श्रीगंगानगर, 8 नवम्बर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर के बासनी थाने के पूर्व थानाधिकारी संजय बोथरा को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने माना है कि पूर्व थानाधिकारी पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कोई मामला नहीं है और न ही रिश्वत की मांग में उनकी कोई भूमिका बताई गई है। रिश्वत के मामले में उप निरीक्षक गजेन्द्र सिंह तथा हैड कांस्टेबल तेजाराम के बीच गठजोड़ की बात कही गई है।

न्यायाधीश डा.पुष्पेंद्रसिंह भाटी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता संजय बोथरा की ओर से एफआईआर क्वैश करवाने को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि एसीबी ने ट्रैप कार्यवाही व टेलीफोनिक वार्ता के आधार पर पाया कि उप निरीक्षक गजेन्द्रसिंह तथा शिकायतकर्ता के मध्य रिश्वत को लेकर बात हुई। वार्तालाप में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका सामने नहीं आई। याची पर आईपीसी की धारा 119 का मामला बनने की बात कहते हुए एसीबी ने अपने जवाब में भ्रष्टाचार निरोधक कानून या अन्य प्रावधानों में कोई आरोप नहीं माना है। याची के अधिवक्ता मनीष सिसोदिया ने कोर्ट को बताया कि याची को जबरन भ्रष्टाचार के मुकदमे में फंसाने की कोशिश की जा रही है, जबकि एसीबी के पास उसके खिलाफ भ्रष्ट आचरण को लेकर कोई साक्ष्य नहीं है। खुद एसीबी ने अपने जवाब में यह स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया है कि रिश्वत राशि का गठजोड़ उप निरीक्षक व हैड कांस्टेबल के बीच में था। एकलपीठ ने याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए एसीबी को कहा कि जांच जल्द से जल्द अधिकतम आठ सप्ताह में पूरी की जाए। इस दौरान याचिकाकर्ता को भी इन्वीस्टिेगेशन ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए हैं।