जयपुर।विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में कोरोना बेलगाम है। संक्रमितों की संख्या घटने की बजाए बढ़ रही है। रोज कोरोना रोगियों की मौतें जारी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों को होटल में कैद कर दिया। इनमें मंत्री भी शामिल है। शनिवार को चूरू में मीडिया से रूबरू राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विधायकों की खरीद-फरोख्त के ‘रेट बढ़ जाने’ संबंधी बयान जनप्रतिनिधियों, राजस्थान विधानसभा और लोकतंत्र का अपमान है।

…तो पुलिस में कराएं मामला दर्ज

अगर मुख्यमंत्री की सरपरस्ती में बाड़ाबंदी के दौरान भी उनके विधायकों को धमकियां मिल रही हों तो प्रदेश में कानून व्यवस्था कैसी होगी। यह अंदाजा लगाया जा सकता है। एसओजी अपराधियों की बजाए विधायकों को पकडऩे में जुटी हुई है। राठौड़ ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री की बात सही है कि उन्हें विधायकों को धमकियां देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। दरअसल, यह दो खेमों में बंटी हुई कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है, जिसे मुख्यमंत्री गहलोत भाजपा के मत्थे मढऩे की कोशिश कर रहे हैं।

अपराधी छोड़, विधायकों को पकडऩे दौड़ रही एसओजी

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जो एसओजी अपराधियों को पकडऩे के काम में लगाई जानी चाहिए, वह आज चुने हुए विधायकों को पकडऩे के लिए दौड़ लगा रही है, यह अजीबो-गरीब स्थिति है। यह सत्ता संघर्ष दो ध्रुवों में बंटी कांग्रेस के बीच है। कांग्रेस परिवार के मुखिया अपने कुनबे को संभाल नहीं पा रहे और दोष भाजपा पर लगा रहे हैं।

विधायक मानसिक तौर पर प्रताडि़त…

राठौड़ ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के समय 13 दिन और अब 17 दिन, कुल मिलाकर दो चरणों में एक महीने से भी अधिक समय तक होटलों में बंद विधायक मानसिक तौर पर प्रताडि़त हो रहे हैं। यह बात सही है, लेकिन उनकी मानसिक प्रताडऩा का कारण यह है कि उन्हें यह चिंता सता रही है कि वे किस मुंह से जनता के सामने जाएंगे।

कोरोना, टिड्डी दल और कोढ़ में खाज विजिलेंस

उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अंतरविरोधों में घिरी सरकार इस समय अदृश्य हो गई है। कोरोना का संकट सबके जीवन पर मंडरा रहा है। तकरीबन 42 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित और 670 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। टिड्डी दल बार-बार हमला कर रहे हैं। बारिश कम होने से राजस्थान सूखे की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में कोढ़ में खाज का काम कर रही है विजलेंस के नाम पर अधिकारियों की लूट-खसोट। यही वह कारण हैं, जिनसे गहलोत के विधायक मानसिक रूप से प्रताडि़त हैं, क्योंकि सरकार अदृश्य है और जनप्रतिनिधि होटलों में कैद है।

प्रभारी सचिव ने विधायक से चर्चा तक नहीं की

राठौड़ ने कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच प्रभारी सचिव की ओर से चूरू में बैठक का आयोजन किया गया है, लेकिन जनप्रतिनिधि होने के नाते मुझे आमंत्रित भी नहीं किया गया। प्रभारी सचिव जनता की समस्याओं पर बात करने आ रहे हैं या किसी और एजेंडे के साथ। यह प्रशासन को साफ करना चाहिए।