-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। नगर निगम के भ्रष्ट अफसरों की नाकामी के कारण बीकानेर बिना पार्किग की होटलों और कॉम्पलेक्सों का शहर बन गया है। हालांकि होटलों एवं कॉम्पलेक्सों के निर्माण की अनुमति के लिये सबसे पहली शर्त वाहन पार्किग की होती है,लेकिन चौंकानें वाली बात तो यह है कि बीकानेर शहर में अस्सी फिसदी से ज्यादा होटलें और कॉम्पलेक्स बिना पार्किग ही बन गये और कई अभी बन भी रहे है।

इनमें कई होटलों-कॉम्पलेक्सों में पार्किग में प्रतिष्ठान और दुकानें चल रही है। जबकि पार्किग के वाहन सड़कों पर खड़े रहते है,जिससे सुबह से लेकर रात तक ट्रेफिक जाम के हालात कायम रहते है और ट्रेफिक पुलिस के साथ आमजन को भी दिक्कतों से जुझना पड़ता है। नगर निगम प्रशासन के पास शहरभर में बिना पार्किग के बनी होटलों और कॉम्पलेक्सों के बारे में पुख्ता तौर पर जानकारी होने के बावजूद होटल-कॉम्पलेक्स संचालकों के खिलाफ नगर पालिका एक्ट के तहत कार्यवाही नहीं की जा रही है। ऐसे में निगम प्रशासन के अफसरों की कार्यशौली पर सवाल उठ रहे है। जबकि जागरूक संगठनों के प्रतिनिधियों को तो साफ तौर पर आरोप है कि नगर निगम के अफसरों की सांठगांठ और भ्रष्टचार में लिप्तता के कारण ही बीकानेर शहर बिना पार्किग की होटलों-कॉम्पलेक्सों का शहर बना है।

इनमें से अधिकांश होटल और कॉम्पलेक्स पूरी तरह अवैध बने होने के बावजूद भी नगर निगम प्रशासन कार्यवाही के मामले में आंखे मूंदे बैठा है। इस का प्रत्यक्ष उदाहरण है डीआरएम ऑफिस के सामने बनी बहुमंजिला होटल ब्ल्यू कॉटिंनेंटल जिसके निर्माण के लिये स्वीकृत नक्शें में पार्किग दर्शायी गई थी,जब होटल बन कर पूरी हो गई तो मालिक भोमराज अग्रवाल वगैरहा ने पार्किग की जगह कांफ्रेस हॉल बना लिया,इसके कारण होटल आने वाले ग्राहकों की गाडिय़ा सड़क पर खड़ी रहती है। मजे कि बात तो यह है कि अब होटल के पिछवाड़े ही नक्शे के विपरित बहुमंजिला इमारत का निर्माण करवा रहा है,इसे लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बावजूद भी नगर निगम प्रशासन के अधिकारी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे है। यह भी पता चला है कि स्टेशन से गोगागेट सर्किल की ओर जाने वाली रोड़ पर भी बिना पार्किग की होटलों-कॉम्पलेक्सों की भरमार है,रानी बाजारी इलाके में भी ज्यादात्तर होटलें-कॉम्पलेक्स बिना पार्किग के है। जानकारी में रहे कि बीकानेर में बिना पार्किग के बने होटलों-कॉम्पलेक्सों और अवैध भवनों के निर्माणों को लेकर बीकानेर प्रशासन की हाईकोर्ट तक खिंचाई हो चुकी है,इसके बावजूद भी नगर निगम के अफसरों की नाकामी के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। पुख्ता तौर पर खबर है कि नगर निगम के कई अधिकारी और कार्मित तो अवैध निर्माण माफियाओं के लिये मुखबिरी का काम करते है।