बीकानेर, 25 अक्टूबर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गच्छाधिपति आचार्यश्री मणिप्रभ सूरिश्वरजी की आज्ञानुवर्ती प्रवर्तिनी साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने कहा है कि बच्चे मन के सच्चे होते है, इनको जो संस्कार शिक्षा दी जाती है वे ग्रहण करते हैं। बच्चों को परमात्मा का रूप् कहा गया है, उनके दिल में छल,कपट व बईमानी नहीं होती ।

बच्चे हर जगह आनंद व स्नेह को ढूंढते है वहीं बडे ईष्र्या व द्वेष।
साध्वीजी शुक्रवार को ढढ्ढा कोटड़ी में चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के दौरान उनको इन्द्रलोक में आशीर्वाद दे रहीं थीं। उन्होंने कहा कि बच्चों की शारीरिक, मानसिक क्षमता को देखते हुए उन्हें शिक्षा व संस्कार दिए जाने चाहिए। शिक्षा के लिए प्रताड़ना व्यावहारिक व धार्मिक दृृष्टि से अनुचित है। दूसरों की देखा-देखी व अपने स्वपनों को पूरा करने के लिए बच्चों को ज्ञान के बोझ तले उनके स्वाभिक विकास को नहीं रोके। बच्चों को उन की रूचि के अनुसार विषयों का चयन करने, खेलने, व्यक्तित्व विकास करने का मौका देना चाहिए।

शिविर में साध्वीश्री श्रमणी प्रज्ञा ने दीपावली पर पटाखें छोड़ने से होने वाले अनंत जीवों की हिंसा से बचने की सलाह की तथा देव मंदिरों में दर्शन व पूजा की विधि से अवगत करवाया। विजय स्वामी ने हैंड राइटिंग सुधारने, अक्षर लिखने के तरीके बताएं।
शिविर जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, श्री खरतरगच्छ युवा परिषद, बीकानेर, खरतरगच्छ महिला परिषद, बालक-बालिका मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिविरार्थियों अल्पहार व भोजन की सेवा का लाभ कन्हैयालाल, महावीर व नमन कुमार नाहटा परिवार ने लिया