमे गर्व है हमारी परम्परा व हमारे बुजुर्गो पर।जोधपुर के अभियंता दीपक बिस्सा और भदोई के व्यवसाई प्रेम नारायण पुरोहित कहते है कि युवा पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में हमारी बहुमूल्य विरासत को न खो दे ये डर है। बीकानेर के शंकर रंगा ने कहा कि हमारी परम्परा पेड़ की जड़ के समान है,जड़ से अलग होकर हम नहीं रह सकेंगे।एडवोकेट त्रिलोक नारायण पुरोहित ने कहा कि युवा वर्ग सस्कृति से दूर जा रहा है ।गौ सेवा संघ के बलदेव भादाणी और कवि बाबूलाल छंगाणी का मत था कि हमारी परम्पराएं हमारी संजीवनी है।पुरुषोत्तम रंगा व योगिता पुरोहित ने कहा कि समय समय पर ऐसी चर्चा और विचार होने से हमारी सस्कृति के युवाओं का रुझान बढ़ेगा।

रमक झमक के राधे ओझा ने कहा कि कोरोना का सकारात्मक पहलू ये है कि आज देश भर के अनेक लोगों ने घर पर पुष्करणा दिवस मनाया जिससे परिवार के साथ बैठकर अच्छे से चर्चा करने का अवसर मिला में मोबाइल का सही उपयोग हुवा, परम्पराओं की चर्चा सम्भव हुई । युवाओं ने अपने बुजुर्गों से परम्पराओ के बारे में पूछा समझा ।राधे ओझा ने कहा कि आज युवाओं में अपनी परम्पराओं को जानने की जिज्ञासा देखने को मिली, इस रुचि को देखते हुवे इसी तरह का कोई कार्यक्रम कोरोना संकट खत्म होने पर रमक झमक करवाएगा।