प्रशिक्षण के दौरान हासिल ज्ञान खेतों तक पहुंचाएं वैज्ञानिक-प्रो. सिंह
एसकेआरएयू में इक्कीस दिवसीय विंटर स्कूल का समापन सत्र आयोजित
बीकानेर, 26 नवंबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में ‘शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में उद्यानिकी फसलों के उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन की उच्च तकनीक’ विषयक विंटर स्कूल (शीतकालीन प्रशिक्षण) का समापन सत्र मंगलवार को आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच. डी. चारण थे। उन्होंने कहा कि किसान पढ़ा-लिख होगा तो खेती की नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हुए अधिक मुनाफा कमा सकेगा। इसके मद्देनजर कृषि शिक्षा और शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत को गांवों का देश बताया तथा कहा कि हमारी आजीविका खेती और इससे जुड़े क्रियाकलापों पर निर्भर है।
अध्यक्षता करते हुए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने कहा कि देश के दस राज्यों से आए उद्यानिकी वैज्ञानिकों के लिए लगभग तीन सप्ताह का समय नई जानकारी हासिल करने के साथ वैचारिक आदान-प्रदान कर रहा। वैज्ञानिक यहां प्राप्त ज्ञान को खेतों तक ले जाएं, जिससे किसानों को लाभ हो सके। उन्होंने खेती में बढ़ते कीटनाशकों के उपयोग पर चिंता व्यक्त की तथा कहा कि एक बार फिर जैविक खेती की ओर बढ़ना जरूरी है।

इससे पहले अतिथियों ने प्रशिक्षण के कम्पोडियम का विमोचन किया तथा प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए। प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण से जुड़े अनुभव साझा किए। पाठ्यक्रम प्रभारी डाॅ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षण में राजस्थान के अलावा नौ राज्यों के 25 वैज्ञानिकों ने भागीदारी निभाई। प्रशिक्षण के दौरान देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आइसीएआर संस्थानों के विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किए गए। जैसलमेर सहित बीकानेर के विभिन्न संस्थानों का फील्ड विजिट करवाया गया।
कृषि अनुसंधान केन्द्र के प्रभारी डाॅ. पी. एस. शेखावत ने आभार जताया। उन्होंने विभिन्न सत्रों के बारे में बताया। संचालन विवेक व्यास ने किया। इस दौरान कोर्स सहप्रभारी डाॅ. ममता सिंह, डाॅ. बीडीएस नाथावत, डाॅ. राजीव नारोलिया और डाॅ. परमेंद्र सिंह विभिन्न डीन-डायरेक्टर सहित प्रतिभागी मौजूद रहे।