– आज पूरे देश के मीडिया में यह चर्चा सुर्खियों में है कि भारत ने

– राधेश्याम भारती

देहरादून से दिल्ली की पहली एक उड़ान को बायोफ्यूल का इस्तेमाल कर सफलतापूर्वक पूरा किया। इस अवसर पर एक नहीं दो नहीं बल्कि भारत सरकार के पांच पांच मंत्री स्वागत हेतु इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे। सचमुच यह कोई सामान्य घटना नहीं कही जा सकती अपितु इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की पतली हालत को बेहद मजबूती देने और स्वस्थ बनाने की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। क्योंकि यह उड़ान मात्र 2 टन रतनजोत के बीजों से निकाले गए बायोफ्यूल से तय की गई।उड़ान में जो इंधन प्रयुक्त किया गया उसमें 25% बायोफ्यूल था। इसका सीधा मतलब है कि निकट भविष्य में इसी तरह बायोफ्यूल से देश में जितनी हवाई उड़ानें होती हैं उनमें बायोफ्यूल प्रयुक्त किया गया तो देश का 30000 करोड रुपया बचेगा। पाठकों को मैं बताता चलूं कि रोज भारत में 600 उड़ाने होती हैं इनमें सालाना जो इंधन का खर्चा आता है उसमें 30000 करोड रुपए बायोफ्यूल प्रयुक्त करने से बच सकेंगे।सर्वविदित है कि अब तक यह पैसा इराक ईरान सऊदी अरब जैसे देशों के हाथों में जाता रहा है। अब डीजल पेट्रोल के लिए भारत को कदाचित उनका मुंह नहीं तकना पड़ेगा। सच तो यह है अब उनकी तेल कंपनियों के करीब-करीब ताले लगना तय है। इससे भारत राजनीतिक दृष्टि से तो मजबूत होगा ही साथ ही आर्थिक मोर्चे पर भी वह बड़ी लड़ाई लड़ने में सक्षम होगा इसमें कदाचित कोई दो राय नहीं। इससे इधर एक बात यह भी साफ दिखाई देने लगी है कि अब केवल हवाई उड़ानें ही क्यों रेल बसे दुपहिया वाहन चौपहिया वाहन कल कारखाने यदि सभी बायोफ्यूल से चलने लगे तो देखते देखते देश की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प हो जाएगा। साथ ही जो बायोफ्यूल एक हवाई जहाज में प्रयुक्त किया जाएगा करीब 1 साल में उस से 4000 टन कार्बन का उत्सर्जन कम होगा इससे सहज बोध हो सकता है कि आने वाले समय में हमारा प्रदूषण भी कितना कम हो सकेगा जो आज की बड़ी फिक्र के रूप में देखा जाता है।एक आश्चर्यजनक मीठा सच यह भी है कि भारत का उड्डयन क्षेत्र जिस गति से बढ़ रहा है 2035 के आते-आते वह दुनिया का सबसे बड़ा उड्डयन उद्योग होगा इससे भी पता लग सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था और यातायात व परिवहन में बायो फ्यूल के चलते किस तरह आमूलचूल परिवर्तन होने वाले हैं। आम व्यक्ति के लिए यह बेहद खुशी का समाचार इस संदर्भ में भी है कि बायोफ्यूल का इस्तेमाल करने से परिवहन लागतो में करीब 25% की कमी आना तय है जो सीधे तौर पर हर आदमी को फायदे के रूप में देखा जा सकता है। इसके अलावा देश में बढ़े व्यापक पैमाने पर रत्नजोत की खेती को बढ़ावा मिलेगा जिसके चलते हमारे किसानों को अतिरिक्त लाभ होगा क्योंकि रतनजोत के पेड़ खेत की सीमा व धोरों के साथ साथ लगाए जा सकते हैं जिससे किसानों की जमीन भी इस्तेमाल नहीं होगी और उत्पादन का फायदा भी मिलेगा। फिलहाल हमें तेजी से रत्नजोत की पैदावार बढ़ाने और उससे तैयार किए गए बायोफ्यूल की तरफ ध्यान केंद्रित करना श्रेयस्कर है।